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उत्तर प्रदेश

अत्याधुनिक उपकरणों से हो रही ‘संगम’ की सुरक्षा और निगरानी

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महाकुम्भ नगर। महाकुम्भ में आस्था की डुबकी लगाने आ रहे करोड़ों श्रद्धालुओं की सुरक्षा योगी सरकार की प्राथमिकता में है। इसी क्रम में गंगा और यमुना नदियों की सुरक्षा और निगरानी के लिए बड़ी संख्या में जल पुलिस के जवानों को तैनात किया गया है। इन जवानों को अत्याधुनिक उपकरणों से भी लैस किया गया है। अंडर वाटर ड्रोन और सोनार सिस्टम जैसे इक्विपमेंट्स के माध्यम से जल पुलिस संगम के चप्पे चप्पे पर निगरानी कर रही है। लाइफबॉय और एफआरपी स्पीड मोटर बोट जैसे इक्विपमेंट्स आपातकालीन परिस्थितियों में सहायक होंगे। किसी भी तरह की आपदा से निपटने के लिए वेल ट्रेन्ड जल पुलिस के जवान तैनात किए गए हैं।

पर्याप्त मात्रा में जल पुलिस के जवान तैनात

जल पुलिस योजना के तहत अब तक करीब 2500 जवान तटों की सुरक्षा के लिए तैनात कर दिए गए हैं। तीन जल पुलिस स्टेशन बनाए गए हैं जो श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए 24 घंटे तत्परता से कार्यरत हैं। तटों पर सुरक्षा की मॉनीटरिंग जल पुलिस के कंट्रोल रूम से की जा रही है, जबकि पूरे मेला क्षेत्र में 17 जल पुलिस सब कंट्रोल रूम भी स्थापित किए गए हैं। इस मैनपावर में मेले की शुरुआत से पहले और इजाफा किया जाएगा और इसमें करीब 1300 जल पुलिस के जवान और जुड़ जाएंगे। इस तरह मेले के दौरान कुल मिलाकर 3800 जल पुलिस के जवान तटों की सुरक्षा में मुस्तैद रहेंगे।

अत्याधुनिक उपकरणों से किया गया लैस

तटों की सुरक्षा के लिए योगी सरकार ने जल पुलिस के जवानों को अत्याधुनिक उपकरणों से लैस किया है। 8 किमी. क्षेत्र में डीप वॉटर बैरीकेडिंग की गई है। 2 फ्लोटिंग रेस्क्यू स्टेशन बनाए गए हैं, जहां किसी भी अप्रिय घटना से बचाव के लिए जवानों की तैनाती की गई है। इसके अलावा संगम क्षेत्र की सुरक्षा के लिए 11 एफआरपी स्पीड मोटर बोट तैनात की गई हैं। 6 सीटर इस बोट में जवान हर समय संगम क्षेत्र की निगरानी करते नजर आ रहे हैं। आपातकालीन परिस्थितियों के लिए 4 वाटर एंबुलेंस भी तैनात कर दी गई हैं, जो तत्काल राहत पहुंचाने में समक्षम हैं। इसके अतिरिक्त 25 रिजार्जेबल मोबाइल रिमोट एरिया लाइटनिंग सिस्टम को भी तैनात किया गया है तो चेंजिंग रूम के साथ 4 अनाकोंडा मोटर बोट भी तैनात की जा रही है।

इमरजेंसी प्लान भी तैयार

इसके अतिरिक्त जल पुलिस के जवान 2 किमी. लंबी रिवर लाइन से भी लैस हैं, जो यमुना में ट्रैफिक कंट्रोल में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। इसके अलावा उन्हें 100 डाइविंग किट, 440 लाइफबॉय, 3 हजार से ज्यादा लाइफ जैकेट, 415 रेस्क्यू ट्यूब, 200 थ्रो बैग विद रोप, 29 टॉवर लाइट सिस्टम, एक अंडर वाटर ड्रोन और एक सोनाल सिस्टम से लैस किया गया है। ये सभी अत्याधुनिक उपकरण जल पुलिस के जवानों को तटों की सुरक्षा के साथ-साथ जल में होने वाली हर तरह की गतिविधि की निगरानी और सुरक्षा में सक्षम बनाता है।

वर्जन

महाकुम्भ उत्तर प्रदेश जल पुलिस, पीएसी एवं एसडीआरएफ के लिए बहुत बड़ा अवसर है। इस दौरान संगम व अन्य क्षेत्रों की सुरक्षा और निगरानी हम सबकी जिम्मेदारी है। श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए सरकार ने जल पुलिस व‌ पीएसी को अत्याधुनिक उपकरणों से लैस किया है। पर्याप्त संख्या में जनशक्ति भी उपलब्ध करायी गयी है। हमारा प्रयास महाकुम्भ को शत प्रतिशत ‘इंसिडेंट फ्री’ बनाना है।
-डॉ. राजीव नारायण मिश्र, प्रभारी पुलिस महानिरीक्षक, पीएसी पूर्वी जोन, प्रयागराज

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उत्तर प्रदेश

यूपी ने बाजी मारी, टीबी नोटिफिकेशन में देश में अव्वल

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लखनऊ: प्रदेश की झोली में एक और उपलब्धि आई है। ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) के मरीजों की पहचान व इलाज करने में उत्तर प्रदेश 2024 में भी अव्वल रहा है। प्रदेश को बीते साल साढ़े छह लाख मरीजों के चिन्हिकरण का लक्ष्य मिला था। उसके सापेक्ष 6.73 लाख मरीजों की पहचान की गई। ये रिकार्ड है। 2023 में भी प्रदेश ने साढ़े लाख मरीजों के लक्ष्य का आंकड़ा पार किया था। दूसरे स्थान पर महराष्ट्र व तीसरे स्थान पर बिहार का नाम दर्ज है। इसके बाद मध्यप्रदेश व राजस्थान ने नोटिफिकेशन किया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि देश-प्रदेश से टीबी उन्मूलन का एक ही तरीका है कि ज्यादा से ज्यादा मरीजों का चिन्हिकरण व इलाज किया जाए। इसी के मद्देनजर केंद्रीय टीबी डिवीजन ने सभी प्रदेशों को 2024 की शुरुआत में टीबी नोटिफिकेशन का लक्ष्य तय किया था। उत्तर प्रदेश को 6.5 लाख मरीज खोजने का लक्ष्य दिया गया था।

विभागीय आंकड़ों के मुताबिक 31 दिसंबर तक प्रदेश में 6 लाख 73 हजार टीबी मरीजों की पहचान हुई। इन सभी का इलाज शुरू हो चुका है। टीबी नोटिफिकेशन के लक्ष्य को छू पाने में प्राइवेट डाक्टरों की भूमिका भी सराहनीय रही है। प्रदेश में ढाई लाख से ज्यादा मरीजों की पहचान यानी तकरीबन 40 प्रतिशत मरीज प्राइवेट डाक्टरों के माध्यम से पंजीकृत हुए हैं।

उत्तर प्रदेश के बाद महराष्ट्र में सवा दो लाख मरीजों का पंजीकरण हुआ। तीसरे नंबर पर बिहार में दो लाख मरीज चिंहित किए जा सके। मध्य प्रदेश में 1.78 लाख व राजस्थान में 1.70 लाख मरीजों का चिन्हिकरण किया हुआ।

राज्य टीबी अधिकारी डॉ शैलेंद्र भटनागर ने इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि शीर्ष नेतृत्व के मार्गदर्शन में पूरे वर्ष विभिन्न कार्यक्रम जैसे हर माह की 15 तारीख को एकीकृत निक्षय दिवस, एक्टिव केस फाइंडिंग (एसीएफ) अभियान व दस्तक अभियान चलाए गए जिससे हम ज्यादा से ज्यादा टीबी के लक्षण वाले मरीजों को खोज पाए। इस वक्त 100 दिवसीय सघन टीबी अभियान पूरे प्रदेश में चल रहा है जिसके माध्यम से उच्च जोखिम वाले व प्रिजेम्टिव टीबी वाले केसों को खोजने पर पूरे विभाग का ध्यान केंद्रित है।

टीबी का उन्मूलन प्राइवेट डाक्टरों की सहभागिता के बिना नहीं हो सकता। यह एक कड़वा सच है। उत्तर प्रदेश में मथुरा, आगरा, कानपुर, गोरखपुर व झांसी ने इस मामले में बेहतर प्रदर्शन किया है। लखनऊ, मेरठ, मुरादाबाद, बरेली व गाजियाबाद में भी प्राइवेट डाक्टर सक्रियता दिखा रहे हैं लेकिन श्रावस्ती में बीते साल सिर्फ 44 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं।

इसके अलावा महोबा में 255, सोनभद्र में 374, चित्रकूट में 376, हमीरपुर में 380, कन्नौज में 444, सुल्तानपुर में 444, अमेठी में 447, संतरवीदास नगर में 456, चंदौली में 488 और कानपुर देहात में सिर्फ 468 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं। इन जनपदों में प्राइवेट डाक्टरों की प्रतिभागिता बढ़े जाने की जरूरत है।

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