उत्तर प्रदेश
महाकुंभ 2025 में 7000 रोडवेज बसों के साथ 550 सिटी बसें भी संचालित करेगी योगी सरकार
लखनऊ। परिवहन निगम आगामी महाकुंभ में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए 7000 बसों का संचालन करेगा। प्रथम चरण में 3050 बसों का संचालन किया जाएगा, जबकि द्वितीय चरण में सभी 7000 बसों का संचालन शुरू कर दिया जाएगा। इसी तरह स्थानीय स्तर पर यात्रियों की सुविधा के लिए 550 सिटी बसों को भी संचालित किया जाएगा, जिसमें 200 बसों का संचालन नगरीय परिवहन द्वारा जबकि शेष 350 बसों का संचालन परिवहन निगम द्वारा किया जाएगा। परिवहन निगम मुख्यालय में गुरुवार को आगामी महाकुंभ मेले से संबंधित संचालन व्यवस्था के संबंध में सभी क्षेत्र के क्षेत्रीय प्रबंधकों के साथ अपर प्रबंध निदेशक महोदय द्वारा समीक्षा बैठक की गई जिसमें परिवहन निगम मुख्यालय के सभी वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रतिभाग किया। उल्लेखनीय है कि योगी सरकार प्रयागराज में जनवरी और फरवरी 2025 में होने जा रहे इस महाआयोजन को पूरी भव्यता का साथ आयोजित करने जा रही है। इसके लिए व्यापक पैमाने पर तैयारियां की जा रही हैं। परिवहन की सुविधा उसी कड़ी का हिस्सा है।
आठ चिन्हित स्थानों पर अस्थाई बस स्टेशन बनाए जाएंगे
आगामी कुंभ मेला 2025 को तीन चरणों में विभाजित किया गया है। प्रथम चरण 12 जनवरी से 23 जनवरी तक, द्वितीय चरण 24 जनवरी से 7 फरवरी एवं तृतीय चरण 8 फरवरी से 27 फरवरी के मध्य होगा। मुख्य नहान की तिथि 13 जनवरी, 14 जनवरी, 29 जनवरी, 3 फरवरी, 12 फरवरी एवं 26 फरवरी हैं, जबकि मुख्य स्नान पर्व मौनी अमावस्या 29 जनवरी 2025 को है। इस दौरान सबसे अधिक स्नानार्थियों की भीड़ आने की संभावना है। जनहित को देखते हुए निगम अस्थाई बस स्टेशनों से सुव्यवस्थित संचालन के लिए प्रत्येक केंद्र पर क्षेत्र प्रबंधक की तैनाती करेगा। साथ ही, क्षति प्रबंधक, सहायक क्षति प्रबंधक एवं सेवा प्रबंधक भी तैनात किए जाएंगे। कुल आठ चिन्हित स्थानों पर अस्थाई बस स्टेशन बनाए जाएंगे। सात स्थानों पर चेक पोस्ट बनाई जाएगी, जिसमें लखनऊ मार्ग, अयोध्या मार्ग, कानपुर मार्ग, गोरखपुर मार्ग, वाराणसी मार्ग, मिर्ज़ापुर मार्ग एवं बांदा मार्ग शामिल होंगे। मेला अवधि में मुख्यालय पर एक सेंट्रल कंट्रोल रूम की स्थापना भी की जाएगी जो 24 घंटे कार्यरत रहेगा
उत्तर प्रदेश
यूपी ने बाजी मारी, टीबी नोटिफिकेशन में देश में अव्वल
लखनऊ: प्रदेश की झोली में एक और उपलब्धि आई है। ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) के मरीजों की पहचान व इलाज करने में उत्तर प्रदेश 2024 में भी अव्वल रहा है। प्रदेश को बीते साल साढ़े छह लाख मरीजों के चिन्हिकरण का लक्ष्य मिला था। उसके सापेक्ष 6.73 लाख मरीजों की पहचान की गई। ये रिकार्ड है। 2023 में भी प्रदेश ने साढ़े लाख मरीजों के लक्ष्य का आंकड़ा पार किया था। दूसरे स्थान पर महराष्ट्र व तीसरे स्थान पर बिहार का नाम दर्ज है। इसके बाद मध्यप्रदेश व राजस्थान ने नोटिफिकेशन किया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि देश-प्रदेश से टीबी उन्मूलन का एक ही तरीका है कि ज्यादा से ज्यादा मरीजों का चिन्हिकरण व इलाज किया जाए। इसी के मद्देनजर केंद्रीय टीबी डिवीजन ने सभी प्रदेशों को 2024 की शुरुआत में टीबी नोटिफिकेशन का लक्ष्य तय किया था। उत्तर प्रदेश को 6.5 लाख मरीज खोजने का लक्ष्य दिया गया था।
विभागीय आंकड़ों के मुताबिक 31 दिसंबर तक प्रदेश में 6 लाख 73 हजार टीबी मरीजों की पहचान हुई। इन सभी का इलाज शुरू हो चुका है। टीबी नोटिफिकेशन के लक्ष्य को छू पाने में प्राइवेट डाक्टरों की भूमिका भी सराहनीय रही है। प्रदेश में ढाई लाख से ज्यादा मरीजों की पहचान यानी तकरीबन 40 प्रतिशत मरीज प्राइवेट डाक्टरों के माध्यम से पंजीकृत हुए हैं।
उत्तर प्रदेश के बाद महराष्ट्र में सवा दो लाख मरीजों का पंजीकरण हुआ। तीसरे नंबर पर बिहार में दो लाख मरीज चिंहित किए जा सके। मध्य प्रदेश में 1.78 लाख व राजस्थान में 1.70 लाख मरीजों का चिन्हिकरण किया हुआ।
राज्य टीबी अधिकारी डॉ शैलेंद्र भटनागर ने इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि शीर्ष नेतृत्व के मार्गदर्शन में पूरे वर्ष विभिन्न कार्यक्रम जैसे हर माह की 15 तारीख को एकीकृत निक्षय दिवस, एक्टिव केस फाइंडिंग (एसीएफ) अभियान व दस्तक अभियान चलाए गए जिससे हम ज्यादा से ज्यादा टीबी के लक्षण वाले मरीजों को खोज पाए। इस वक्त 100 दिवसीय सघन टीबी अभियान पूरे प्रदेश में चल रहा है जिसके माध्यम से उच्च जोखिम वाले व प्रिजेम्टिव टीबी वाले केसों को खोजने पर पूरे विभाग का ध्यान केंद्रित है।
टीबी का उन्मूलन प्राइवेट डाक्टरों की सहभागिता के बिना नहीं हो सकता। यह एक कड़वा सच है। उत्तर प्रदेश में मथुरा, आगरा, कानपुर, गोरखपुर व झांसी ने इस मामले में बेहतर प्रदर्शन किया है। लखनऊ, मेरठ, मुरादाबाद, बरेली व गाजियाबाद में भी प्राइवेट डाक्टर सक्रियता दिखा रहे हैं लेकिन श्रावस्ती में बीते साल सिर्फ 44 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं।
इसके अलावा महोबा में 255, सोनभद्र में 374, चित्रकूट में 376, हमीरपुर में 380, कन्नौज में 444, सुल्तानपुर में 444, अमेठी में 447, संतरवीदास नगर में 456, चंदौली में 488 और कानपुर देहात में सिर्फ 468 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं। इन जनपदों में प्राइवेट डाक्टरों की प्रतिभागिता बढ़े जाने की जरूरत है।
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