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उत्तर प्रदेश

महाकुम्भ में सुरक्षा बढ़ी, पुलिस सतर्क, 4 विदेशियों से पूछताछ

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महाकुम्भनगर| महाकुम्भ में श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर व्यापक इंतजाम किए जा रहे हैं। यहां संदिग्ध लोगों पर विशेष नजर रखी जा रही है। इसी क्रम में महाकुम्भ पुलिस ने चार विदेशी नागरिकों से भी पूछताछ की है। रूस, जर्मनी और बेलारूस के रहने वाले इन चारों नागरिकों के सभी जरूरी कागजात जांचे गए। जिसके बाद तीन विदेशियों के सभी कागज पूरे होने पर उन्हें छोड़ दिया गया और एक को वीजा डेट समाप्त हो जाने के कारण वापस भेज दिया गया है।

चार विदेशी नागरिकों से पूछतांछ

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सुरक्षित महाकुम्भ को लेकर अफसरों को सभी जरूरी इंतजाम पुख्ता करने के निर्देश दिए हैं। जिसके बाद से यहां सुरक्षा व्यवस्था को मुस्तैद किया गया है। महाकुम्भनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजेश द्विवेदी ने बताया कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए सतर्कता बढ़ा दी गई है। महाकुम्भ पुलिस 24 घंटे सतर्क है। स्थानीय के साथ साथ विदेशी नागरिकों पर भी पैनी नजर रख रही जा रही है। महाकुम्भनगर की पुलिस कई स्तरों पर जांच कर रही है। यहां मेले में एक एक श्रद्धालु की सुरक्षा चाक चौबंद की जा रही है। इसी क्रम में संदिग्ध पाए जाने पर चार विदेशियों से भी पूछताछ की गई। इनमें एक रूसी नागरिक, एक जर्मनी निवासी के साथ ही बेलारूस के दो नागरिकों को संदिग्ध पाया गया। इन सभी के जरूरी दस्तावेज जांचे गए, जिनमें बेलारूस और जर्मनी के नागरिकों के सभी प्रमुख कागजात दुरुस्त पाए गए। इसके बाद तीनों को छोड़ दिया गया।

वापस भेजा गया विदेशी नागरिक

उन्होंने बताया कि चौथे व्यक्ति रूस के मास्को निवासी आंद्रे के पास से वीजा और पासपोर्ट मिला। जिसमें डेट समाप्त होने के कारण उसे वापस रूस भेज दिया गया। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के मुताबिक मेला क्षेत्र के एक एक कोने पर नजर रखी जा रही है। संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त पाए जाने पर किसी को बख्शा नहीं जाएगा।

उत्तर प्रदेश

यूपी ने बाजी मारी, टीबी नोटिफिकेशन में देश में अव्वल

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लखनऊ: प्रदेश की झोली में एक और उपलब्धि आई है। ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) के मरीजों की पहचान व इलाज करने में उत्तर प्रदेश 2024 में भी अव्वल रहा है। प्रदेश को बीते साल साढ़े छह लाख मरीजों के चिन्हिकरण का लक्ष्य मिला था। उसके सापेक्ष 6.73 लाख मरीजों की पहचान की गई। ये रिकार्ड है। 2023 में भी प्रदेश ने साढ़े लाख मरीजों के लक्ष्य का आंकड़ा पार किया था। दूसरे स्थान पर महराष्ट्र व तीसरे स्थान पर बिहार का नाम दर्ज है। इसके बाद मध्यप्रदेश व राजस्थान ने नोटिफिकेशन किया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि देश-प्रदेश से टीबी उन्मूलन का एक ही तरीका है कि ज्यादा से ज्यादा मरीजों का चिन्हिकरण व इलाज किया जाए। इसी के मद्देनजर केंद्रीय टीबी डिवीजन ने सभी प्रदेशों को 2024 की शुरुआत में टीबी नोटिफिकेशन का लक्ष्य तय किया था। उत्तर प्रदेश को 6.5 लाख मरीज खोजने का लक्ष्य दिया गया था।

विभागीय आंकड़ों के मुताबिक 31 दिसंबर तक प्रदेश में 6 लाख 73 हजार टीबी मरीजों की पहचान हुई। इन सभी का इलाज शुरू हो चुका है। टीबी नोटिफिकेशन के लक्ष्य को छू पाने में प्राइवेट डाक्टरों की भूमिका भी सराहनीय रही है। प्रदेश में ढाई लाख से ज्यादा मरीजों की पहचान यानी तकरीबन 40 प्रतिशत मरीज प्राइवेट डाक्टरों के माध्यम से पंजीकृत हुए हैं।

उत्तर प्रदेश के बाद महराष्ट्र में सवा दो लाख मरीजों का पंजीकरण हुआ। तीसरे नंबर पर बिहार में दो लाख मरीज चिंहित किए जा सके। मध्य प्रदेश में 1.78 लाख व राजस्थान में 1.70 लाख मरीजों का चिन्हिकरण किया हुआ।

राज्य टीबी अधिकारी डॉ शैलेंद्र भटनागर ने इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि शीर्ष नेतृत्व के मार्गदर्शन में पूरे वर्ष विभिन्न कार्यक्रम जैसे हर माह की 15 तारीख को एकीकृत निक्षय दिवस, एक्टिव केस फाइंडिंग (एसीएफ) अभियान व दस्तक अभियान चलाए गए जिससे हम ज्यादा से ज्यादा टीबी के लक्षण वाले मरीजों को खोज पाए। इस वक्त 100 दिवसीय सघन टीबी अभियान पूरे प्रदेश में चल रहा है जिसके माध्यम से उच्च जोखिम वाले व प्रिजेम्टिव टीबी वाले केसों को खोजने पर पूरे विभाग का ध्यान केंद्रित है।

टीबी का उन्मूलन प्राइवेट डाक्टरों की सहभागिता के बिना नहीं हो सकता। यह एक कड़वा सच है। उत्तर प्रदेश में मथुरा, आगरा, कानपुर, गोरखपुर व झांसी ने इस मामले में बेहतर प्रदर्शन किया है। लखनऊ, मेरठ, मुरादाबाद, बरेली व गाजियाबाद में भी प्राइवेट डाक्टर सक्रियता दिखा रहे हैं लेकिन श्रावस्ती में बीते साल सिर्फ 44 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं।

इसके अलावा महोबा में 255, सोनभद्र में 374, चित्रकूट में 376, हमीरपुर में 380, कन्नौज में 444, सुल्तानपुर में 444, अमेठी में 447, संतरवीदास नगर में 456, चंदौली में 488 और कानपुर देहात में सिर्फ 468 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं। इन जनपदों में प्राइवेट डाक्टरों की प्रतिभागिता बढ़े जाने की जरूरत है।

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