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अन्तर्राष्ट्रीय

अमेरिका, फिलीपींस आतंकवाद के खिलाफ सहयोग बढ़ाएंगे

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वाशिंगटन, 2 दिसंबर (आईएएनएस)| अमेरिका और फिलीपींस आतंकवाद, मादक पदार्थो की तस्करी के खिलाफ और समुद्री सुरक्षा को लेकर आपसी सहयोग बढ़ाएंगे। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, इस संबंध में अमेरिकी विदेश विभाग ने शुक्रवार को एक संयुक्त बयान जारी किया। वाशिंगटन में गुरुवार को और शुक्रवार को द्विपक्षीय रणनीतिक वार्ता के दौरान दोनों पक्षों ने सुरक्षा चुनौतियों को लेकर चिंता प्रकट की और आसियान-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी के तहत क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ाने की इच्छा जाहिर की।

बयान में कहा गया कि वरिष्ठ अधिकारियों ने समुद्री सुरक्षा, मानवीय सहायता, आपदा प्रतिक्रिया, साइबर सुरक्षा और अंतर्राष्ट्रीय मादक पदार्थो की तस्करी और आतंकवाद से निपटने के क्षेत्र में अपने सहयोग को मजबूत करने के प्रतिबद्धता की पुष्टि की।

अमेरिका ने फिलीपींस को इस्लामिक स्टेट समर्थित आतंकवादियों को हराने के लिए बधाई दी और आतंकवाद के खिलाफ समर्थन देने और लड़ाई जारी रखने का संकल्प लिया।

दोनों पक्षों ने विज्ञान व प्रौद्योगिकी, कृषि व मत्स्य पालन और स्वास्थ्य व पर्यावरण जैसे क्षेत्रों में सहयोग को लेकर हुई महत्वपूर्ण चर्चाओं का भी उल्लेख किया।

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अन्तर्राष्ट्रीय

इच्छामृत्यु को कानूनी दर्जा देने के लिए ब्रिटिश संसद में बिल पास, पूरी तरह समझे कानून

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ब्रिटेन। इच्छामृत्यु को लेकर कई देशों में वाद-विवाद है, भारत में इच्छामृत्यु संबंधी कानून सक्रिय और निष्क्रिय इच्छामृत्यु के बीच अंतर करता है। देश में (India) घातक यौगिकों के प्रशासन सहित सक्रिय इच्छामृत्यु के रूप अभी भी अवैध हैं। लेकिन एक वक्त पर भारत पर राज करने वाले ब्रिटेन (Britain) ने इच्छामृत्यु को कानूनी दर्जा देने के लिए ब्रिटिश संसद में बिल पास कर दिया है। ब्रिटेन का ये विधेयक गंभीर रूप से बीमार लोगों, जिनकी जीवन प्रत्याशा 6 महीने से कम है, वे अपनी इच्छा से खुद का जीवन खत्म कर सकते हैं। ये पूरी तरह से कानूनी होगा।

क्या होगा कानून

इस विधेयक के मुताबिक इसे लागू करने के लिए दो स्वतंत्र डॉक्टर्स और एक हाईकोर्ट के जज की सहमति भी जरूरी होगी। हालांकि मरीज को इच्छामृत्यु के इस फैसले के लिए मानसिक रूप से पहले सक्षम माना जाना चाहिए और ये सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि वो किसी दबाव में तो नहीं। इसके अलावा मरीज को 2 बार अपनी मरने की इच्छा भी जतानी होगी। जिसके बीच कम से कम 7 दिनों का अंतर होना चाहिए।

विधेयक पर तीखी बहस

ब्रिटेन की संसद में इस बिधेयक को लेकर तो बहस हुई ही साथ ही अब जनता भी दो धड़ों में बंटी हुई दिखाई दे रही है। संसद में इस बिल के समर्थकों ने इसे मरीज का दर्द खत्म करने और गरिमा के साथ मौते देने का विकल्प बताया तो विरोधी पक्ष ने इसे कमजोर और बीमार लोगों के लिए जोखिम भरा बताया और इसके दुरुपयोग की संभावना जताई। बता दें कि ये विधेयक भले ही संसद से पास हो गया हो लेकिन इसे कानून बनने के लिए और भी समीक्षा प्रक्रियाओं से गुजरना होगा। इसके बाद ही कानून का रूप ले पाएगा। अब विपक्ष समेत आधी जनता के विरोध को देखते हुए जानकारों का मानना है कि शायद ही ये विधेयक इतनी आसानी से कानून का रूप ले पाएगा। ​

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