अन्तर्राष्ट्रीय
थेरेसा मे की हत्या की साजिश नाकाम : रिपोर्ट
लंदन, 6 दिसम्बर (आईएएनएस)| ब्रिटेन की खुफिया एजेंसी ने कथित तौर पर इस्लामिक कट्टरपंथियोंद्वारा प्रधानमंत्री थेरेसा मे की हत्या करने की योजना को नाकाम कर दिया। ‘स्काई न्यूज’ की रिपोर्ट के अनुसार, मे के खिलाफ रची गई नाकाम साजिश को एक विस्फोटक उपकरण से अंजाम दिया जाना था जिसके तहत आतंकवादियों ने 10 डाउनिंग स्ट्रीट पर स्थित मे के निवास के सामने विस्फोट करने की योजना बनाई थी।
रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस का मानना है कि आतंकवादियों की डाउनिंग स्ट्रीट पर विस्फोटक उपकरण के जरिए विस्फोट करने और थेरेसा मे की हत्या करने की योजना थी।
स्काई के अनुसार, यह साजिश 2017 में रची गई कई योजनाबद्ध हमलों की साजिश में से एक थी जिसे पुलिस और ब्रिटिश सुरक्षा सेवाएं रोकने में सक्षम रहीं।
यह मंगलवार रात तक स्पष्ट नहीं हुआ है कि योजना किस चरण तक पहुंची थी और इस मामले में किसी संदिग्ध को पकड़ा गया है या नहीं।
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इच्छामृत्यु को कानूनी दर्जा देने के लिए ब्रिटिश संसद में बिल पास, पूरी तरह समझे कानून
ब्रिटेन। इच्छामृत्यु को लेकर कई देशों में वाद-विवाद है, भारत में इच्छामृत्यु संबंधी कानून सक्रिय और निष्क्रिय इच्छामृत्यु के बीच अंतर करता है। देश में (India) घातक यौगिकों के प्रशासन सहित सक्रिय इच्छामृत्यु के रूप अभी भी अवैध हैं। लेकिन एक वक्त पर भारत पर राज करने वाले ब्रिटेन (Britain) ने इच्छामृत्यु को कानूनी दर्जा देने के लिए ब्रिटिश संसद में बिल पास कर दिया है। ब्रिटेन का ये विधेयक गंभीर रूप से बीमार लोगों, जिनकी जीवन प्रत्याशा 6 महीने से कम है, वे अपनी इच्छा से खुद का जीवन खत्म कर सकते हैं। ये पूरी तरह से कानूनी होगा।
क्या होगा कानून
इस विधेयक के मुताबिक इसे लागू करने के लिए दो स्वतंत्र डॉक्टर्स और एक हाईकोर्ट के जज की सहमति भी जरूरी होगी। हालांकि मरीज को इच्छामृत्यु के इस फैसले के लिए मानसिक रूप से पहले सक्षम माना जाना चाहिए और ये सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि वो किसी दबाव में तो नहीं। इसके अलावा मरीज को 2 बार अपनी मरने की इच्छा भी जतानी होगी। जिसके बीच कम से कम 7 दिनों का अंतर होना चाहिए।
विधेयक पर तीखी बहस
ब्रिटेन की संसद में इस बिधेयक को लेकर तो बहस हुई ही साथ ही अब जनता भी दो धड़ों में बंटी हुई दिखाई दे रही है। संसद में इस बिल के समर्थकों ने इसे मरीज का दर्द खत्म करने और गरिमा के साथ मौते देने का विकल्प बताया तो विरोधी पक्ष ने इसे कमजोर और बीमार लोगों के लिए जोखिम भरा बताया और इसके दुरुपयोग की संभावना जताई। बता दें कि ये विधेयक भले ही संसद से पास हो गया हो लेकिन इसे कानून बनने के लिए और भी समीक्षा प्रक्रियाओं से गुजरना होगा। इसके बाद ही कानून का रूप ले पाएगा। अब विपक्ष समेत आधी जनता के विरोध को देखते हुए जानकारों का मानना है कि शायद ही ये विधेयक इतनी आसानी से कानून का रूप ले पाएगा।
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