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उत्तर प्रदेश

मैड्रिड के इन्टरनेशनल टूरिज्म ट्रेड फेयर में विश्व को दिया जाएगा महाकुम्भ का निमंत्रण

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महाकुम्भनगर। उत्तर प्रदेश को पर्यटन के लिहाज से मोस्ट फेवर्ड डेस्टिनेशन के तौर पर प्रचारित-प्रसारित करने के प्रयास में एक कदम आगे बढ़ते हुए योगी सरकार स्पेन के मैड्रिड व जर्मनी के बर्लिन के टूरिज्म फेयर में उत्तर प्रदेश के टूरिज्म ऑफरिंग्स को शोकेस करने जा रही है। इस दौरान, प्रदेश में आयोजित हो रहे महाकुम्भ को भी मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के तौर पर इन दोनों ही टूरिज्म व ट्रेड फेयर में शोकेस किया जाएगा। सीएम योगी के विजन अनुसार, उत्तर प्रदेश में हो रहा महाकुम्भ 2025 धार्मिक, आध्यात्मिक और ऐतिहासिक धरोहर होने के साथ ही कई मायनों में विशिष्ट है और इसी विशिष्टता को इन दोनों प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय आयोजनो में पूरी प्रमुखता के साथ दर्शाने की तैयारी उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा कर ली गई है। इसमें न केवल सकल विश्व को इस विरासत का हिस्सा बनने और साक्षात्कार करने का निमंत्रण दिया जाएगा बल्कि इसकी विशिष्टताओं समेत उत्तर प्रदेश की अन्य टूरिज्म ऑफरिंग्स को शोकेस भी किया जाएगा।

थीमैटिक भव्य पंडाल का होगा दोनों ही टूरिज्म ट्रेड फेयर में संचालन

स्पेन की राजधानी मैड्रिड में 24 से 28 जनवरी के मध्य आयोजित इंटरनेशनल टूरिज्म ट्रेड फेयर में महाकुम्भ-2025 को केंद्रित करते हुए उत्तर प्रदेश की टूरिज्म ऑफरिंग्स को प्रदर्शित किया जाएगा। यहां 40 स्क्वेयर मीटर के थीमैटिक भव्य पवेलियन का निर्माण किया जाएगा। वहीं, जर्मनी के बर्लिन में 4 से 6 मार्च के बीच आयोजित होने वाले आईटीबी-बर्लिन-2025 में महाकुम्भ की सफलताओं को प्रदर्शित करने के साथ ही उत्तर प्रदेश की टूरिज्म ऑफरिंग्स को शेयर किया जाएगा। यहां भी 40 स्क्वेयर मीटर के भव्य पवेलियन का निर्माण किया जाएगा।

वीआईपी लाउंज का होगा निर्माण, विभिन्न सेशंस का होगा संचालन

इन दोनों ही स्थानों में बी2बी व बी2सी सेशंस के संचालन के लिए वीआईपी लाउंज बनाए जाएंगे, साथ ही अंग्रेजी समेत स्थानीय भाषाओं में प्रचार सामग्री भी उपलब्ध करायी जाएगी। यहां उत्तर प्रदेश को ब्रांड यूपी के तौर पर प्रोजेक्ट करने, बुद्ध और सनातन आस्था की भूमि के तौर पर प्रोजेक्ट करने के साथ ही सभी प्रमुख टूरिस्ट सेक्टर्स और प्रदेश में निवेशपरक माहौल के अंतर्गत विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए भावी निवेशकों से संवाद भी किया जाएगा। इन दोनों ही देशों समेत आस-पास के देशों के टूर ऑपरेटर्स समेत टूरिज्म सेक्टर से जुड़े विभिन्न स्टेकहोल्डर्स के साथ भी संवाद स्थापित किया जाएगा। यहां उत्तर प्रदेश की समृद्ध आध्यात्मिक, सांस्कृतिक थाती के साथ ही ओडीओपी प्रोडक्ट्स व राज्य के पारंपरिक उत्पादों को भी प्रमोट किया जाएगा।

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उत्तर प्रदेश

यूपी ने बाजी मारी, टीबी नोटिफिकेशन में देश में अव्वल

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लखनऊ: प्रदेश की झोली में एक और उपलब्धि आई है। ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) के मरीजों की पहचान व इलाज करने में उत्तर प्रदेश 2024 में भी अव्वल रहा है। प्रदेश को बीते साल साढ़े छह लाख मरीजों के चिन्हिकरण का लक्ष्य मिला था। उसके सापेक्ष 6.73 लाख मरीजों की पहचान की गई। ये रिकार्ड है। 2023 में भी प्रदेश ने साढ़े लाख मरीजों के लक्ष्य का आंकड़ा पार किया था। दूसरे स्थान पर महराष्ट्र व तीसरे स्थान पर बिहार का नाम दर्ज है। इसके बाद मध्यप्रदेश व राजस्थान ने नोटिफिकेशन किया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि देश-प्रदेश से टीबी उन्मूलन का एक ही तरीका है कि ज्यादा से ज्यादा मरीजों का चिन्हिकरण व इलाज किया जाए। इसी के मद्देनजर केंद्रीय टीबी डिवीजन ने सभी प्रदेशों को 2024 की शुरुआत में टीबी नोटिफिकेशन का लक्ष्य तय किया था। उत्तर प्रदेश को 6.5 लाख मरीज खोजने का लक्ष्य दिया गया था।

विभागीय आंकड़ों के मुताबिक 31 दिसंबर तक प्रदेश में 6 लाख 73 हजार टीबी मरीजों की पहचान हुई। इन सभी का इलाज शुरू हो चुका है। टीबी नोटिफिकेशन के लक्ष्य को छू पाने में प्राइवेट डाक्टरों की भूमिका भी सराहनीय रही है। प्रदेश में ढाई लाख से ज्यादा मरीजों की पहचान यानी तकरीबन 40 प्रतिशत मरीज प्राइवेट डाक्टरों के माध्यम से पंजीकृत हुए हैं।

उत्तर प्रदेश के बाद महराष्ट्र में सवा दो लाख मरीजों का पंजीकरण हुआ। तीसरे नंबर पर बिहार में दो लाख मरीज चिंहित किए जा सके। मध्य प्रदेश में 1.78 लाख व राजस्थान में 1.70 लाख मरीजों का चिन्हिकरण किया हुआ।

राज्य टीबी अधिकारी डॉ शैलेंद्र भटनागर ने इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि शीर्ष नेतृत्व के मार्गदर्शन में पूरे वर्ष विभिन्न कार्यक्रम जैसे हर माह की 15 तारीख को एकीकृत निक्षय दिवस, एक्टिव केस फाइंडिंग (एसीएफ) अभियान व दस्तक अभियान चलाए गए जिससे हम ज्यादा से ज्यादा टीबी के लक्षण वाले मरीजों को खोज पाए। इस वक्त 100 दिवसीय सघन टीबी अभियान पूरे प्रदेश में चल रहा है जिसके माध्यम से उच्च जोखिम वाले व प्रिजेम्टिव टीबी वाले केसों को खोजने पर पूरे विभाग का ध्यान केंद्रित है।

टीबी का उन्मूलन प्राइवेट डाक्टरों की सहभागिता के बिना नहीं हो सकता। यह एक कड़वा सच है। उत्तर प्रदेश में मथुरा, आगरा, कानपुर, गोरखपुर व झांसी ने इस मामले में बेहतर प्रदर्शन किया है। लखनऊ, मेरठ, मुरादाबाद, बरेली व गाजियाबाद में भी प्राइवेट डाक्टर सक्रियता दिखा रहे हैं लेकिन श्रावस्ती में बीते साल सिर्फ 44 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं।

इसके अलावा महोबा में 255, सोनभद्र में 374, चित्रकूट में 376, हमीरपुर में 380, कन्नौज में 444, सुल्तानपुर में 444, अमेठी में 447, संतरवीदास नगर में 456, चंदौली में 488 और कानपुर देहात में सिर्फ 468 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं। इन जनपदों में प्राइवेट डाक्टरों की प्रतिभागिता बढ़े जाने की जरूरत है।

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