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नक्सली किले में विकास की बयार बहने की आस

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लातेहार (झारखंड), 28 सितंबर (आईएएनएस)| झूमरा पहाड़ के वन-संकुल इलाके में लातेहार के गारु तहसील स्थित सरजू गांव कुछ साल पहले तक माओवाद का गढ़ माना जाता था, लेकिन आज यहां हर तरफ विकास की ही बातें होती हैं।

सुरक्षा बल की पहलों और झारखंड सरकार की विकासपरक नीतियों से स्थानीय निवासियों में क्षेत्र के विकास की आस जगी है।

अधिकारियों का दावा है कि चरम वामपंथी उग्रवादियों की अब मुख्यधारा में वापसी होने लगी है और उनके द्वारा सताए गांव के लोगों की ख्वाहिश है कि इलाके में मोबाइल संपर्क व उनके घरों तक सड़कें हों और उनके लिए शिक्षा, नौकरी व अन्य विकासपरक कदम उठाए जाएं।

हाल ही में जिला प्रशासन द्वारा सरजू गांव के स्कूल में करवाए गए एक कार्यक्रम में गांव के सैकड़ों लोगों ने हिस्स लिया और प्रशासन के सामने अपनी मांगें व शिकायतें रखीं।

ममता देवी ने कहा, हमें नौकरी चाहिए। प्रशिक्षण केंद्र खोले जाएं ताकि हम अपने परिवार की रोजी-रोटी की व्यवस्था कर सकें।

गांव की मुखिया तारामुनी देवी की शिकाशत थी कि गांव में सड़कें बदहाल हैं और सिंचाई की समस्या है। एक युवक ने शिक्षण संस्थानों के अभाव का मसला उठाया। उन्होंने कहा, इंटरनेट कनेक्शन के लिए हमें पांच किलोमीटर दूर जाना पड़ता है।

मोहम्मद सादिश ने बेरोजगारी का मसला उठाया और शराबंदी की मांग की। उन्होंने कहा, हमें नक्सलों (माओवादी) से मुक्ति मिली, लेकिन शराब और बेरोजगारी अब भी बड़ी समस्या बनी हुई है। इलाके के अधिकांश युवा नशेड़ी बन चुके हैं और उनको रोजगार नहीं मिल रहा है। प्रशासन को इसपर शीघ्र ध्यान देना चाहिए।

लातेहार के उपायुक्त राजीव कुमार ने ग्रामवासियों को भरोसा दिलाया कि उनकी मांगें पूरी की जाएंगी और मसले का समाधान किया जाएगा।

कुमार ने गांव के लोगों से पूछा, आपमें से किनको गैस सिलिंडर नहीं मिला है? क्या आपके बच्चे स्कूल जा रहे हैं? क्या आपको वृद्धावस्था पेंशन मिलता है? ज्यादातर लोगों ने इन सवालों का उत्तर ‘हां’ में दिया।

सरजू गांव की ग्राम पंचायत चोरचा है। गांव का भौगोलिक क्षेत्रफल 172 हेक्टेयर है और आबादी तकरीबन 1,000 है। गांव के सबसे नजदीक का शहर गारु है।

केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की 214 बटालियन ने गांव में अपना मुख्य शिविर बनाया है। जिला प्रशासन की मदद से सीआरपीएफ की ओर से गांव के लोगों के मन में आशा की किरण जगाने की कोशिश की जा रही है और माओवादियों को मुख्यधारा में वापस लौटने को कहा जा रहा है।

झारखंड में अतिवादी ताकतों से निपटने के लिए बनाए गए स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) झारखंड जगुआर के उप महानिरीक्षक (डीआईजी) साकेत कुमार सिंह ने आईएएनएस को बताया, माओवादी का अब कोई कॉडर नहीं है। संगठनों में सिर्फ नेता बच गए हैं। उनके पास छिपने का कोई खास ठिकाना नहीं है। वे इधर-उधर भागते-फिरते रहते हैं।

लातेहार के पुलिस अधीक्षक (एसपी) प्रशांत आनंद ने कहा, उनकी गतिविधियां कुछ ही इलाकों में सीमित हैं। उनसे अगल हुआ गुट सक्रिय है लेकिन उनको गांव के लोगों का समर्थन नहीं है। गांव के लोगों हमारे साथ है और वे माओवादी की गतिविधि के बारे में हमें सूचित करते हैं।

माओवादियों की कार्यप्रणाली के बारे में उन्होंने बताया कि वे चार-पांच लोगों के समूह में आते हैं और गांववासियों से चार-पांच युवक उन्हें सौंपने को कहते हैं।

आत्मसमर्पण करने वाला नक्शल चश्मा विकास पर हत्या, हत्या करने की कोशिश और आर्म्स एक्ट के तहत 20 से अधिक मामले दर्ज हैं। वह बिहार-झारखंड-उत्तरी छत्तीसगढ़ स्पेशल एरिया कमिटि का सदस्य था और 1998 से नक्शल गतिविधि में लिप्त था। आत्मसमर्पण करने पर उसे उसके नाम पर रखा गया 25 लाख रुपये का इनाम मिला।

उसने बताया, आत्मसमर्पण की नई नीति के कारण मैंने 2016 में पुलिस के सामने आत्मसर्पण किया। नीति के अनुसार, इनाम की राशि आत्मसमर्पण करने वाले को मिलेगा।

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टेनिस : दुबई चैम्पियनशिप में सितसिपास ने मोनफिल्स को हराया

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 दुबई, 1 मार्च (आईएएनएस)| ग्रीस के युवा टेनिस खिलाड़ी स्टेफानोस सितसिपास ने शुक्रवार को दुबई ड्यूटी फ्री चैम्पियनशिप के पुरुष एकल वर्ग के सेमीफाइनल में फ्रांस के गेल मोनफिल्स को कड़े मुकाबले में मात देकर फाइनल में प्रवेश कर लिया।

  वर्ल्ड नंबर-11 सितसिपास ने वर्ल्ड नंबर-23 मोनफिल्स को कड़े मुकाबले में 4-6, 7-6 (7-4), 7-6 (7-4) से मात देकर फाइनल में प्रवेश किया।

यह इन दोनों के बीच दूसरा मुकाबला था। इससे पहले दोनों सोफिया में एक-दूसरे के सामने हुए थे, जहां फ्रांस के खिलाड़ी ने सीधे सेटों में सितसिपास को हराया था। इस बार ग्रीस के खिलाड़ी ने दो घंटे 59 मिनट तक चले मुकाबले को जीत कर मोनफिल्स से हिसाब बराबर कर लिया।

फाइनल में सितसिपास का सामना स्विट्जरलैंड के रोजर फेडरर और क्रोएशिया के बोर्ना कोरिक के बीच होने वाले दूसरे सेमीफाइनल के विजेता से होगा। सितसिपास ने साल के पहले ग्रैंड स्लैम आस्ट्रेलियन ओपन में फेडरर को मात दी थी।

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