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IANS News

न्यायमूर्ति मिश्रा : न्यायाधीशों की बगावत झेलन वाले पहले प्रधान न्यायाधीश

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नई दिल्ली, 1 अक्टूबर (आईएएनएस)| सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा का सोमवार को वर्तमान पद पर अंतिम कार्य दिवस होगा। वह भारत के न्यायिक इतिहास में शायद एकलौते प्रधान न्यायाधीश हैं, जिनको इस रूप में याद किया जाएगा कि उन्हें अपने वरिष्ठतम सहकर्मियों की बगावत झेलनी पड़ी। इसके अलावा उनके कार्यकाल के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल द्वारा उनके खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव विफल रहा।

प्रधान न्यायाधीश मिश्रा को इस बात का श्रेय दिया जाएगा कि उन्होंने ही शीर्ष अदालत की कार्यवाही का सीधा प्रसारण करने की अनुमति दी जिससे अदालती कार्यवाही को घर की बैठक से देखना संभव होगा।

बतौर प्रधान न्यायाधीश 13 महीने पांच दिन का उनका कार्यकाल शायद सबसे उथल-पुथल वाला रहा जब उनकी बिरादरी के न्यायाधीशों और कुछ वकीलों ने विभिन्न पीठों को मामले के वितरण में उनकी कार्यप्रणाली और संविधान पीठ के मामले को शीर्ष अदालत के नए न्यायाधीशों की पीठ में सूचीबद्ध करने को लेकर उनपर खुलेआम सवाल उठाया।

ऐसी धारणा थी कि विशेष अदालत के न्यायाधीश बी. एच. लोया की मौत का मामला समेत महत्वपूर्ण मामलों को खास बेंच में सूचीबद्ध किया गया, इस मसले को बगावत पर उतरे चार न्यायाधीशों ने भी उठाया।

उसके बाद वरीयता क्रम में दूसरे स्थान पर रहे न्यायमूर्ति जे. चेलमेश्वर ने लखनऊ के एक मेडिकल कॉलेज के भ्रष्टाचार के आरोपों की एसआईटी जांच करवाने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई के लिए पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ का गठन किया। आदेश नौ नवंबर 2017 को दोपहर में दिया, लेकिन अगले ही दिन पांच न्यायाधीशों की पीठ ने उस आदेश को बदल दिया। इसको लेकर प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ आवाज उठी। वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण समेत वकीलों ने कोर्ट नंबर वन की पीठ के खिलाफ आवाज उठाई।

प्रधान न्यायाधीश मिश्रा की कार्यप्रणाली को लेकर उनकी अपनी ही बिरादरी के न्यायाधीशों द्वारा सवाल किए गए, जिसमें वकील समुदाय के कुछ प्रमुख लोग भी शामिल हुए, मगर प्रधान न्यायाधीश मिश्रा ने अपने शांत स्वभाव और कौशल से उससे निपटा।

हालांकि प्रधान न्यायाधीश मिश्रा के कार्यकाल को अन्य बातों के लिए भी याद किया जाएगा। अदालत ने जब यह आदेश दिया था कि पद्मावत जैसी फिल्मों की स्क्रीनिंग में दखल नहीं दिया जा सकता है, उस समय उन्होंने कहा था कि स्वनियुक्त दक्षिणपंथी सांस्कृतिक पुलिस को सिनेमा में कलाकारों की रचनात्मक अभिव्यक्ति में दखल देने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

अपने पूरे कार्यकाल में प्रधान न्यायाधीश मिश्रा लोगों की स्वतंत्रता व अधिकार, खासतौर से महिलाओं की स्वतंत्रता और अधिकारों को बनाए रखने में स्पष्टवादी बने रहे।

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टेनिस : दुबई चैम्पियनशिप में सितसिपास ने मोनफिल्स को हराया

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 दुबई, 1 मार्च (आईएएनएस)| ग्रीस के युवा टेनिस खिलाड़ी स्टेफानोस सितसिपास ने शुक्रवार को दुबई ड्यूटी फ्री चैम्पियनशिप के पुरुष एकल वर्ग के सेमीफाइनल में फ्रांस के गेल मोनफिल्स को कड़े मुकाबले में मात देकर फाइनल में प्रवेश कर लिया।

  वर्ल्ड नंबर-11 सितसिपास ने वर्ल्ड नंबर-23 मोनफिल्स को कड़े मुकाबले में 4-6, 7-6 (7-4), 7-6 (7-4) से मात देकर फाइनल में प्रवेश किया।

यह इन दोनों के बीच दूसरा मुकाबला था। इससे पहले दोनों सोफिया में एक-दूसरे के सामने हुए थे, जहां फ्रांस के खिलाड़ी ने सीधे सेटों में सितसिपास को हराया था। इस बार ग्रीस के खिलाड़ी ने दो घंटे 59 मिनट तक चले मुकाबले को जीत कर मोनफिल्स से हिसाब बराबर कर लिया।

फाइनल में सितसिपास का सामना स्विट्जरलैंड के रोजर फेडरर और क्रोएशिया के बोर्ना कोरिक के बीच होने वाले दूसरे सेमीफाइनल के विजेता से होगा। सितसिपास ने साल के पहले ग्रैंड स्लैम आस्ट्रेलियन ओपन में फेडरर को मात दी थी।

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