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उत्तर प्रदेश

1068 करोड़ रुपये के निवेश का मार्ग प्रशस्त करेंगे मुख्यमंत्री

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गोरखपुर। गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) का 35वां स्थापना दिवस समारोह शनिवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सानिध्य में मनाया जाएगा। इस अवसर पर वर्तमान वित्तीय वर्ष में गीडा की तरफ से 1068 करोड़ रुपये के प्रस्तावित निवेश के सापेक्ष 85 निवेशकों को हुए भूखंडों के आवंटन में से पांच बड़े निवेशकों को खुद मुख्यमंत्री आवंटन प्रमाण पत्र सौंपेंगे। इसके साथ ही वह गीडा के विभिन्न सेक्टरों में इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के 209 करोड़ रुपये के कार्यों का शिलान्यास एवं लोकार्पण करने के अलावा गीडा के नाइलिट सेंटर से कौशल विकास का प्रशिक्षण लेने वाले युवाओं को सर्टिफिकेट प्रदान करेंगे। स्थापना दिवस पर सीएम योगी गीडा में लगने वाले दो दिवसीय ट्रेड शो और निवेश मित्र पोर्टल पर इंटीग्रेट होने वाली गीडा की 20 सुविधाओं का भी शुभारंभ करेंगे।

गीडा की मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) श्रीमती अनुज मलिक के मुताबिक स्थापना के 35वें स्थापना वर्ष में गीडा ने अभी तक 3 लाख 27 हजार 313 वर्गमीटर क्षेत्रफल में 85 औद्योगिक भूखंडों का आवंटन किया है। इसके जरिये 1068 करोड़ रुपये का निवेश और 4658 रोजगार सृजन प्रस्तावित है। स्थापना दिवस समारोह में आवंटित किए गए भूखंडों में से पांच बड़े निवेशकों को आवंटन पत्र का वितरण मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा किया जाएगा। गीडा की सीईओ के अनुसार वर्तमान वित्तीय वर्ष में जिन प्रमुख इकाइयों के लिए जमीनों का आवंटन किया गया है उनमें एपीएल अपोलो ट्यूब्स लिमिटेड, एसएलएमजी पीईटी प्लांट, कपिला कृषि उद्योग, आईसन एयर कूलर, टेक्नोप्लास्ट पैकेजिंग प्राइवेट लिमिटेड, मॉडर्न पैकेजिंग प्राइवेट लिमिटेड, नोवामैक्स इंडस्ट्रीज व होटल नीलकंठ ग्रैंड शामिल हैं।

123 करोड़ के कार्यों का शिलान्यास और 86 करोड़ रुपये के कार्यों का होगा लोकार्पण

गीडा के 35वें स्थापना दिवस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट से जुड़ी कुल 209 करोड़ रुपये की परियोजनाओं की सौगात देंगे। वह 123 करोड़ रुपये के कार्यों का शिलान्यास तथा 86 करोड़ रुपये के कार्यों का लोकार्पण करेंगे। शिलान्यास के प्रोजेक्ट्स में 94 करोड़ के सिविल और 29 करोड़ रुपये के विद्युत कार्य शामिल हैं। जबकि लोकार्पण की परियोजनाओं में 72 करोड़ के सिविल और 14 करोड़ रुपये के विद्युत कार्य सम्मिलित हैं।

और बेहतर होगा ईज ऑफ डूइंग बिजनेस

*मुख्यमंत्री के हाथों निवेश मित्र पोर्टल पर इंटीग्रेट होने वाली गीडा की 20 सुविधाओं का शुभारंभ होने के साथ ईज ऑफ डूइंग बिजनेस और बेहतर होगा। उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष गीडा के स्थापना दिवस समारोह पर सीएम योगी ने उद्यमियों की सुविधा के लिए ‘गीडा सेवा’ पोर्टल का शुभारंभ किया था। अब निवेश मित्र पोर्टल पर गीडा की 20 सुविधाओं के जुड़ जाने से उद्यमियों को और सहूलियत मिलेगी।

कौशल विकास का केंद्र बना नाइलिट का गीडा कैम्पस

पिछले स्थापना दिवस समारोह में गीडा ने नाइलिट (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी) से एमओयू कर स्थानीय युवाओं के कौशल विकास के लिए 9280 वर्गमीटर का कैम्पस, निर्मित भवन के साथ निशुल्क उपलब्ध कराया था। नाइलिट का गीडा कैम्पस कौशल विकास का केंद्र बनकर उभरा है। यहां अभी तक 13 पाठ्यक्रमों में 617 युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। गीडा के 35वें स्थापना दिवस समारोह में सीएम योगी नाइलिट से प्रशिक्षित पांच युवाओं को सर्टिफिकेट वितरित करेंगे।

दो दिवसीय ट्रेड शो में बड़ी कम्पनियों के साथ दिखेगा स्थानीय उत्पादों का जलवा

गीडा की तरफ से स्थापना दिवस पर दो दिवसीय ट्रेड शो का भी आयोजन किया जा रहा है। इसमें बड़ी कम्पनियों के उत्पादों के साथ स्थानीय उत्पादों, खासकर ओडीओपी का जलवा देखने को मिलेगा। स्थानीय उत्पादों को बेहतर मंच देने के लिए मुख्यमंत्री पहले ही निर्देश दे चुके हैं। ट्रेड शो में पेप्सिको, कोका-कोला, अडानी समूह समेत 15 बड़ी कम्पनियों के प्रतिनिधि भी आएंगे। ट्रेड शो के दूसरे दिन एक दिसंबर को तीन तकनीकी सत्र भी आयोजित किए जाएंगे

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उत्तर प्रदेश

न दाल पतली होगी, न तेल उबलेगा

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दलहन और तिलहन की खेती में देश और प्रदेश आत्मनिर्भर बने, यह केंद्र की मोदी और प्रदेश की योगी सरकार की मंशा है। इसके लिए लगातार प्रयास भी जारी हैं। अगले कुछ वर्षों में प्रदेश दलहन एवं तिलहन के मामले में आत्मनिर्भर हो जाएगा। मांग एवं आपूर्ति में संतुलन होने से न तो आम आदमी के थाल की दाल पतली होगी न ही तेल में उबाल आएगा।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर कृषि विभाग ने इस बाबत चार साल (2023-24 से 2026-27) की मुकम्मल कार्ययोजना तैयार की है। इस दौरान योजना के क्रियान्वयन पर करीब 236 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसके तहत दलहनी एवं तिलहनी फसलों के बीज के मिनी किट का निःशुल्क वितरण, प्रगतिशील किसानों के यहां डिमांस्ट्रेशन (प्रदर्शन) और किसान पाठशालाओं के जरिये विशेषज्ञों द्वारा खेती के उन्नत तौर-तरीकों की जानकारी देना शामिल है।

फसलें, जिनके मिनी किट दिये जा रहे हैं

योजना के तहत प्रदेश के अलग-अलग कृषि जलवायु के अनुरूप तय समयावधि में संबंधित क्षेत्र के किसानों को दलहनी एवं तिलहनी फसलों के बीज के निःशुल्क मिनी किट दिये जा रहे हैं। इस क्रम में दलहनी फसलों के लिए उर्द, मूंग, अरहर, चना, मटर, मसूर का चयन किया गया है। तिलहनी फसलों में तिल, मूंगफली, राई/सरसों और अलसी के बीज शामिल हैं।

यूपी एग्रीज योजना भी होगी मददगार

विश्व बैंक की मदद से चलने वाली यूपी एग्रीज योजना भी दलहन और तिलहन में प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने में मददगार होगी। खासकर, झांसी और इससे सटे इलाकों में मूंगफली की खेती को प्रोत्साहन देने के लिए क्लस्टर विकसित करने की योजना है।

किसान देखकर सीखें, इसके लिए डिमांस्ट्रेशन पर होगा जोर

किसान देखकर इन फसलों की उन्नत खेती के बाबत सीखें इसके लिए प्रगतिशील किसानों के फील्ड में प्रदर्शन भी होंगे। साथ ही किसान पाठशाला में भी एक्सपर्ट किसानों को रोग एवं कीट प्रतिरोधी उन्नत प्रजाति, खेत की तैयारी से लेकर बोआई के तरीके, फसल संरक्षण के उपाय एवं भंडारण के बारे में बताएंगे। इसका मकसद रकबे के साथ उसी अनुपात में उत्पादन बढ़ाना है।

दूसरे कार्यकाल के तुरंत बाद ही सीएम योगी के निर्देश पर शुरू हो गया था काम

अपने दूसरे कार्यकाल के तुरंत बाद (अप्रैल 2022) सीएम योगी ने एक समीक्षा बैठक में निर्देश दिया था कि अगले पांच साल में प्रदेश को दलहन और तिलहन के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए मुकम्मल योजना तैयार करें। तभी से इस पर काम भी शुरू हो गया था। इसके लिए प्रमाणित एवं आधारीय बीजों का आवंटन बढ़ा दिया गया था। किसानों को रबी-ख़रीफ की मुख्य फसलों के साथ दलहन एवं तिलहन के इंटरक्रॉपिंग, बार्डर लाइन सोईंग और असमतल भूमि पर सूक्ष्म सिंचाई के साधनों के दलहन एवं तिलहन की फसलों की बोआई के लिए जागरूक किया गया। अब सरकार इस बाबत एक मुकम्मल कार्ययोजना लेकर आई है।

मांग की तुलना में तिलहन एवं दलहन का उत्पादन क्रमशः करीब 35 एवं 45 फीसद

फिलहाल खाद्य तेलों की आवश्यकता के सापेक्ष 30-35 फीसदी और दलहन की आवश्यकता के सापेक्ष प्रदेश में 40-45 फीसदी ही उत्पादन हो रहा है। जब भी दलहन, तिलहन की मांग और आपूर्ति थोड़ी गड़बड़ होती है तो अधिक आबादी के कारण भारत से ही सर्वाधिक मांग निकलती है। इस मांग के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निर्यातक देश भाव चढ़ा देते हैं। आबादी एवं खपत के नाते उत्तर प्रदेश इससे खासा प्रभावित होता है। बढ़े हुए दाम मीडिया की सुर्खियां बनते हैं। दलहनी और तिलहनी फसलों में आत्मनिर्भर होने के बाद मांग एवं आपूर्ति में बैलेंस होने पर ऐसा नहीं हो सकेगा।

केंद्र की भी मिल रही भरपूर मदद

आबादी के लिहाज से उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है। ऐसे में यहां कि मांग और आपूर्ति का देश ही नहीं दुनिया के बाजारों पर भी असर पड़ता है। ऐसे में किसी भी योजना के केंद्र में उत्तर प्रदेश जरूर रहता। ऐसे में उसका लाभ भी उत्तर प्रदेश को सर्वाधिक मिलता है।

पायलट प्रॉजेक्ट के तहत पहली बार इन फसलों के लिए होने जा रही कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग

उल्लेखनीय है कि हाल ही में पहली बार केंद्र सरकार ने इसके लिए बतौर पायलट प्रोजेक्ट कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के लिए करार किया है। झारखंड, बिहार, तमिलनाडु और गुजरात के कुछ किसानों से ये करार केंद्र की संस्था नेशनल कॉपरेटिव कंज्यूमर्स फेडरेशन (एनसीसीएफ) ने किया है। प्रोजेक्ट सफल रहा तो अन्य राज्यों में भी इसे विस्तार दिया जाएगा। दलहनी फसलों में सर्वाधिक खपत अरहर के दाल की होती है, इसलिए केंद्र सरकार ने अरहर की खेती के लिए 35 और उर्द की खेती को प्रोत्साहन देने के लिए 18 जिले चयनित किए हैं। योगी सरकार पहले से दलहनी फसलों के प्रोत्साहन के लिए बुंदेखंड को फोकस कर दलहन ग्राम योजना चला रही है। करीब दो साल पहले केंद्र सरकार ने खेतीबाड़ी में भी एक जिला एक उत्पाद योजना लागू की थी। इसमें एक फसल के लिए एक या एक से अधिक जिलों को भी शामिल किया था। इसके तहत चने की फसल के लिए चित्रकूट, महोबा, हमीरपुर और सोनभद्र को चुना गया था।

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