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उत्तर प्रदेश

30 हजार मेगावाट से ज्यादा मांग के अनुरूप विद्युत आपूर्ति करने वाला देश का पहला राज्य बना यूपी

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य है जिसने 30 हजार मेगावाट से ज्यादा मांग के अनुरूप विद्युत आपूर्ति करने का रिकार्ड बनाया है। 12 जून को उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन ने प्रदेश की अधिकतम डिमान्ड 30240 मेगावाट को पूरा किया। इसी दिन किसी भी दिवस की अधिकतम विद्युत खपत 653.526 मिलियन यूनिट (एमयू) का नया रिकार्ड भी बना।

लगातार दूसरे दिन टूटा रिकॉर्ड

उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन अध्यक्ष डॉ आशीष गोयल ने कहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं ऊर्जा मंत्री के मार्ग दर्शन और उनकी मंशा के अनुरूप प्रदेश में पहली बार गर्मी में उपभोक्ताओं को 24 घण्टे विद्युत आपूर्ति की जा रही है। अत्यधिक तापमान और गर्मी के कारण विद्युत मांग प्रतिदिन नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है और विदयुत कर्मियों की कर्मठता से आपूर्ति के रिकार्ड भी बन रहे है। 11 जून को प्रदेश के इतिहास में सर्वाधिक विद्युत मांग 29,820 मेगावाट पहुंच गई थी। विद्युत खपत भी लगभग 643 एमयू पहुंची थी। यह रिकार्ड 12 जून को टूट गया और नया रिकार्ड बना।

मई 2024 से लगातार बन रहे नए रिकॉर्ड

गत वर्ष 24 जुलाई 2023 में अधिकतम मांग 28,284 मेगावाट का रिकार्ड बना था। लेकिन इस बार मई माह में ही यह रिकार्ड टूट गया जब 22 मई को 28,336 मेगावाट तक मांग की आपूर्ति की गई। कारपोरेशन के अध्यक्ष डॉ आशीष कुमार गोयल ने पुनः अधिकारियों को निर्देशित किया है कि लगातार पड़ रही भयंकर गर्मी एवं विद्युत की मांग में हो रही बढ़ोत्तरी को देखते हुए सावधानी बरतें। सभी कार्मिक इस चुनौतीपूर्ण समय में पूरी लगन और मेहनत के साथ अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन करें। फोन उठाएं, क्षेत्र में पेट्रोलिंग करें तथा टोल फ्री नम्बर 1912 पर आने वाली सूचनाओं पर तत्काल कार्यवाई करें। अध्यक्ष का कहना है कि विद्युत मांग के अनुरूप बिजली की व्यवस्था की जा रही है। पावर कारपोरेशन ने पूर्वानुमान के अनुरूप विद्युत उपलब्धता की व्यवस्था कर रखी है और मांग बढ़ने पर अतिरिक्त व्यवस्था भी ससमय की जा रही है। उन्होंने बताया है कि सिस्टम की कैपेसिटी के कारण कही भी रोसटरिंग नही हो रही हैै। लोकल फाल्ट के कारण विद्युत आपूर्ति के बाधित होने की स्थिति में विदयुत कर्मी कम से कम समय में ठीक कर आपूर्ति बहाल करने हेतु प्रयासरत हैं।

अधीक्षण अभियन्ता सम्भल को प्रतिकूल प्रविष्टि

गुरुवार को मुरादाबाद जोन की समीक्षा में अधीक्षण अभियन्ता सम्भल को प्रतिकूल प्रविष्टि देने का निर्णय लिया गया। प्रदेश की विद्युत व्यवस्था को और बेहतर करने के लिए कारपोरेशन प्रबन्धन प्रतिदिन एक जोन की समीक्षा करता है। मुरादाबाद की समीक्षा बैठक में अध्यक्ष डॉ आशीष गोयल ने एसिस्टेड बिलिंग, विद्युत राजस्व वसूली के कार्यो की प्रगति पर गहरा असंतोष व्यक्त किया। उन्होंने चेतावनी दी कि कार्य में सुधार लाइए, अन्यथा सख्त कार्रवाई होगी।

उत्तर प्रदेश

यूपी ने बाजी मारी, टीबी नोटिफिकेशन में देश में अव्वल

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लखनऊ: प्रदेश की झोली में एक और उपलब्धि आई है। ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) के मरीजों की पहचान व इलाज करने में उत्तर प्रदेश 2024 में भी अव्वल रहा है। प्रदेश को बीते साल साढ़े छह लाख मरीजों के चिन्हिकरण का लक्ष्य मिला था। उसके सापेक्ष 6.73 लाख मरीजों की पहचान की गई। ये रिकार्ड है। 2023 में भी प्रदेश ने साढ़े लाख मरीजों के लक्ष्य का आंकड़ा पार किया था। दूसरे स्थान पर महराष्ट्र व तीसरे स्थान पर बिहार का नाम दर्ज है। इसके बाद मध्यप्रदेश व राजस्थान ने नोटिफिकेशन किया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि देश-प्रदेश से टीबी उन्मूलन का एक ही तरीका है कि ज्यादा से ज्यादा मरीजों का चिन्हिकरण व इलाज किया जाए। इसी के मद्देनजर केंद्रीय टीबी डिवीजन ने सभी प्रदेशों को 2024 की शुरुआत में टीबी नोटिफिकेशन का लक्ष्य तय किया था। उत्तर प्रदेश को 6.5 लाख मरीज खोजने का लक्ष्य दिया गया था।

विभागीय आंकड़ों के मुताबिक 31 दिसंबर तक प्रदेश में 6 लाख 73 हजार टीबी मरीजों की पहचान हुई। इन सभी का इलाज शुरू हो चुका है। टीबी नोटिफिकेशन के लक्ष्य को छू पाने में प्राइवेट डाक्टरों की भूमिका भी सराहनीय रही है। प्रदेश में ढाई लाख से ज्यादा मरीजों की पहचान यानी तकरीबन 40 प्रतिशत मरीज प्राइवेट डाक्टरों के माध्यम से पंजीकृत हुए हैं।

उत्तर प्रदेश के बाद महराष्ट्र में सवा दो लाख मरीजों का पंजीकरण हुआ। तीसरे नंबर पर बिहार में दो लाख मरीज चिंहित किए जा सके। मध्य प्रदेश में 1.78 लाख व राजस्थान में 1.70 लाख मरीजों का चिन्हिकरण किया हुआ।

राज्य टीबी अधिकारी डॉ शैलेंद्र भटनागर ने इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि शीर्ष नेतृत्व के मार्गदर्शन में पूरे वर्ष विभिन्न कार्यक्रम जैसे हर माह की 15 तारीख को एकीकृत निक्षय दिवस, एक्टिव केस फाइंडिंग (एसीएफ) अभियान व दस्तक अभियान चलाए गए जिससे हम ज्यादा से ज्यादा टीबी के लक्षण वाले मरीजों को खोज पाए। इस वक्त 100 दिवसीय सघन टीबी अभियान पूरे प्रदेश में चल रहा है जिसके माध्यम से उच्च जोखिम वाले व प्रिजेम्टिव टीबी वाले केसों को खोजने पर पूरे विभाग का ध्यान केंद्रित है।

टीबी का उन्मूलन प्राइवेट डाक्टरों की सहभागिता के बिना नहीं हो सकता। यह एक कड़वा सच है। उत्तर प्रदेश में मथुरा, आगरा, कानपुर, गोरखपुर व झांसी ने इस मामले में बेहतर प्रदर्शन किया है। लखनऊ, मेरठ, मुरादाबाद, बरेली व गाजियाबाद में भी प्राइवेट डाक्टर सक्रियता दिखा रहे हैं लेकिन श्रावस्ती में बीते साल सिर्फ 44 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं।

इसके अलावा महोबा में 255, सोनभद्र में 374, चित्रकूट में 376, हमीरपुर में 380, कन्नौज में 444, सुल्तानपुर में 444, अमेठी में 447, संतरवीदास नगर में 456, चंदौली में 488 और कानपुर देहात में सिर्फ 468 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं। इन जनपदों में प्राइवेट डाक्टरों की प्रतिभागिता बढ़े जाने की जरूरत है।

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