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उत्तर प्रदेश

जल, थल और नभ तीनों स्तर पर होगी श्रद्धालुओं की सुरक्षा: डीजीपी

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महाकुम्भ नगर। महाकुम्भ 2025 में श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर योगी सरकार ने वृहद तैयारी की है। जल, थल और नभ तीनों स्तर पर सुरक्षा के इंतजाम किए जा रहे हैं। इन्हीं सुरक्षा इंतजामों को परखने के लिए शनिवार को उत्तर प्रदेश के डीजीपी प्रशांत कुमार प्रयागराज पहुंचे। उन्होंने सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेने के साथ ही उच्च अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक भी की। इस दौरान उन्होंने मीडिया से वार्ता करते हुए स्पष्ट किया कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा प्रदेश पुलिस की प्राथमिकता में है और इसके लिए सभी स्तरों पर तैयारी पूरी कर ली गई है।

सबसे बड़े समागम को लेकर वृहद तैयारी

मीडिया के साथ बातचीत में उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के निर्देश पर सुरक्षा की पुख्ता तैयारी की गई है। मुख्य स्नान के दिन जल, थल और नभ तीनों स्तर पर श्रद्धालुओं की सुरक्षा करने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि महाकुम्भ हमारे लिए बहुत बड़ा अवसर है, जब इस पूरी पृथ्वी पर इतना बड़ा मानव समागम होने जा रहा है। लगभग 40 से 50 करोड़ लोग इस 45 दिन में यहां पर आएंगे। बहुत बड़ी संख्या में विदेशी श्रद्धालु भी यहां पर उपस्थित रहेंगे। उन्होंने कहा कि महाकुम्भ को लेकर पिछले कुछ माह से युद्ध स्तर पर तैयारी की जा रही हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर, इक्विपमेंट और मैनपॉवर सभी कुछ अनुकूल है। हमारी तैयारी भी अच्छी है और इसको और बेहतर बनाने के प्रयास कर रहे हैं। इस बार आपदा प्रबंधन फायर सेफ्टी तथा ट्रैफिक के लिए विशेष फंड्स जारी किए गए हैं।

अत्याधुनिक इक्विपमेंट्स मंगाए गए

उन्होंने कहा कि यहां पर किसी तरह की कोई कठिनाई न हो इसके लिए सभी तरह के अत्याधुनिक इक्विपमेंट यहां आ चुके हैं। यहां इंटरसेप्टर डेप्लॉय हो चुके हैं। टीथर्ड ड्रोन भी भारी संख्या में तैनात हैं, एंटी ड्रोन सिस्टम भी यहां लगाया गया है। हमारा जो वाटर फ्रंट है उसको इस बार पिछले कुम्भ की तुलना में और अधिक मजबूत किया गया है। उन्होंने कहा कि मेला क्षेत्र में घाट की संख्या और क्षमता इसीलिए बढ़ाई गई है कि जो भी श्रद्धालु जिस रूट से भी आ रहे हैं, वह वही स्नान करें और निर्धारित रूट के माध्यम से वापस जाएं। रेलवे के साथ भी हमारा एक बहुत अच्छा समन्वय है। उन्होंने कहा कि साइबर से जुड़े जो मामलों को लेकर भी हम सजगता से कार्य कर रहे हैं। साइबर इसी सिस्टम को कैसे सिक्योर किया जाए यह भी विभिन्न दक्ष एजेंसियों के माध्यम से सुनिश्चित किया गया है।

40% अधिक फोर्स की गई डिप्लॉय

डीजीपी ने आतंकी खतरों और थ्रेट्स को लेकर कहा कि एटीएस की हमारी पैरा कमांडो की टीम यहां पहुंच चुकी है। हम विभागीय समन्वय और कंट्रोल रूम के माध्यम से सभी तरह के खतरों को गंभीर मानकर उनकी मॉनिटरिंग और कार्रवाई कर रहे हैं। उन्होंने कहा महाकुम्भ की सात चक्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित किया गया है और अंतरराष्ट्रीय और अंतरराज्यीय बॉर्डर से लेकर कुम्भ क्षेत्र तक सुरक्षा घेरा तैयार किया गया है। इसके अलावा पिछले कुम्भ से 40% अधिक फोर्स को यहां पर डेप्लॉय कर दिया गया है।

सुरक्षा व्यवस्था का लिया जायजा

इससे पूर्व डीजीपी उत्तर प्रदेश ने सिविल लाइन्स थाने का निरीक्षण किया। यहां से वह वीआईपी घाट पहुंचे, जहां उन्होंने पुलिस टीम का संयुक्त मॉक ड्रिल देखा। इसके बाद वह बोटिंग करते हुए संगम पहुंचे और व्यवस्था देखी। साथ ही उन्होंने यहां आचमन भी किया। इसके बाद उन्होंने एटीएस की भी मॉक ड्रिल देखी। इसके बाद उन्होंने बड़े हनुमान जी का दर्शन किया तथा एसएसपी कुम्भ के कार्यालय का उद्घाटन और निरीक्षण किया। उन्होंने अक्षयवट थाने का भी निरीक्षण किया और सिपाहियों और दरोगाओं के साथ संवाद किया। इसके बाद उन्हें टीथर्ड ड्रोन और गाड़ियों का डेमो दिखाया गया। सुरक्षा व्यवस्था को लेकर उच्च स्तरीय बैठक में उन्होंने ट्रैफिक व्यवस्था, रेलवे स्टेशन, बस स्टॉप पर सुरक्षा प्रबंध की जानकारी ली। इस अवसर पर उन्हें साइबर क्राइम पर फ़िल्म भी दिखाई गई।

उत्तर प्रदेश

यूपी ने बाजी मारी, टीबी नोटिफिकेशन में देश में अव्वल

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लखनऊ: प्रदेश की झोली में एक और उपलब्धि आई है। ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) के मरीजों की पहचान व इलाज करने में उत्तर प्रदेश 2024 में भी अव्वल रहा है। प्रदेश को बीते साल साढ़े छह लाख मरीजों के चिन्हिकरण का लक्ष्य मिला था। उसके सापेक्ष 6.73 लाख मरीजों की पहचान की गई। ये रिकार्ड है। 2023 में भी प्रदेश ने साढ़े लाख मरीजों के लक्ष्य का आंकड़ा पार किया था। दूसरे स्थान पर महराष्ट्र व तीसरे स्थान पर बिहार का नाम दर्ज है। इसके बाद मध्यप्रदेश व राजस्थान ने नोटिफिकेशन किया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि देश-प्रदेश से टीबी उन्मूलन का एक ही तरीका है कि ज्यादा से ज्यादा मरीजों का चिन्हिकरण व इलाज किया जाए। इसी के मद्देनजर केंद्रीय टीबी डिवीजन ने सभी प्रदेशों को 2024 की शुरुआत में टीबी नोटिफिकेशन का लक्ष्य तय किया था। उत्तर प्रदेश को 6.5 लाख मरीज खोजने का लक्ष्य दिया गया था।

विभागीय आंकड़ों के मुताबिक 31 दिसंबर तक प्रदेश में 6 लाख 73 हजार टीबी मरीजों की पहचान हुई। इन सभी का इलाज शुरू हो चुका है। टीबी नोटिफिकेशन के लक्ष्य को छू पाने में प्राइवेट डाक्टरों की भूमिका भी सराहनीय रही है। प्रदेश में ढाई लाख से ज्यादा मरीजों की पहचान यानी तकरीबन 40 प्रतिशत मरीज प्राइवेट डाक्टरों के माध्यम से पंजीकृत हुए हैं।

उत्तर प्रदेश के बाद महराष्ट्र में सवा दो लाख मरीजों का पंजीकरण हुआ। तीसरे नंबर पर बिहार में दो लाख मरीज चिंहित किए जा सके। मध्य प्रदेश में 1.78 लाख व राजस्थान में 1.70 लाख मरीजों का चिन्हिकरण किया हुआ।

राज्य टीबी अधिकारी डॉ शैलेंद्र भटनागर ने इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि शीर्ष नेतृत्व के मार्गदर्शन में पूरे वर्ष विभिन्न कार्यक्रम जैसे हर माह की 15 तारीख को एकीकृत निक्षय दिवस, एक्टिव केस फाइंडिंग (एसीएफ) अभियान व दस्तक अभियान चलाए गए जिससे हम ज्यादा से ज्यादा टीबी के लक्षण वाले मरीजों को खोज पाए। इस वक्त 100 दिवसीय सघन टीबी अभियान पूरे प्रदेश में चल रहा है जिसके माध्यम से उच्च जोखिम वाले व प्रिजेम्टिव टीबी वाले केसों को खोजने पर पूरे विभाग का ध्यान केंद्रित है।

टीबी का उन्मूलन प्राइवेट डाक्टरों की सहभागिता के बिना नहीं हो सकता। यह एक कड़वा सच है। उत्तर प्रदेश में मथुरा, आगरा, कानपुर, गोरखपुर व झांसी ने इस मामले में बेहतर प्रदर्शन किया है। लखनऊ, मेरठ, मुरादाबाद, बरेली व गाजियाबाद में भी प्राइवेट डाक्टर सक्रियता दिखा रहे हैं लेकिन श्रावस्ती में बीते साल सिर्फ 44 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं।

इसके अलावा महोबा में 255, सोनभद्र में 374, चित्रकूट में 376, हमीरपुर में 380, कन्नौज में 444, सुल्तानपुर में 444, अमेठी में 447, संतरवीदास नगर में 456, चंदौली में 488 और कानपुर देहात में सिर्फ 468 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं। इन जनपदों में प्राइवेट डाक्टरों की प्रतिभागिता बढ़े जाने की जरूरत है।

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