उत्तर प्रदेश
महाकुम्भ में श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए जारी हो रहे छह रंग के ई-पास
महाकुम्भनगर| महाकुम्भ में श्रद्धालुओं की सुविधा, सुगम व्यवस्था और सुरक्षा के लिए छह रंग के ई-पास जारी किए जा रहे हैं। पुलिस से लेकर अखाड़े और वीआईपी तक के लिए अलग-अलग रंग के ई-पास जारी किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए सभी जरूरी इंतजाम पूरे कर लिए गए हैं। कैटेगरी के आधार पर कोटा निर्धारित किया जा रहा है। देश विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न होने पाए इस लिहाज से विभागीय स्तर पर नोडल अधिकारी भी नामित किए जा रहे हैं।
इस तरह जारी होंगे अलग अलग ई-पास
उच्च न्यायालय, वीआईपी, विदेशी राजदूत, विदेशी नागरिक और अप्रवासीय भारतीयों के साथ केंद्र, राज्य के विभाग के लिए सफेद रंग का ई-पास जारी किया जा रहा है। अखाड़ों और संस्थाओं को केसरिया रंग का ई-पास प्रदान किया जा रहा है। वहीं, कार्यदायी संस्थाओं, वेंडर, फूड कोर्ट और मिल्क बूथ के लिए पीले रंग का ई-पास जारी किया जा रहा है। मीडिया को आसमानी, पुलिस बल को नीला और आपातकालीन और आवश्यक सेवाओं के लिए लाल रंग का ई-पास प्रदान किया जा रहा है।
सभी सेक्टर में सुनिश्चित की गई वाहन पार्किंग की व्यवस्था
महाकुम्भ के अवसर पर श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए सभी जरूरी इंतजाम किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का अफसरों को स्पष्ट निर्देश है कि देश दुनिया के कोने-कोने से आने वाले एक भी श्रद्धालु को किसी प्रकार की असुविधा न होने पाए। इसी के मद्देनजर मेला प्राधिकरण की ओर से सभी सेक्टर में वाहन पार्किंग की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। निकटतम पार्किंग तक पहुंचाने के लिए सभी विभागों, कार्यदायी संस्थाओं के प्रतिनिधियों के वाहनों के ई-पास जारी किए जाने हैं। वाहनों के पास के लिए कैटेगरी के आधार पर कोटा निर्धारित किया गया है, जिसके अनुरूप वाहन पास के अनुमोदन के लिए प्रत्येक विभाग के स्तर से नोडल अधिकारी नामित किया जा रहा है। उनकी संस्तुति के आधार पर ही वाहन पास के लिए जरूरी सभी विवरण ऑनलाइन भरकर सबमिट किए जा रहे हैं।
यूपीडेस्को के माध्यम से ई-पास प्रणाली लागू करने की व्यवस्था
वाहन ई-पास के लिए उत्तर प्रदेश की नोडल आईटी संस्था यूपीडेस्को के माध्यम से ई-पास प्रणाली लागू करने की व्यवस्था की गई है। व्यवस्था के सुचारु संचालन के लिए विभिन्न विभागों के नोडल अधिकारी, मेला पुलिस, सभी संस्थाओं के वाहन पास के आवदेनों का सत्यापन निर्धारित कोटा के आधार पर करेंगे।
आवेदन करने से पहले जरूरी हैं ये सभी कागजात
आवेदन प्रक्रिया के अंतर्गत प्रत्येक वाहन पास के लिए आवेदक का व्यक्तिगत विवरण, कलर्ड पासपोर्ट फोटो, आधार कार्ड अथवा पैन कार्ड और वाहन का रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र एवं ड्राइविंग लाइसेंस की स्वहस्ताक्षरित छाया प्रति लेनी होगी। यूपीडेस्को की ओर से अनुबंधित कार्यदायी संस्था के प्रतिनिधि की ओर से अस्थायी मेला पुलिस स्थल पर अनुमोदित ई-पास को प्रिंट कर मेला पुलिस कार्यालय से ही उपलब्ध कराया जाएगा।
उत्तर प्रदेश
यूपी ने बाजी मारी, टीबी नोटिफिकेशन में देश में अव्वल
लखनऊ: प्रदेश की झोली में एक और उपलब्धि आई है। ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) के मरीजों की पहचान व इलाज करने में उत्तर प्रदेश 2024 में भी अव्वल रहा है। प्रदेश को बीते साल साढ़े छह लाख मरीजों के चिन्हिकरण का लक्ष्य मिला था। उसके सापेक्ष 6.73 लाख मरीजों की पहचान की गई। ये रिकार्ड है। 2023 में भी प्रदेश ने साढ़े लाख मरीजों के लक्ष्य का आंकड़ा पार किया था। दूसरे स्थान पर महराष्ट्र व तीसरे स्थान पर बिहार का नाम दर्ज है। इसके बाद मध्यप्रदेश व राजस्थान ने नोटिफिकेशन किया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि देश-प्रदेश से टीबी उन्मूलन का एक ही तरीका है कि ज्यादा से ज्यादा मरीजों का चिन्हिकरण व इलाज किया जाए। इसी के मद्देनजर केंद्रीय टीबी डिवीजन ने सभी प्रदेशों को 2024 की शुरुआत में टीबी नोटिफिकेशन का लक्ष्य तय किया था। उत्तर प्रदेश को 6.5 लाख मरीज खोजने का लक्ष्य दिया गया था।
विभागीय आंकड़ों के मुताबिक 31 दिसंबर तक प्रदेश में 6 लाख 73 हजार टीबी मरीजों की पहचान हुई। इन सभी का इलाज शुरू हो चुका है। टीबी नोटिफिकेशन के लक्ष्य को छू पाने में प्राइवेट डाक्टरों की भूमिका भी सराहनीय रही है। प्रदेश में ढाई लाख से ज्यादा मरीजों की पहचान यानी तकरीबन 40 प्रतिशत मरीज प्राइवेट डाक्टरों के माध्यम से पंजीकृत हुए हैं।
उत्तर प्रदेश के बाद महराष्ट्र में सवा दो लाख मरीजों का पंजीकरण हुआ। तीसरे नंबर पर बिहार में दो लाख मरीज चिंहित किए जा सके। मध्य प्रदेश में 1.78 लाख व राजस्थान में 1.70 लाख मरीजों का चिन्हिकरण किया हुआ।
राज्य टीबी अधिकारी डॉ शैलेंद्र भटनागर ने इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि शीर्ष नेतृत्व के मार्गदर्शन में पूरे वर्ष विभिन्न कार्यक्रम जैसे हर माह की 15 तारीख को एकीकृत निक्षय दिवस, एक्टिव केस फाइंडिंग (एसीएफ) अभियान व दस्तक अभियान चलाए गए जिससे हम ज्यादा से ज्यादा टीबी के लक्षण वाले मरीजों को खोज पाए। इस वक्त 100 दिवसीय सघन टीबी अभियान पूरे प्रदेश में चल रहा है जिसके माध्यम से उच्च जोखिम वाले व प्रिजेम्टिव टीबी वाले केसों को खोजने पर पूरे विभाग का ध्यान केंद्रित है।
टीबी का उन्मूलन प्राइवेट डाक्टरों की सहभागिता के बिना नहीं हो सकता। यह एक कड़वा सच है। उत्तर प्रदेश में मथुरा, आगरा, कानपुर, गोरखपुर व झांसी ने इस मामले में बेहतर प्रदर्शन किया है। लखनऊ, मेरठ, मुरादाबाद, बरेली व गाजियाबाद में भी प्राइवेट डाक्टर सक्रियता दिखा रहे हैं लेकिन श्रावस्ती में बीते साल सिर्फ 44 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं।
इसके अलावा महोबा में 255, सोनभद्र में 374, चित्रकूट में 376, हमीरपुर में 380, कन्नौज में 444, सुल्तानपुर में 444, अमेठी में 447, संतरवीदास नगर में 456, चंदौली में 488 और कानपुर देहात में सिर्फ 468 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं। इन जनपदों में प्राइवेट डाक्टरों की प्रतिभागिता बढ़े जाने की जरूरत है।
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