उत्तर प्रदेश
श्रद्धालुओं को गौरव की अनुभूति दे रही महाकुम्भ की सजावट
महाकुम्भ। प्रयागराज में सनातन धर्म के सबसे बड़े समागम महाकुम्भ 2025 को भव्य बनाने के लिए योगी सरकार कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। देश और दुनिया से करोड़ों श्रद्धालुओं का यहां पहंचना शुरू हो गया है और जो चीज उन्हें सबसे ज्यादा आकर्षित और गौरव की अनुभूति प्रदान कर रही है वो है यहां सी सजावट। महाकुम्भ के लिए पूरे प्रयागराज को विभिन्न माध्यमों से सजाया गया है। विभिन्न भाषाओं में साइनेजेस लगाए गए हैं, जबकि थीमैटिक लाइटिंग, फसाड लाइटिंग, स्तंभ, थीमैटिक इस्टॉलेशन समेत कलाकृतियों और म्यूरल पेंटिंग्स से शहर की सजावट की जा रही है। महाकुम्भ के दौरान त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगाने आ रहे श्रद्धालुओं को यह सजावट एक यादगार अनुभव प्रदान कर रही है।
विभिन्न भाषाओं में सुविधाजनक साइनेजेस स्थापित
श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पूरे प्रयागराज में बड़ी संख्या में साइनेजेस लगाए गए हैं, जो विभिन्न भाषाओं में हैं। इनमें सिटी एरिया में 610 तो मेला एरिया में 800 साइनेजेस लगाए जा रहे हैं। सिटी एरिया में साइनेज लगाने का काम पूरा हो चुका है, जबकि मेला एरिया में भी 90 प्रतिशत से ज्यादा साइनेज लगाए जा चुके हैं और तेजी से साइनेजेस लगाने का कार्य पूर्ण किया जा रहा है। यह साइनेजेस पीडब्ल्यूडी की ओर से लगाए जा रहे हैं। इनके माध्यम से समस्त भाषायी पर्यटक और श्रद्धालु अपने नियत स्थान पर पहुंचने में सक्षम हो रहे हैं।
सजावट में दिख रही संस्कृति की झलक
इसी तरह, शहर को सजाने के लिए विभिन्न कार्य पूरे हो रहे हैं। इसमें नगर निगम द्वारा थीमैटिक लाइटिंग के कार्य को पूरी गति से अंजाम दिया जा रहा है। पूरे शहर में कुल 3540 थीमैटिक लाइटिंग के पोल्स में से 95 प्रतिशत को लगा दिया गया है। बाकी कार्य भी जल्द पूरा कर लिया जाएगा। इसकी चमक लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है। वहीं, पर्यटन विभाग द्वारा सभी 8 लोकेशंस पर फसाड लाइटिंग का कार्य लगभग पूरा कर लिया गया है। इस फसाड लाइटिंग से धार्मिक स्थल और ऐतिहासिक महत्व वाले स्थलों की आभा दोगुनी हो गई है। सीएंडडीएस द्वारा 84 स्थलों पर स्तंभ लगाए जा रहे हैं, जो 90 प्रतिशत से ज्यादा लग भी चुके हैं। यह स्तंभ सांस्कृतिक झलक प्रस्तुत कर रहे हैं। वहीं विभाग द्वारा सभी चार स्थलों पर थीमैटिक इंस्टॉलेशन का कार्य भी पूरा कर लिया गया है।
यादगार बन रहा अनुभव
मेला क्षेत्र को अद्भुत छवि देने के लिए प्रयासरत प्रयागराज मेला प्राधिकरण की ओर से भी विभिन्न सौंदर्यीकरण के कार्य कराए गए हैं। इसमें 15 लाख स्क्वायर फीट से ज्यादा एरिया में कलाकृतियां लगाई गई हैं। कलाकृतियों के साथ-साथ म्यूरल पेंटिंग की जिम्मेदारी भी मेला प्राधिकरण की है, जिसे प्राधिकरण सफलतापूर्वक संचालित कर रहा है। पूरे मेला क्षेत्र समेत अन्य प्रमुख स्थानों पर कुल 0.33 लाख स्क्वायर फीट में म्यूरल पेंटिंग का कार्य समाप्ति की ओर बढ़ रहा है। इससे पूरे मेला क्षेत्र की आभा अलग ही दिखाई दे रही है, जो श्रद्धालुओं के अनुभव को यादगार बना रही है।
उत्तर प्रदेश
यूपी ने बाजी मारी, टीबी नोटिफिकेशन में देश में अव्वल
लखनऊ: प्रदेश की झोली में एक और उपलब्धि आई है। ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) के मरीजों की पहचान व इलाज करने में उत्तर प्रदेश 2024 में भी अव्वल रहा है। प्रदेश को बीते साल साढ़े छह लाख मरीजों के चिन्हिकरण का लक्ष्य मिला था। उसके सापेक्ष 6.73 लाख मरीजों की पहचान की गई। ये रिकार्ड है। 2023 में भी प्रदेश ने साढ़े लाख मरीजों के लक्ष्य का आंकड़ा पार किया था। दूसरे स्थान पर महराष्ट्र व तीसरे स्थान पर बिहार का नाम दर्ज है। इसके बाद मध्यप्रदेश व राजस्थान ने नोटिफिकेशन किया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि देश-प्रदेश से टीबी उन्मूलन का एक ही तरीका है कि ज्यादा से ज्यादा मरीजों का चिन्हिकरण व इलाज किया जाए। इसी के मद्देनजर केंद्रीय टीबी डिवीजन ने सभी प्रदेशों को 2024 की शुरुआत में टीबी नोटिफिकेशन का लक्ष्य तय किया था। उत्तर प्रदेश को 6.5 लाख मरीज खोजने का लक्ष्य दिया गया था।
विभागीय आंकड़ों के मुताबिक 31 दिसंबर तक प्रदेश में 6 लाख 73 हजार टीबी मरीजों की पहचान हुई। इन सभी का इलाज शुरू हो चुका है। टीबी नोटिफिकेशन के लक्ष्य को छू पाने में प्राइवेट डाक्टरों की भूमिका भी सराहनीय रही है। प्रदेश में ढाई लाख से ज्यादा मरीजों की पहचान यानी तकरीबन 40 प्रतिशत मरीज प्राइवेट डाक्टरों के माध्यम से पंजीकृत हुए हैं।
उत्तर प्रदेश के बाद महराष्ट्र में सवा दो लाख मरीजों का पंजीकरण हुआ। तीसरे नंबर पर बिहार में दो लाख मरीज चिंहित किए जा सके। मध्य प्रदेश में 1.78 लाख व राजस्थान में 1.70 लाख मरीजों का चिन्हिकरण किया हुआ।
राज्य टीबी अधिकारी डॉ शैलेंद्र भटनागर ने इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि शीर्ष नेतृत्व के मार्गदर्शन में पूरे वर्ष विभिन्न कार्यक्रम जैसे हर माह की 15 तारीख को एकीकृत निक्षय दिवस, एक्टिव केस फाइंडिंग (एसीएफ) अभियान व दस्तक अभियान चलाए गए जिससे हम ज्यादा से ज्यादा टीबी के लक्षण वाले मरीजों को खोज पाए। इस वक्त 100 दिवसीय सघन टीबी अभियान पूरे प्रदेश में चल रहा है जिसके माध्यम से उच्च जोखिम वाले व प्रिजेम्टिव टीबी वाले केसों को खोजने पर पूरे विभाग का ध्यान केंद्रित है।
टीबी का उन्मूलन प्राइवेट डाक्टरों की सहभागिता के बिना नहीं हो सकता। यह एक कड़वा सच है। उत्तर प्रदेश में मथुरा, आगरा, कानपुर, गोरखपुर व झांसी ने इस मामले में बेहतर प्रदर्शन किया है। लखनऊ, मेरठ, मुरादाबाद, बरेली व गाजियाबाद में भी प्राइवेट डाक्टर सक्रियता दिखा रहे हैं लेकिन श्रावस्ती में बीते साल सिर्फ 44 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं।
इसके अलावा महोबा में 255, सोनभद्र में 374, चित्रकूट में 376, हमीरपुर में 380, कन्नौज में 444, सुल्तानपुर में 444, अमेठी में 447, संतरवीदास नगर में 456, चंदौली में 488 और कानपुर देहात में सिर्फ 468 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं। इन जनपदों में प्राइवेट डाक्टरों की प्रतिभागिता बढ़े जाने की जरूरत है।
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