आध्यात्म
चारधाम यात्रा पुनः शुरू, अब तक 10 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने की यात्रा
रुद्रप्रयाग (उत्तराखण्ड)। ख़राब मौसम के चलते दो दिन के व्यवधान के बाद केदारनाथ और यमुनोत्री धाम की यात्रा पुनः शुरू हो गई। दोनों ही धामों में पूरे दिन श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। हेलीकाप्टर सेवाएं निर्बाध संचालित होने से भी श्रद्धालुओं को राहत मिली। अब तक चारधाम यात्रा पर 10 लाख 14 हजार 871 यात्री पहुंचे हैं।
यात्रा को लेकर श्रद्धालुओं का जबरदस्त उत्साह दिखा
बदरीनाथ, गंगोत्री और हेमकुंड साहिब धामों की यात्रा को लेकर भी श्रद्धालुओं का जबरदस्त उत्साह दिखा। बारिश और बर्फबारी के कारण केदारनाथ और यमुनोत्री धाम की यात्रा पिछले दिनों में पूरी तरह संचालित नहीं हो पा रही थी।
पहाड़ी से मलबा और पत्थर गिरने का रहता खतरा
इनके पैदल ट्रैक पर पहाड़ी से मलबा और पत्थर गिरने के खतरे को देखते हुए सुबह के वक्त ही यात्रा चल पा रही थी। हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं को पड़ावों पर रोका गया था। धुंध की वजह से केदारनाथ के लिए हवाई उड़ान भी नहीं हो पाई।
गौरीकुंड से 14 हजार से ज्यादा श्रद्धालु रवाना हुए
बुधवार को मौसम सुहावना बना रहा। धाम और इसके पड़ावों पर पूरे दिन तीर्थयात्रियों के जत्थे नजर आए। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी एनएस रजवाल के अनुसार केदारनाथ के लिए दोपहर दो बजे तक गौरीकुंड से 14 हजार से ज्यादा श्रद्धालु रवाना हुए।
यमुनोत्री ट्रैक पर चोटिल हो रहे श्रद्धालु
यमुनोत्री धाम जाने वाले यात्रियों को पैदल ट्रैक पर कीचड से मुक्ति नहीं मिल पा रही है। करीब साढ़े पांच किलोमीटर लंबे इस ट्रैक पर कई जगह कीचड़ और फिसलन होने से तीर्थयात्री चोटिल हो रहे हैं।
चारधाम में यात्रियों की संख्या
धाम——-25 मई——-अब तक
यमुनोत्री—–9697——149596
गंगोत्री——-9869——200351
बदरीनाथ–11394——329790
केदारनाथ–14301—–335134
हेमकुंड——-1458———9808
व्रत एवं त्यौहार
CHHATH POOJA 2024 : जानें कब से शुरू होगी छठी मैया की पूजा, जानिए इसे क्यों मनाते हैं
मुंबई। त्रेतायुग में माता सीता और द्वापर युग में द्रौपदी ने भी रखा था छठ का व्रत रामायण की कहानी के अनुसार जब रावण का वध करके राम जी देवी सीता और लक्ष्मण जी के साथ अयोध्या वापस लौटे थे, तो माता सीता ने कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को व्रत रखकर कुल की सुख-शांति के लिए षष्ठी देवी और सूर्यदेव की आराधना की थी।
छठ पूजा क्यों मनाते है ?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा अर्चना और अर्घ्य देने से सुख-शांति, समृद्धि, संतान सुख और आरोग्य की प्राप्ति होती है। छठ पूजा को डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है। यह चार दिनों तक चलने वाला त्योहार है, जो मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। छठ पर्व के दौरान प्रकृति के विभिन्न तत्वों जैसे जल, सूर्य, चंद्रमा आदि की पूजा की जाती है. यह प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का एक तरीका है और हमें प्रकृति के संरक्षण का महत्व सिखाता है. छठ का व्रत बहुत कठिन होता है. व्रतधारी 36 घंटे तक बिना पानी पिए रहते हैं. साथ ही छठ पर्व सभी वर्गों और समुदायों के लोगों को एक साथ लाता है. इस पर्व के दौरान लोग मिलकर पूजा करते हैं, भोजन करते हैं और एक-दूसरे के साथ समय बिताते हैं. इससे सामाजिक एकता और भाईचारा बढ़ता है.
छठ पर्व के 4 दिन
छठ पूजा का पहला दिन, 5 नवंबर 2024- नहाय खाय.
छठ पूजा का दूसरा दिन, 6 नवंबर 2024- खरना.
छठ पूजा का तीसरा दिन, 7 नवंबर 2024-डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य.
छठ पूजा का चौथा दिन, 8 नवंबर 2024- उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण
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