Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

नेशनल

नए संसद भवन में स्थापित हुआ ‘सेंगोल’, चोल वंश से है खास रिश्ता; जानें इतिहास

Published

on

Sengol established in the new Parliament House

Loading

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत के नए संसद भवन में राजदंड ‘सेंगोल’ की स्थापना की। तमिलनाडु के सदियों पुराने मठ के आधीनम महंतों की मौजूदगी में ‘सेंगोल’ की नए संसद भवन के लोकसभा में स्थापना की गई। दरअसल, ‘सेंगोल’ राजदंड सिर्फ सत्ता का प्रतीक नहीं, बल्कि राजा के सामने हमेशा न्यायशील बने रहने और जनता के प्रति समर्पित रहने का भी प्रतीक रहा है।

ऐसे में भारत के ‘राजदंड’ सेंगोल का अचानक नाम सामने आने के बाद इसे लेकर चर्चाएं होने लगी है कि आखिर सेंगोल क्या है, जिसे नए संसद भवन में स्थापित किया जाएगा।

नेहरू से जुड़ा क्या इतिहास है

‘राजदंड’ सेंगोल भारत की स्वतंत्रता से जुड़ा एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक प्रतीक है। जब अंग्रेजों ने भारत की आजादी का एलान किया था तो सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर सेंगोल का इस्तेमाल किया गया था। लॉर्ड माउंटबेटन ने 1947 में सत्ता के हस्तांतरण को लेकर नेहरू से सवाल पूछा कि सत्ता का हस्तांतरण कैसे किया जाए।

इसके बाद नेहरू ने सी राजा गोपालचारी से राय ली। उन्होंने सेंगोल के बारे में जवाहर लाल नेहरू को जानकारी दी। इसके बाद सेंगोल को तमिलनाडु से मंगाया गया और ‘राजदंड’ सेंगोल सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक बना था।

नए संसद भवन में कहां लगा सेंगोल?

बता दें कि नए संसद भवन में सेंगोल को स्पीकर के आसन के पास लगाया जाएगा। गृह मंत्री अमित शाह ने बताया था कि इस पवित्र सेंगोल को किसी संग्रहालय में रखना अनुचित है। सेंगोल की स्थापना के लिए संसद भवन से अधिक उपयुक्त, पवित्र और उचित स्थान कोई हो ही नहीं सकता। इसलिए जब संसद भवन देश को समर्पण होगा, उसी दिन प्रधानमंत्री मोदी बड़ी विनम्रता के साथ तमिलनाडु से आए सेंगोल को स्वीकार करेंगे और लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास इसे स्थापित करेंगे।

चोल वंश से क्या रिश्ता?

सेंगोल का इतिहास सदियों पुराना है, इसका रिश्ता चोल साम्राज्य से रहा है।

इतिहासकारों की मानें तो चोल साम्राज्य में राजदंड सेंगोल का इस्तेमाल सत्ता के हस्तांतरण के लिए किया जाता था।

उस दौर में जब सत्ता हस्तांतरित होती थी, तो मौजूदा राजा दूसरे राजा को सेंगोल सौंपता था। इस परंपरा की शुरूआत चोल साम्राज्य में हुई थी।

रामायण-महाभारत के दौर में भी राजदंड ‘सेंगोल’ को एक राजा से दूसरे राजा को सौंपे जाने का जिक्र भी मिलता रहा है।

‘सेंगोल’ के सबसे ऊपर नंदी की प्रतिमा स्थापित है। हिंदू व शैव परंपरा में नंदी समर्पण का प्रतीक है।

दक्षिण भारत के राज्यों में इसको खास महत्व दिया जाता है।

‘सेंगोल’ का क्या है अर्थ?

तमिल में इसे सेंगोल कहा जाता है और इसका अर्थ संपदा से संपन्न और ऐतिहासिक है। सेंगोल संस्कृत शब्द ‘संकु’ से लिया गया है, जिसका मतलब शंख है। सनातन धर्म में शंख को बहुत ही पवित्र माना जाता है। मंदिरों और घरों में आरती के दौरान शंख का इस्तेमाल आज भी किया जाता है।

कहां रखा है सेंगोल?

बता दें कि सेंगोल को इलाहाबाद के एक संग्रहालय में रखा गया था और अब नए संसद भवन में ले जाया जाएगा। अमित शाह ने बताया कि यह सेंगोल वही है जो स्वतंत्रता के समय पूर्व पीएम पंडित जवाहरलाल नेहरू को दिया गया था। पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 14 अगस्त, 1947 की रात लगभग 10:45 बजे तमिलनाडु के अधिनाम के माध्यम से सेंगोल को स्वीकार किया। जिसके बाद इसका इस्तेमाल सत्ता हस्तांतरण के लिए किया गया।

नेशनल

तीन महीने में दूसरी बार मेरा सामान सीएम आवास से निकालकर सड़क पर फेंक दिया गया : आतिशी

Published

on

Loading

नई दिल्ली। दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने मंगलवार को केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सोमवार को उनका सामान सीएम आवास से बाहर कर दिया गया। भाजपा की अगुवाई वाली इस सरकार ने चिट्ठी भेजकर मुख्यमंत्री आवास का आवंटन रद्द कर दिया है। आतिशी ने कहा कि ‘ऐसा तीन महीने में दूसरी बार हुआ है। तीन महीने पहले भी उनका सामान सीएम आवास से निकालकर सड़क पर फेंक दिया गया।’ आप नेता ने कहा कि भाजपा को लगता है कि यह सब करके वह हमें काम करने से रोक देगी लेकिन वह हमारे काम रोक सकती है लेकिन लोगों के प्रति काम करने की जो हमारे अंदर भावना है, उसे वह नहीं रोक पाएगी।’

आतिशी ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, “भाजपा ने तीन महीने में दो बार मुझसे मेरा आवास छीना है। अगर जरूरत पड़ी तो मैं दिल्ली वालों के घर में जाकर रहूंगी लेकिन दिल्ली वालों के काम नहीं रुकेंगे।” आतिशी ने कहा कि दिल्ली के चुनाव की घोषणा जिस दिन होती है उससे पिछली रात को भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार ने जो मेरा सरकारी आवास है, उससे मुझे बाहर कर दिया है। भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार ने मुझे तीन महीने में दूसरी बार मुख्यमंत्री आवास से निकाल कर बाहर फेंक दिया है। मुख्यमंत्री आवास का अलॉटमेंट कैंसिल किया और मुख्यमंत्री आवास एक चुनी हुई सरकार की चुनी हुई मुख्यमंत्री से छीन लिया। तीन महीने पहले भी उन्होंने मुख्यमंत्री आवास से मेरा सामान, मेरे परिवार का सामान घर से निकालकर सड़क पर फेंक दिया था। भारतीय जनता पार्टी को लगता है कि वह घर छीनकर, हमारे साथ गाली गलौज करने से मेरे परिवार के बारे में निचले स्तर की बातें करके हमारे काम रोक देंगे।

उन्होंने कहा कि मैं दिल्ली वालों को यह कहना चाहूंगी कि अगर जरूरत पड़े तो मैं आपके घर पर जाकर रहूंगी और आपके घर से दिल्ली वालों के लिए काम करूंगी। दोगुनी स्पीड से काम करूंगी, दोगुने जज्बे से काम करूंगी। भारतीय जनता पार्टी को यह बताने के लिए काम करूंगी कि आप हम पर कोई भी अत्याचार कर लीजिए, हमें कितना भी परेशान कर लीजिए, हम दिल्ली वालों के काम रुकने नहीं देंगे।

उन्होंने कहा कि तीन महीने पहले मेरा सामान सड़क पर भले फेंक दिया था। उसके बाद तीन महीने में मैंने दिल्ली की सड़क ठीक करवाई। मैंने दिल्ली में फ्लाईओवर बनवाए। मैंने दिल्ली में स्कूल बनवाए, मोहल्ला क्लीनिक में जो टेस्ट रुके हुए थे वो टेस्ट शुरू करवाए। उन्होंने कहा कि जब भाजपा वालों ने मुझे मुख्यमंत्री आवास से बाहर निकाल कर फेंक है। अब वह याद रखें कि आज मैं यह प्रण ले रही हूं दिल्ली की हर महिला को 2,100 रुपये दिलवा कर रहूंगी। संजीवनी योजना के तहत दिल्ली के हर बुजुर्ग को सरकारी अस्पताल में प्राइवेट अस्पताल में फ्री इलाज करवा कर रहूंगी। दिल्ली के हर पुजारी और हर ग्रंथी को हर महीने 18,000 रुपये की सम्मान राशि दिलवा कर रहूंगी। भारतीय जनता पार्टी वाले समझ लें कि आम आदमी पार्टी का एक-एक कार्यकर्ता, एक एक नेता और मुख्यमंत्री अपने सिर पर कफन बांधकर निकला है। दिल्ली वालों के लिए काम करने के लिए निकला है। आप हमें जितना परेशान करेंगे, हम और ज्यादा जज्बे से काम करेंगे।

Continue Reading

Trending