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नेशनल

ऑपरेशन में लापरवाही पर सर्जन पर 2 लाख जुर्माना

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अगरतला। त्रिपुरा में उपभोक्ता शिकायत निवारण मंच ने ऑपरेशन में लापरवाही बरतने पर एक सर्जन पर दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। एक वकील ने रविवार को बताया कि मामला नौ साल पुराना है। एक महिला के पित्ताशय के ऑपरेशन के बाद सर्जन ने उसके उदर (एब्डोमन) में आठ इंच लंबी नालीदार ट्यूब छोड़ दी थी।

वकील सुजाता देब गुप्ता ने बताया, “पश्चिमी त्रिपुरा उपभोक्ता शिकायत निवारण मंच ने शुक्रवार को वरिष्ठ सर्जन प्रताप सान्याल पर जनवरी 2006 में एक निजी नर्सिग होम में सर्जरी में लापरवाही बरतने के लिए दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।” मंच ने चिकित्सक से कहा है कि उसे इलाज खर्च के एवज में महिला को एक लाख रुपये एकमुश्त 45 दिन में देने होंगे। 50 हजार रुपये महिला को हुई मानसिक पीड़ा और उत्पीड़न के बदले में चुकाने होंगे और 50 हजार रुपये मुकदमे के खर्च के रूप में महिला को देने होंगे।

वकील ने मंच के आदेश के हवाले से कहा कि तयशुदा समय में धन नहीं देने पर चिकित्सक को महिला को नौ फीसदी ब्याज भी देना होगा। अदालत ने अपने आदेश में कहा, “जनवरी 2006 में सरबनी देब के लैप्रोस्कोपिक सर्जरी के दौरान डॉक्टर प्रताप सान्याल ने बेहद लापरवाही से काम किया जो आपराधिक लापरवाही या आपराधिक दोष की श्रेणी में आता है।” इस मामले में याचिका सरबनी देब के पत्रकार पति बापी राय चौधरी ने दायर की थी। देब और चौधरी का कहना है कि बाद में अलग संस्थान की रपट लेकर जब वे सान्याल से मिलने गए तो उनके साथ सान्याल ने अभद्रता की।

वकील ने बताया कि सान्याल के इलाज से अंसतुष्ट देब ने अक्टूबर 2007 में कोलकाता में चिकित्सकों से सलाह ली। उन्होंने ऑपरेशन के द्वारा देब के पेट से ट्यूब निकाल दी और उन्हें पीड़ा से मुक्ति दिलाई गई।

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आध्यात्म

नवरात्रि के चौथे दिन होती है मां कुष्मांडा की आराधना, भक्तों के सभी कष्ट हरती हैं मां

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नवरात्रि का चौथा दिन मां कूष्मांडा को समर्पित है। इस दिन मां कूष्मांडा की उपासना की जाती है।  मां कूष्मांडा यानी कुम्हड़ा। कूष्मांडा एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ है कुम्हड़ा, यानी कद्दू, पेठा। धार्मिक मान्यता है कि मां कूष्मांडा को कुम्हड़े की बलि बहुत प्रिय है। इसलिए मां दुर्गा के इस स्वरुप का नाम कूष्मांडा पड़ा।

मां को प्रिय है ये भोग

नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा को मालपुआ का प्रसाद अर्पित कर भोद लगाएं। ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि आएगी। साथ ही इस दिन कन्याओं को रंग-बिरंगे रिबन या वस्त्र भेट करने से धन में वृद्धि होगी।

यूं करें मां कूष्मांडा की पूजा

मां कूष्मांडा की पूजा सच्चे मन से करें। मन को अनहत चक्र में स्थापित करें और मां का आशीर्वाद लें। कलश में विराजमान देवी-देवता की पूजा करने के बाद मां कूष्मांडा की पूजा करें। इसके बाद हाथों में फूल लें और मां का ध्यान करते हुए इस मंत्र का जाप करें।

सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च. दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु।

माता कूष्मांडा हरेंगी सारी समस्याएं

जीवन में चल रही परेशानियों और समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए मां कूष्मांडा के इस मंत्र का जाप 108 बार अवश्य करें। ऐसा करने से सभी समस्याओं से छुटकारा मिल जाएगा।

दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दारिद्रादि विनाशिनीम्।
जयंदा धनदां कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥

मां कूष्मांडा की पूजा के बाद इस मंत्र का 21 बार जप करें

सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।

दधाना हस्त पद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

शास्त्रों में उल्लेख है कि इस मंत्र के जप से सूर्य संबंधी लाभ तो मिलेगा ही,साथ ही, परिवार में खुशहाली आएगी। स्वास्थ्य अच्छा रहेगा और आय में बढ़ोतरी होगी।

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