Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

उत्तर प्रदेश

देवताओं के सेनापति भगवान कार्तिकेय की धर्म ध्वजा लेकर हुआ श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े का छावनी प्रवेश

Published

on

Loading

महाकुम्भनगर। सनातन धर्म और संस्कृति के महापर्व, महाकुम्भ का आयोजन प्रयागराज में संगम तट पर होने जा रहा है। महाकुम्भ के सबसे बड़े आकर्षण साधु-संन्यासियों के अखाड़ों का प्रवेश मेला क्षेत्र में होने लगा है। परम्परा अनुसार धर्म की रक्षा के लिए आदि शंकराचार्य की प्रेरणा से बने 13 अखाड़े अपने-अपने क्रम से छावनी प्रवेश कर रहे हैं। इसी क्रम में शनिवार को श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी का महाकुम्भ में दिव्य भव्य छावनी प्रवेश हुआ। निरंजनी अखाड़े की छावनी प्रवेश यात्रा को देखने हजारों की संख्या में प्रयागराजवासी सड़कों पर मौजूद थे। अखाड़े के साधु-संतों पर जगह-जगह पुष्प वर्षा कर उनका स्वागत और अभिनंदन किया गया।

बाघम्बरी गद्दी से निकल कर दिव्य-भव्य छावनी प्रवेश यात्रा पहुंची महाकुम्भ मेला क्षेत्र

आदि शंकराचार्य की प्रेरणा से 726 ईस्वी में स्थापित हुए श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े की महाकुम्भ में छावनी प्रवेश यात्रा का शुभारंभ प्रयागराज के बाघम्बरी गद्दी मठ से हुआ। छावनी प्रवेश यात्रा में सबसे आगे धर्म ध्वजा, अखाड़े का प्रतिनिधित्व करती हुई चल रही थी। उसके पीछे नागा संन्यासियों की टोली हाथों में चांदी के छत्र, छड़िया, भाले और तलवार लेकर ईष्ट देव भगवान कार्तिकेय की सवारी के साथ अगुवाई कर रही थी। ईष्ट देव की सवारी के पीछे ढोल-ताशे, लाव-लश्कर के साथ हाथी, घोड़ों और ऊंट पर सवार नागा संन्यासियों का जत्था चल रहा था। जो सभी नगरवासियों के लिए दुर्लभ दर्शन और आकर्षण का केंद्र बना।

अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्री रविंद्र पुरी ने कहा एकता और समरसता है निरंजनी अखाड़े का संदेश

छावनी प्रवेश यात्रा मठ बाघम्बरी गद्दी से निकल कर भरद्वाजपुरम् के लेबर चौहारे से मटियारा रोड होते हुए अलोपी देवी मंदिर तक पहुंची। यहां पर प्रवेश यात्रा के स्वागत के लिए प्रयागराज नगर निगम की ओर रंगोली बनाई गई थी और पुष्प वर्षा की जा रही थी। नागा संन्यासियों की टोली के साथ ही अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्री रविंद्र पुरी जी साधु-संतों के साथ चल रहे थे। उन्होंने बताया कि एकता और समरसता निरंजनी अखाड़े का मूल मंत्र है। महाकुम्भ की छावनी साधु-संन्यासियों के लिये शिक्षा-दीक्षा का केंद्र होती है। इस महाकुम्भ के अवसर पर निरंजनी अखाड़ा हजारों की संख्या में नये नागा संन्यासियों को दीक्षा देगा, जो आने वाले वर्षों में सनातन धर्म की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर देंगे।

आचार्य महामण्डलेश्वर कैलाशानंद गिरी भी हुए शामिल

निरंजनी अखाड़े की छावनी प्रवेश यात्रा में आनंद अखाड़ा भी परंपरा अनुसार साथ में ही प्रवेश करता है। प्रवेश यात्रा में अखाड़ों के आचार्य, मण्डलेश्वर फिर महामण्डलेश्व इनके बाद आचार्य महामण्डलेश्वर पद क्रमानुसार चल रहे थे। प्रवेश यात्रा में निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामण्डलेश्वर कैलाशानंद गिरी, बाघम्बरी गद्दी के पीठाधीश्वर बलबीर गिरी, साध्वी निरंजना ज्योति और सौकड़ों की संख्या में साधु-संन्यासी पैदल और रथों पर सवार होकर चल रहे थे। नगर प्रशासन और मेला प्राधिकरण के अधिकारियों ने साधु-संतों का माल्यार्पण और पुष्प वर्षा कर स्वगात किया। इसके पश्चात पांटून पुल से गुजर कर महाकुम्भ के आखाड़ा परिसर में छावनी प्रवेश हुआ। बाजे-गाजे और मंत्रोच्चार-पूजन के साथ ईष्ट देव भगवान कार्तिकेय को छावनी में स्थापित कर, साधु-संन्यासियों ने हर-हर महादेव और गंगा मईय्या की जय का उद्घोष किया।

Continue Reading

उत्तर प्रदेश

यूपी ने बाजी मारी, टीबी नोटिफिकेशन में देश में अव्वल

Published

on

Loading

लखनऊ: प्रदेश की झोली में एक और उपलब्धि आई है। ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) के मरीजों की पहचान व इलाज करने में उत्तर प्रदेश 2024 में भी अव्वल रहा है। प्रदेश को बीते साल साढ़े छह लाख मरीजों के चिन्हिकरण का लक्ष्य मिला था। उसके सापेक्ष 6.73 लाख मरीजों की पहचान की गई। ये रिकार्ड है। 2023 में भी प्रदेश ने साढ़े लाख मरीजों के लक्ष्य का आंकड़ा पार किया था। दूसरे स्थान पर महराष्ट्र व तीसरे स्थान पर बिहार का नाम दर्ज है। इसके बाद मध्यप्रदेश व राजस्थान ने नोटिफिकेशन किया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि देश-प्रदेश से टीबी उन्मूलन का एक ही तरीका है कि ज्यादा से ज्यादा मरीजों का चिन्हिकरण व इलाज किया जाए। इसी के मद्देनजर केंद्रीय टीबी डिवीजन ने सभी प्रदेशों को 2024 की शुरुआत में टीबी नोटिफिकेशन का लक्ष्य तय किया था। उत्तर प्रदेश को 6.5 लाख मरीज खोजने का लक्ष्य दिया गया था।

विभागीय आंकड़ों के मुताबिक 31 दिसंबर तक प्रदेश में 6 लाख 73 हजार टीबी मरीजों की पहचान हुई। इन सभी का इलाज शुरू हो चुका है। टीबी नोटिफिकेशन के लक्ष्य को छू पाने में प्राइवेट डाक्टरों की भूमिका भी सराहनीय रही है। प्रदेश में ढाई लाख से ज्यादा मरीजों की पहचान यानी तकरीबन 40 प्रतिशत मरीज प्राइवेट डाक्टरों के माध्यम से पंजीकृत हुए हैं।

उत्तर प्रदेश के बाद महराष्ट्र में सवा दो लाख मरीजों का पंजीकरण हुआ। तीसरे नंबर पर बिहार में दो लाख मरीज चिंहित किए जा सके। मध्य प्रदेश में 1.78 लाख व राजस्थान में 1.70 लाख मरीजों का चिन्हिकरण किया हुआ।

राज्य टीबी अधिकारी डॉ शैलेंद्र भटनागर ने इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि शीर्ष नेतृत्व के मार्गदर्शन में पूरे वर्ष विभिन्न कार्यक्रम जैसे हर माह की 15 तारीख को एकीकृत निक्षय दिवस, एक्टिव केस फाइंडिंग (एसीएफ) अभियान व दस्तक अभियान चलाए गए जिससे हम ज्यादा से ज्यादा टीबी के लक्षण वाले मरीजों को खोज पाए। इस वक्त 100 दिवसीय सघन टीबी अभियान पूरे प्रदेश में चल रहा है जिसके माध्यम से उच्च जोखिम वाले व प्रिजेम्टिव टीबी वाले केसों को खोजने पर पूरे विभाग का ध्यान केंद्रित है।

टीबी का उन्मूलन प्राइवेट डाक्टरों की सहभागिता के बिना नहीं हो सकता। यह एक कड़वा सच है। उत्तर प्रदेश में मथुरा, आगरा, कानपुर, गोरखपुर व झांसी ने इस मामले में बेहतर प्रदर्शन किया है। लखनऊ, मेरठ, मुरादाबाद, बरेली व गाजियाबाद में भी प्राइवेट डाक्टर सक्रियता दिखा रहे हैं लेकिन श्रावस्ती में बीते साल सिर्फ 44 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं।

इसके अलावा महोबा में 255, सोनभद्र में 374, चित्रकूट में 376, हमीरपुर में 380, कन्नौज में 444, सुल्तानपुर में 444, अमेठी में 447, संतरवीदास नगर में 456, चंदौली में 488 और कानपुर देहात में सिर्फ 468 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं। इन जनपदों में प्राइवेट डाक्टरों की प्रतिभागिता बढ़े जाने की जरूरत है।

Continue Reading

Trending