उत्तर प्रदेश
सदन में अलग अंदाज में नजर आ रहे सीएम योगी
लखनऊ, । विधान सभा के द्वितीय सत्र में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का अलग ही अंदाज देखने को मिल रहा है। सोमवार को सत्र के पहले दिन जहां कई विधायक उनके पैर छूते नजर आए थे तो वहीं दूसरे दिन मुख्यमंत्री ने अपने तीखे और व्यंग्य भरे लहजे से विपक्ष के तेवर ही ढीले कर दिए। मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में विपक्षी दलों के विधायकों के सवालों का जवाब देते हुए सपा पर तीखे वार किए और उनके समय की खस्ताहाल व्यवस्था की याद दिलाई तो वहीं नेता प्रतिपक्ष को बधाई देने के बहाने उन्होंने शिवपाल यादव और अखिलेश यादव पर भी व्यंग्य भरे तीर चलाए, जिसका असर लखनऊ से लेकर दिल्ली तक देखने को मिला।
मुस्कुराकर किया प्रहार
लोकसभा चुनाव में नतीजों के बाद सीएम योगी के तेवरों में नरमी की उम्मीद कर रहे विपक्षी विधायकों को जोर का झटका लगा। सीएम योगी के तेवर पहले से भी अधिक आक्रामक नजर आए। हालांकि, उनके शब्द व्यंग्य की चासनी में डूबे हुए थे। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय के बहाने सपा के वरिष्ठ नेता शिवपाल यादव पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि आपको बधाई, लेकिन आपने भी आखिरकार चचा को गच्चा दे ही दिया। चचा बेचारा हमेशा ही मार खाता है। सीएम योगी द्वारा मुस्कुराकर दिए गए इस वक्तव्य पर पहले शिवपाल यादव को सदन में सफाई देनी पड़ी, जबकि दिल्ली में लोकसभा के बाहर अखिलेश यादव भी इस व्यंग्य पर निरुत्तर नजर आए। सीएम योगी ने अपने एक ही तीर से दोनों को निशब्द कर दिया।
सपा पर चलाए तीखे तीर
इससे पहले, सीएम योगी ने सदन में महिला सुरक्षा को लेकर सपा पर प्रहार किया और यहां तक कह डाला कि महिला सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा तो स्वयं समाजवादी पार्टी से जुड़े लोग ही हैं। वहीं आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों और रसोइयों के मानदेय पर भी उन्होंने सपा को घेरते हुए उससे जुड़े भूमाफिया पर गरीबों को ठगने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सपा की सरकार ने गोमती नदी और कुकरैल नदी को नाला बना दिया। उन्होंने लखनऊ के विधायक रविदास मेहरोत्रा पर तंज कसते हुए ये भी कहा कि लखनऊ से विधायक तो आप हैं, लेकिन पैसा सरकार खर्च कर रही है। कुकरैल नदी के पुनर्व्यवस्थापन के लिए जो प्रयास सरकार कर रही है उसके लिए आपको हमारा धन्यवाद कहना चाहिए।
पहले दिन भी हल्के फुल्के मूड में आए थे नजर
सोमवार को सत्र के पहले दिन ही सीएम योगी के प्रति विधायकों की श्रद्धा और आदर देखने को मिला था, जब वह विधानसभा पहुंचे और तमाम विधायक उनके पैर छूने पहुंच गए। इसमें सत्तारूढ़ दल के साथ ही कई विपक्षी विधायक भी शामिल रहे। इस दौरान कुंडा से विधायक राजा भैया ने भी सीएम योगी के पैर छुए और उनका आशीर्वाद लिया। यही नहीं, पहले दिन वह वित्त मंत्री सुरेश खन्ना से शायरी करने के लिए आग्रह करते भी नजर आए और जब सुरेश खन्ना ने शायरी सुनाई तो सीएम योगी भी खिलखिलाकर हंस पड़े। उनका ये अंदाज पहले दिन ही चर्चा का विषय बना रहा।
उत्तर प्रदेश
योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच
लखनऊ | योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।
लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़
प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।
कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान
राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।
हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश
टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।
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