Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

नेशनल

सीएम योगी के प्रयासों का सुखद परिणाम, गरीबी हटाने में सबसे आगे रहा यूपी

Published

on

Loading

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा गरीबी उन्मूलन और विभिन्न योजनाओं के माध्यम से गरीबों की आय बढ़ाकर उन्हें गरीबी रेखा से बाहर निकालने के लिए किए जा रहे प्रयासों का सुखद परिणाम सामने आया है। नीति आयोग की रिपोर्ट ‘राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक: एक प्रगति समीक्षा 2023’ के अनुसार 2015-16 और 2019-21 के बीच जहां भारत मे रिकॉर्ड 13.5 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर निकले हैं तो वहीं उत्तर प्रदेश में गरीबों की संख्या में सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई और 3.43 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से उबरने में कामयाब रहे हैं। 36 राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और 707 प्रशासनिक जिलों के लिए बहुआयामी गरीबी अनुमान प्रदान करते हुए, रिपोर्ट में कहा गया है कि बहुआयामी गरीबों के अनुपात में सबसे तेज कमी उत्तर प्रदेश में दर्ज की गई है। बिहार, मध्य प्रदेश, ओडिशा और राजस्थान जैसे राज्यों का नंबर यूपी के बाद आता है।

गांवों में तेजी से घटी गरीबों की संख्या

रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश में, 2015-16 और 2019-21 के बीच 3,42,72,484 लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। परिणामस्वरूप, प्रदेश में गरीबी में रहने वाले लोगों का अनुपात 2015-16 में 37.68% से घटकर 2019-21 में 22.93% हो गया है। उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी का अनुपात 2015-16 में 44.29% से घटकर 2019-21 में 26.35% हो गया, जबकि शहरों में यह 2015-16 के 17.72% से हटकर 2019-21 में 11.57 पर आ गया।

कई और पैरामीटर्स पर भी रहे सकारात्मक परिणाम

गरीबी के साथ ही यूपी में गरीबों की हेल्थ, एजुकेशन और स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग संबंधित पैरामीटर्स में भी सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं। रिपोर्ट के अनुसार 2015-16 में न्यूट्रीशन से वंचित गरीबों की संख्या 30.40% थी जो 2019-21 में घटकर 18.45% पर आ गई। इसी तरह, बच्चों और किशोरों की मृत्यु दर में भी सुधार हुआ है। 2015-16 में यह 3.81% थी जो 2019-21 में घटकर 2.20% पर आ गई। मैटरनल हेल्थ में भी काफी सुधार हुआ और 2015-16 के 25.20% से घटकर यह 2019-21 में 15.97% पर आ गई। स्टैण्डर्ड ऑफ लिविंग के तहत 2015-16 में कुकिंग फ्यूल से वंचित गरीबों का प्रतिशत 34.24 था जो 2019-21 में 17.95% रह गया। 2015-16 में 2.09% पीने के पानी से वंचित थे जो आंकड़ा 2019-21 में घटकर 0.93% रह गया।

गरीबी में सर्वाधिक कमी वाले दस जिले

महाराजगंज- 29.64
गोंडा- 29.55
.बलरामपुर- 27.90
कौशाम्बी- 25.75
खीरी-25.33
श्रावस्ती- 24.42
जौनपुर-26.65
बस्ती- 23.36
गाजीपुर- 22.83
कुशीनगर- 22.28
चित्रकूट- 21.40

नेशनल

कौन हैं वी नारायणन, जो बनेंगे ISRO के नए अध्यक्ष

Published

on

Loading

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने वी नारायणन को इसरो का नया अध्यक्ष और अंतरिक्ष विभाग का सचिव नियुक्त किया है। वी नारायणन 14 जनवरी से ISRO के अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभालेंगे और साथ ही वह अंतरिक्ष विभाग के सचिव का पद भी संभालेंगे। नियुक्ति समिति के आदेश के अनुसार वी नारायणन अगले दो सालों तक या आगामी आदेश तक इन दोनों महत्वपूर्ण पदों पर काम करेंगे।

कौन हैं इसरो के नए प्रमुख?

वी नारायणन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक हैं। उनके पास रॉकेट और अंतरिक्षयान प्रणोदन के क्षेत्र में चार दशकों का व्यापक अनुभव है। वह वर्तमान में द्रव नोदन प्रणाली केंद्र (Liquid Propulsion Systems Centre, LPSC) के निदेशक के रूप में कार्यरत हैं, जो इसरो के मुख्य केंद्रों में से एक है। वी नारायणन 1984 में ISRO में शामिल हुए और लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर (एलपीएससी) के निदेशक बनने से पहले विभिन्न पदों पर कार्य किया। प्रारंभिक चरण के दौरान, उन्होंने विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) में साउंडिंग रॉकेट्स और संवर्धित उपग्रह प्रक्षेपण यान (ASLV) और ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) के ठोस प्रणोदन क्षेत्र में काम किया।

वी नारायणन ने एब्लेटिव नोजल सिस्टम, कंपोजिट मोटर केस और कंपोजिट इग्नाइटर केस की प्रक्रिया योजना, प्रक्रिया नियंत्रण और कार्यान्वयन में योगदान दिया। फिलहाल नारायणन एलपीएससी के निदेशक हैं, जो ISRO के प्रमुख केंद्रों में से एक है, जिसका मुख्यालय तिरुवनंतपुरम के वलियामला में है, जिसकी एक इकाई बेंगलुरु में है। नारायणन के पास 40 साल का अनुभव है। वे रॉकेट और स्पेसक्राफ्ट ऑपरेशन के एक्सपर्ट हैं।

14 जनवरी को रिटायर हो रहे एस सोमनाथ

ISRO के मौजूदा चेयरमैन एस. सोमनाथ ने 14 जनवरी 2022 को ISRO चेयरमैन का पद संभाला था। वे तीन साल के कार्यकाल के बाद रिटायर हो रहे हैं। उनके कार्यकाल में ISRO ने इतिहास रचा। ISRO ने न सिर्फ चांद के साउथ पोल पर चंद्रयान-3 की लैंडिंग कराई, बल्कि धरती से 15 लाख किमी ऊपर लैगरेंज पॉइंट पर सूर्य के अध्ययन के लिए आदित्य-L1 भी भेजा।

Continue Reading

Trending