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अन्तर्राष्ट्रीय

ओबामा का ट्वीट अब तक का सबसे पसंदीदा ट्वीट

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सैन फ्रांसिस्को , 6 दिसम्बर (आईएएनएस)| अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने ट्वीट को लेकर भले ही सुर्खियों में रहते हैं, लेकिन 2017 का सबसे पसंदीदा ट्वीट करने का खिताब उनके पूर्ववर्ती बराक ओबामा की झोली में गया है।

ट्विटर की साल की समीक्षा सूची के मुताबिक, वर्जीनिया के शर्लोट्सविले में भड़की नस्लीय हिंसा को लेकर अगस्त में ओबामा द्वारा किया गया ट्वीट न सिर्फ 2017 का सबसे ज्यादा पसंदीदा ट्वीट बना बल्कि 30 करोड़ से भी अधिक यूजर्स वाले ट्विटर के इतिहास का भी सबसे पसंदीदा ट्वीट रहा।बराक ओबामा ने नेल्सन मंडेला की 1994 में प्रकाशित आत्मकथा के उद्धरण को ट्वीट किया था, जिसमें लिखा था, कोई भी व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के शरीर के रंग, उसकी पृष्ठभूमि या धर्म के आधार पर उसके लिए नफरत लिए पैदा नहीं होता।

‘वॉक्स’ ने बुधवार को बताया कि ओबामा का यह ट्वीट दूसरा सबसे ज्यादा रीट्वीट किया जाने वाला ट्वीट भी बना।

सबसे ज्यादा रीट्वीट फूड चेन वेंडी के चिकन नगेट्स वाले ट्वीट को किया गया।

ट्रंप हालांकि सबसे ज्यादा चर्चा में रहने वाले नेता रहे, लेकिन सबसे ज्यादा पसंद किए जाने ट्वीट में उनका एक भी ट्वीट सूचिबद्ध नहीं हो सका।

ट्विटर पर ओबामा के 9.76 करोड़ फॉलोअर्स हैं, जबकि ट्रंप के 4.4 करोड़ फॉलोअर्स हैं।

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अन्तर्राष्ट्रीय

इच्छामृत्यु को कानूनी दर्जा देने के लिए ब्रिटिश संसद में बिल पास, पूरी तरह समझे कानून

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ब्रिटेन। इच्छामृत्यु को लेकर कई देशों में वाद-विवाद है, भारत में इच्छामृत्यु संबंधी कानून सक्रिय और निष्क्रिय इच्छामृत्यु के बीच अंतर करता है। देश में (India) घातक यौगिकों के प्रशासन सहित सक्रिय इच्छामृत्यु के रूप अभी भी अवैध हैं। लेकिन एक वक्त पर भारत पर राज करने वाले ब्रिटेन (Britain) ने इच्छामृत्यु को कानूनी दर्जा देने के लिए ब्रिटिश संसद में बिल पास कर दिया है। ब्रिटेन का ये विधेयक गंभीर रूप से बीमार लोगों, जिनकी जीवन प्रत्याशा 6 महीने से कम है, वे अपनी इच्छा से खुद का जीवन खत्म कर सकते हैं। ये पूरी तरह से कानूनी होगा।

क्या होगा कानून

इस विधेयक के मुताबिक इसे लागू करने के लिए दो स्वतंत्र डॉक्टर्स और एक हाईकोर्ट के जज की सहमति भी जरूरी होगी। हालांकि मरीज को इच्छामृत्यु के इस फैसले के लिए मानसिक रूप से पहले सक्षम माना जाना चाहिए और ये सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि वो किसी दबाव में तो नहीं। इसके अलावा मरीज को 2 बार अपनी मरने की इच्छा भी जतानी होगी। जिसके बीच कम से कम 7 दिनों का अंतर होना चाहिए।

विधेयक पर तीखी बहस

ब्रिटेन की संसद में इस बिधेयक को लेकर तो बहस हुई ही साथ ही अब जनता भी दो धड़ों में बंटी हुई दिखाई दे रही है। संसद में इस बिल के समर्थकों ने इसे मरीज का दर्द खत्म करने और गरिमा के साथ मौते देने का विकल्प बताया तो विरोधी पक्ष ने इसे कमजोर और बीमार लोगों के लिए जोखिम भरा बताया और इसके दुरुपयोग की संभावना जताई। बता दें कि ये विधेयक भले ही संसद से पास हो गया हो लेकिन इसे कानून बनने के लिए और भी समीक्षा प्रक्रियाओं से गुजरना होगा। इसके बाद ही कानून का रूप ले पाएगा। अब विपक्ष समेत आधी जनता के विरोध को देखते हुए जानकारों का मानना है कि शायद ही ये विधेयक इतनी आसानी से कानून का रूप ले पाएगा। ​

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