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बिजनेस

टाटा मोटर्स ने इलेक्ट्रिक व्‍हीकल फाइनेंस के लिए HDFC बैंक के साथ की साझेदारी

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Tata Motors partners with HDFC Bank

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मुंबई।  देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने का चलन बढ़ाने के प्रयास में,  देश के प्रमुख ऑटोमोबाइल निर्माता, टाटा मोटर्स (Tata Motors ) ने देश के निजी क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक एचडीएफसी के साथ साझेदारी की है। इस साझेदारी के तहत एचडीएफसी बैंक अधिकृत पैंसेजर ईवी डीलर्स को इलेक्ट्रिक व्‍हीकल डीलर फाइनेंसिग सॉल्यूशन मुहैया कराएगा।

इस योजना के तहत टाटा मोटर्स रेपो रेट से जुड़े लेंडिंग रेट (आरएलएलआर) आकर्षक दाम के साथ अपने डीलर्स को अतिरिक्‍त इनवेंट्री फंडिंग भी प्रदान करेगा, जो उनकी आईसीई की फाइनेंस लिमिट से ज्यादा है। लोन लौटाने की अवधि 60 से 75 दिन की होगी। उच्‍च मांग के चरणों की जरूरत को पूरा करने के लिए, बैंक अतिरिक्‍त लिमिट भी देगा, जो डीलर्स को एक साल में तीन बार उपलब्ध होगी।

इस साझेदारी के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर टाटा पैसैंजर इलेक्ट्रिक मोबिलिटी लिमिटेड में चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर और टाटा पैसेंजर व्‍हीकल्‍स लिमिटेड के डायरेक्टर आसिफ मालबरी और एचडीएफसी बैंक के ग्रुप हेड-रिटेल एसेट्स अरविंद कपिल ने हस्ताक्षर किए।

फाइनेंस स्कीम शुरू होने पर टाटा पैसेंजर इलेक्ट्रिकल मोबिलिटी लिमिटेड के चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर और टाटा मोटर्स पैसेंजर व्हीकल्स लिमिटेड के डायरेक्टर आसिफ मालबरी  ने कहा, “हम अपने अधिकृत इलेक्ट्रिक पैसेंजर वाहन डीलर पार्टर्नर्स के लिए एचडीएफसी से जुड़कर काफी उत्साहित हैं। हमारे डीलर्स ने इलेक्ट्रिक वाहन को तेजी से अपनाने में हमें लगातार सहयोग दिया है।

एचडीएफसी बैंक के साथ साझेदारी यातायात के प्रदूषण मुक्त साधनों को हासिल करने को हमारे विजन में सहयोग प्रदान करेगा। हमें आशा है कि इस तरह की साझेदारी से हमारे उपभोक्ताओं के लिए इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने का अनुभव और आसान हो जाएगा। इससे टाटा कारों की कुल खरीदारी के अनुभव पर सकारात्मक असर पड़ेगा।”

एचडीएफसी बैंक में रिटेल एसेट्स के ग्रुप हेड अरविंद कपिल ने इस साझेदारी के बारे में कहा, “हम एचडीएफसी बैंक में इस कार्यक्रम से जुड़कर काफी प्रसन्न हैं। यह हमें अनुकूल फाइनेंसिंग प्रोग्राम से नई उपभोक्ता श्रेणियों का लाभ उठाने  में मदद करेगा। इससे  देश भर में इलेक्ट्रिक वाहनों की संस्कृति को आगे बढ़ाने का मौका मिलेगा। यह 2031-32 तक कार्बन न्‍यूट्रल बनने की दिशा में हमारे सफर में एक और पड़ाव है।”

टाटा मोटर्स अपने अग्रणी प्रयासों से भारत के ऑटमोबाइल बाजार में क्रांति ला रहा है और यह भारत में ई-मोबिलिटी की लहर का नेतृत्व कर रही है। वित्तीय वर्ष 2022 मे कंपनी की बाजार में 89 फीसदी हिस्‍सेदारी थी और व्यक्तिगत और बेड़े की श्रेणियों में आज की तारीख में टाटा के 50,000 इलेक्ट्रक वाहन बनाए जा चुके हैं।

Tata Motors के विषय में

टाटा मोटर्स लिमिटेड 128 बिलियन अमेरिकी डॉलर के टाटा समूह का हिस्‍सा है और यह 37 बिलियन अमेरिकी डॉलर का संगठन है। यह दुनिया भर में प्रमुख ऑटोमोबाइल निर्माता कंपनी है, जो कारों, यूटिलिटी वाहनों, पिकअप ट्रक और बस का उत्‍पादन करता है।

यह एकीकृत, स्मार्ट और ई-मोबिलिटी समाधानों की व्‍यापक श्रृंखला की पेशकश करती है। टाटा मोटर्स ब्रैंड का वादा है– ‘कनेक्टिंग एस्पिरेशंस’ और यह कमर्शल वाहनोंके क्षेत्र में भारत का मार्केट लीडर है और यात्री वाहन बाजार में टॉप 3 ब्रैंड्स में से एक है।

टाटा मोटर्स नई पीढ़ी के उपभोक्ताओं को प्रभावित करने के लिए नए नए प्रॉडक्ट्स ला रहा है। आधुनिक डिजाइन और भारत में रिसर्च और डिवेलपमेंट सेंटर टाटा मोटर्स के वाहनों की लोकप्रियता को और बढ़ा रहे हैं।  भारत के अलावा ब्रिटेन, अमेरिका, इटली और दक्षिण कोरिया में कंपनी के आर एंड डी सेंटर हैं।

इंजीनियरिंग और तकनीक में सक्षम ऑटोमटिव सोल्यूशंस  भविष्य में मोबलिटी की जरूरत को पूरा करते हैं।  कंपनी के इनोवेशन के प्रयास का फोकस अग्रणी तकनीक पर है, जो ठोस होने के साथ ही मार्केट की महत्वाकांक्षाओं पर खरी उतरती है। कंपनी आगे बढ़कर इलेक्ट्रिक वाहन को अपनाने के लिए लोगों को प्रेरित कर रही है।

कंपनी एक सुनियोजित रणनीति बनाकर ठोस मोबिलिटी सोल्यूशन अपनाने के लिए लोगों को प्रेरित कर रहा है। इस कार्य ने कंपनी ने ग्रुप की बाकी कंपनियों से सामंजस्य बना कर रखा है। कंपनी नीतिगत ढांचे को विकसित करने के लिए सरकार के साथ सहयोग की सक्रिय भूमिका निभा रही है।

कंपनी की गतिविधियों का संचालन भारत, ब्रिटेन, दक्षिण कोरिया, थाइलैंड, दक्षिणी अफ्रीका और इंडोनेशिया में हो रहा है। टाटा मोटर्स के वाहनों की मार्केटिंग अफ्रीका, मध्यपूर्व, दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अमेरिका, रूस और दूसरे सीआईएस देशों में हो रही है।

31 मार्च 2022 तक, टाटा मोटर्स के संचालन में उनकी सब्सिडिएरीज सहित 86 समेकित सहायक इकाइयां, दो संयुक्त संचालन, चार संयुक्त उपक्रम और 10 इक्विटी अकाउंट वाले एसोसिएट्स शामिल हैं। इन सभी पर कंपनी ने महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है।

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जेट एयरवेज की संपत्तियों की होगी बिक्री

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश को रद्द करते हुए दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के अनुसार निष्क्रिय जेट एयरवेज के परिसमापन का आदेश दिया। एनसीएलएटी ने पहले कॉरपोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के हिस्से के रूप में जालान कालरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को एयरलाइन के स्वामित्व के हस्तांतरण को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी करते हुए कहा कि जेकेसी संकल्प का पालन करने में विफल रहा क्योंकि वह 150 करोड़ रुपये देने में विफल रहा, जो श्रमिकों के बकाया और अन्य आवश्यक लागतों के बीच हवाई अड्डे के बकाया को चुकाने के लिए 350 करोड़ रुपये की पहली राशि थी। नवीनतम निर्णय एयरलाइन के खुद को पुनर्जीवित करने के संघर्ष के अंत का प्रतीक है।

NCLT को लगाई फटकार

पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति पारदीवाला ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ एसबीआई तथा अन्य ऋणदाताओं की याचिका को स्वीकार कर लिया। याचिका में जेकेसी के पक्ष में जेट एयरवेज की समाधान योजना को बरकरार रखने के फैसले का विरोध किया गया है। न्यायालय ने कहा कि विमानन कंपनी का परिसमापन लेनदारों, श्रमिकों और अन्य हितधारकों के हित में है। परिसमापन की प्रक्रिया में कंपनी की संपत्तियों को बेचकर प्राप्त धन से ऋणों का भुगतान किया जाता है। पीठ ने एनसीएलएटी को, उसके फैसले के लिए फटकार भी लगाई।

शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल किया, जो उसे अपने समक्ष लंबित किसी भी मामले या मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए आदेश तथा डिक्री जारी करने का अधिकार देता है। एनसीएलएटी ने बंद हो चुकी विमानन कंपनी की समाधान योजना को 12 मार्च को बरकरार रखा था और इसके स्वामित्व को जेकेसी को हस्तांतरित करने की मंजूरी दी थी। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और जेसी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया था।

 

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