Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

अन्तर्राष्ट्रीय

उत्तर कोरिया के परमाणु परीक्षण स्थल के पास भूकंप के झटके

Published

on

Loading

प्योंगयांग, 2 दिसंबर (आईएएनएस)| उत्तर कोरिया के किल्जु काउंटी में शनिवार को रिक्टर पैमाने पर 2.5 तीव्रता के भूकंप के झटके महसूस किए गए। ये झटके प्योंगयांग में उस स्थान के पास महसूस किए गए, जहां हाल ही में परमाणु परीक्षण किया गया था।

समाचार एजेंसी एफे के मुताबिक, भूकंप के झटके सुबह 7.45 बजे महसूस किए गए। भूकंप का केंद्र उत्तरी हामगयोंग प्रांत में पुंगे-री परमाणु परीक्षण स्थल से 2.7 किलोमीटर की दूरी पर था।

दक्षिण कोरिया के सियोल स्थित मौसम प्रशासन के मुताबिक, यह भूकंप मूल रूप से प्राकृतिक था। हालांकि तीन सितंबर को उत्तर कोरिया के परीक्षण के बाद से रिक्टर पैमाने पर 3.0 तीव्रता के भूकंप के झटकों ने इस क्षेत्र को हिला कर रख दिया है।

उत्तर कोरिया ने साल 2006 के बाद से अब तक छह परमाणु परीक्षण किए हैं।

Continue Reading

अन्तर्राष्ट्रीय

इच्छामृत्यु को कानूनी दर्जा देने के लिए ब्रिटिश संसद में बिल पास, पूरी तरह समझे कानून

Published

on

Loading

ब्रिटेन। इच्छामृत्यु को लेकर कई देशों में वाद-विवाद है, भारत में इच्छामृत्यु संबंधी कानून सक्रिय और निष्क्रिय इच्छामृत्यु के बीच अंतर करता है। देश में (India) घातक यौगिकों के प्रशासन सहित सक्रिय इच्छामृत्यु के रूप अभी भी अवैध हैं। लेकिन एक वक्त पर भारत पर राज करने वाले ब्रिटेन (Britain) ने इच्छामृत्यु को कानूनी दर्जा देने के लिए ब्रिटिश संसद में बिल पास कर दिया है। ब्रिटेन का ये विधेयक गंभीर रूप से बीमार लोगों, जिनकी जीवन प्रत्याशा 6 महीने से कम है, वे अपनी इच्छा से खुद का जीवन खत्म कर सकते हैं। ये पूरी तरह से कानूनी होगा।

क्या होगा कानून

इस विधेयक के मुताबिक इसे लागू करने के लिए दो स्वतंत्र डॉक्टर्स और एक हाईकोर्ट के जज की सहमति भी जरूरी होगी। हालांकि मरीज को इच्छामृत्यु के इस फैसले के लिए मानसिक रूप से पहले सक्षम माना जाना चाहिए और ये सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि वो किसी दबाव में तो नहीं। इसके अलावा मरीज को 2 बार अपनी मरने की इच्छा भी जतानी होगी। जिसके बीच कम से कम 7 दिनों का अंतर होना चाहिए।

विधेयक पर तीखी बहस

ब्रिटेन की संसद में इस बिधेयक को लेकर तो बहस हुई ही साथ ही अब जनता भी दो धड़ों में बंटी हुई दिखाई दे रही है। संसद में इस बिल के समर्थकों ने इसे मरीज का दर्द खत्म करने और गरिमा के साथ मौते देने का विकल्प बताया तो विरोधी पक्ष ने इसे कमजोर और बीमार लोगों के लिए जोखिम भरा बताया और इसके दुरुपयोग की संभावना जताई। बता दें कि ये विधेयक भले ही संसद से पास हो गया हो लेकिन इसे कानून बनने के लिए और भी समीक्षा प्रक्रियाओं से गुजरना होगा। इसके बाद ही कानून का रूप ले पाएगा। अब विपक्ष समेत आधी जनता के विरोध को देखते हुए जानकारों का मानना है कि शायद ही ये विधेयक इतनी आसानी से कानून का रूप ले पाएगा। ​

Continue Reading

Trending