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उत्तर प्रदेश

नागा संन्यासियों के श्री तपोनिधि आनंद अखाड़े ने किया महाकुम्भ में भव्य छावनी प्रवेश

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महाकुम्भनगर। ग्रह-नक्षत्रों के विशिष्ट खगोलीय संयोग से 144 वर्ष बाद पड़ रहे महाकुम्भ 2025 के दिव्य-भव्य आयोजन में सभी अखाड़े तिथि और परंपरा अनुसार महाकुम्भ मेला क्षेत्र में छावनी प्रवेश कर रहे हैं। इसी क्रम में भगवान सूर्य को अपना इष्टदेव मानने वाले श्री तपोनिधि आनंद अखाड़े ने सोमवार को परंपरा अनुसार महाकुम्भ में छावनी प्रवेश किया। शैव परंपरा के श्री तपोनिधि आनंद अखाड़े ने हाथी, घोड़ों, रथ, ऊंट पर सवार नागा संन्यासियों, आचार्य, मण्डलेश्वर, महामण्डलेश्वरों ने बाजे-गाजे के साथ मेला क्षेत्र में प्रवेश किया। छावनी प्रवेश यात्रा में साधु-संन्यासियों का नगर और मेला प्रशासन ने माल्यार्पण और पुष्पवर्षा कर स्वागत किया तो वही प्रयागराजवासियों ने भी नागा संन्यासियों का दुलर्भ दर्शन और आशीर्वाद प्राप्त किया।

इष्ट देव भगवान सूर्य की धर्म ध्वजा लेकर आनंद अखाड़े की निकली प्रवेश यात्रा

सनातन धर्म और संस्कृति के रक्षक श्री तपोनिधि आनंद आखड़े ने सोमवार को परंपरा और क्रम के अनुसार महाकुम्भ 2025 के मेला क्षेत्र में दिव्य-भव्य छावनी प्रवेश किया। आनंद अखाड़े की छावनी प्रवेश यात्रा मठ बाघम्बरी गद्दी से निकल कर भारद्वाजपुरम के लेबर चौराहे से मटियारोड होते हुए अलोपी देवी चौरहे पहुंची। अलोपी देवी से छावनी प्रवेश यात्रा दारंगज के दशाश्वमेध घाट से मुड़ कर शास्त्री ब्रिज के नीचे से होते हुए संगम क्षेत्र में प्रवेश कर गई। छावनी यात्रा का जगह-जगह नगरवासियों और नगर प्रशासन ने पुष्प वर्षा कर स्वागत किया। संगम क्षेत्र में छावनी यात्रा के दौरान मेला प्रशासन के अधिकारियों ने अखाड़े के साधु-संन्यासियों और मण्डलेश्वर, महामण्डलेश्वरों का स्वागत और अभिनंदन किया।

मठ बाघम्बरी गद्दी से निकल कर संगम क्षेत्र में किया प्रवेश

आनंद अखाड़े की भव्य शोभा यात्रा में बाजे-गाजे के साथ सबसे आगे धर्म ध्वजा चल रही थी। उसके पीछे धर्म के रक्षक नागा संन्यासियों की टोली हाथों में भाले, बरछी, तलवार लेकर इष्टदेव भगवान सूर्य का विग्रह लेकर चल रहे थे। छावनी प्रवेश यात्रा में भगवान सूर्य के साथ गुरु निशान लेकर चल रहे थे जो मेला क्षेत्र के अखाड़े में स्थापित की गई। भगवान सूर्य के जयघोष के साथ अखाड़े के आचार्य, मण्डलेश्वर, महामण्डलेश्वर अपने-अपने रथों, हाथी, घोड़ों पर सवार हो कर छावनी यात्रा की शोभा बढ़ा रहे थे। छावनी यात्रा में अखाड़े के अध्यक्ष शंकरानंद गिरि, आचार्य महामण्डलेश्वर बालकानंद गिरि के मार्गदर्शन में महामण्डलेश्व सुरेन्द्रानंद गिरि, सचिव बरेली के कालू गिरि महाराज के साथ ही महिला महामण्डलेश्वर साध्वी मंजू, श्री जी आदि साधु-संन्यासियों ने नगर वासियों को आशीर्वाद देते हुए मेला क्षेत्र में प्रवेश किया।

प्रयागराज के नगरवासियों और मेला प्रशासन ने पुष्पवर्षा कर किया आनंद अखाड़े का स्वागत

श्री तपोनिधि आनंद अखाड़े की छावनी प्रवेश यात्रा नागा संन्यासियों के क्रम में आखिरी प्रवेश यात्रा थी। इसके बाद वैष्णव बैरागी अखाड़े, उदासीन और निर्मल अखाड़े का छावनी प्रवेश परंपरा और तिथि क्रम के हिसाब से होगा। आनंद अखाड़े की छावनी प्रवेश यात्रा के बाद शाम को संगम क्षेत्र में अखाड़ा परिसर में पहुंच कर सबसे पहले धर्म ध्वजा को स्थापित किया। इसके बाद अखाड़े के साधु-संन्यासियों ने मंत्रोच्चार के बीच इष्ट देव भगवान सूर्य के मंदिर की अखाड़े में स्थापना की। अखाड़े के सभी संतों ने सनातन धर्म की रक्षा और विश्व कल्याण के संकल्प का उद्धोष कर भगवान सूर्य और गंगा मईय्या की जय का जयकारा लगाया।

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उत्तर प्रदेश

23 साल से लापता युवक को घर की याद वापस ले आई, मामला उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले का

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सीतापुर। यूपी के सीतापुर में 23 साल से लापता एक युवक को घर की याद वापस ले आई. युवक जब अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ गांव वापस लौटा तो उसकी मां बेटे को देखकर हैरत में पड़ गई. युवक को देखने के लिए गांववालों का तांता लग गया. युवक ने लंबे अरसे के बाद गांव पहुंचकर सभी को अचंभित कर दिया. सूचना पर पहुंची पुलिस ने भी युवक के बयान दर्ज कर कागजी कार्रवाई पूरी की. 23 साल पहले मां ने थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई थी. लंबे अरसे से बिछड़े चल रहे बेटे ने मां को पाकर खुशी जाहिर की. पूरा मामला रेउसा थाना इलाके का है.

मां ने युवक के सर में लगी चोट के निशान से उसकी पहचान अपने बेटे के रूप में की. थाना क्षेत्र के ग्राम रेवान निवासी अरविंद मौर्य वर्ष 2002 में संदिग्ध परिस्थितियों में कहीं लापता हो गया था. तब अरविंद की उम्र करीब 18 साल की थी. अरविंदर जब गायब हुआ था उस समय वह सौंफ बेचने का काम करता था. मां चंपाकली ने बताया कि वर्ष 2002 में 18 वर्ष की आयु में अरविंद अपने घर से कहीं चला गया था. बेटे के जाने के बाद थाने में गुमशुदगी दर्ज कराकर उसको ढूंढा और साथ ही वापस आने के लिए मंदिरों में मन्नते भी मांगी लेकिन उसका कोई सुराग नहीं लगा.

युवक को देख गांव वाले भी चकित

करीब 23 साल बाद जब अरविंद गांव पहुंचा तो उसे गांव वाले पहचान नहीं पाए। वही अरविंद भी सभी गांव वालों को देखता हुआ अपने घर जा पहुंचा। बताते है कि जब अरविंद ने अपनी मां चंपाकली के पैर छुए और खुद को उसका बेटा अरविंद होना बताया तो मां सहित उसकी पत्नी और दोनों बच्चे सभी अचंभित रह गए। इतना ही नहीं गांव वाले भी हैरत में पड़ गए। जब गांव वालों ने अरविंद से सवाल जवाब किए तो उसने एक एक करके गांव वालों के सवालों का जवाब दिया।

बच्चे और पत्नी घर आने का बना रहे थे दबाव

वहीं मां चंपाकली ने बचपन में अरविंद के सिर पर लगी चोट के निशान को उसकी पहचान अपने पुत्र के रूप में की। इसके बाद घर वालों की खुशी का ठिकाना न रहा। सूचना पाकर थाना पुलिस भी मौके पर पहुंच गई। पुलिस ने भी अरविंद से सवाल जवाब किए। युवक अरविंद ने बताया कि वह घर से भागकर पंजाब, हरियाणा सहित अन्य जगहों पर नौकरी की। इसके बाद शादी की। अरविंद का कहना है कि उसकी पत्नी और बच्चे लगातार उस पर दबाव बना रहे थे कि वह अपने घर और परिवार वालों के बारे में जानकारी करें और उनका पता लगाए।

पुलिस ने भी की युवक से पूछताछ

अरविंद ने बताया कि बच्चों की जिद के बाद उसने अपने गांव का पता लगाया और पंजाब से वापस अपने गांव मां से मिलने पहुंच गया। पुलिस ने युवक और उसके परिवार वालों से पूछताछ कर गुमशुदगी के मामले की कार्रवाई पूरी की। 23 साल बाद वापस पहुंचे युवक को देखने के लिए गांव वालों का घर पर हम हुजूम लगा रहा।

 

 

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