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उत्तर प्रदेश

सीएम योगी ने बाढ़ प्रभावित 40 जिलों को जारी किये 120 करोड़ रुपए

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लखनऊ: योगी सरकार ने बाढ़ प्रभावित व्यक्तियों, परिवार को राहत सहायता देने, कृषि निवेश अनुदान समेत अन्य राहत कार्यों के लिए अतिसंवेदनशील और संवेदनशील 40 जिलों को 120 करोड़ की धनराशि जारी की है। यह धनराशि योगी सरकार ने राज्य आपदा मोचक निधि से बाढ़ प्रभावित जिलों को आवंटित की है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बाढ़ से ज्यादा प्रभावित जिलों को 5 करोड़ जबकि सामान्य प्रभावित जिलों को एक-एक करोड़ की धनराशि आवंटित की है।

बाढ़ तैयारियों को पुख्ता करने के लिए पहले जारी किये थे 10 करोड़ रुपए

राहत आयुक्त जीएस नवीन ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बाढ़ प्रभावित इलाकों की खुद लगातार मॉनीटरिंग कर रहे हैं। इसके साथ ही समय-समय पर अधिकारियों को राहत कार्य संबंधी आवश्यक दिशा निर्देश दिये गये हैं। इसी के तहत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बाढ़ प्रभावितों की हर संभव मदद के लिए 40 जिलों को 120 करोड़ की धनराशि आवंटित की है। इससे पहले सीएम योगी ने बाढ़ तैयारियों को पुख्ता करने के लिए बाढ़ प्रभावित 24 अतिसंवेदनशील और 16 संवेदनशील जिलों को 10 करोड़ की धनराशि जारी की थी। सीएम योगी द्वारा 40 जिलों को आवंटित धनराशि को बाढ़ प्रभावित व्यक्तियों, उनके परिजनों को सहायता धनराशि, क्षतिग्रस्त फसलों का मुआवजा समेत अन्य राहत कार्यों में खर्च किया जाएगा।

इन जिलों को जारी की गयी पांच-पांच करोड़ की धनराशि

लखीमपुर खीरी, बलरामपुर, कुशीनगर, शाहजहांपुर, बाराबंकी, सीतापुर, गोण्डा, बहराइच, सिद्धार्थनगर, बलिया, गोरखपुर, बरेली, आजमगढ़, हरदोई, अयोध्या, बदायूं, फर्रुखाबाद, बस्ती, देवरिया एवं उन्नाव।

इन जिलों को जारी की गयी एक-एक करोड़ की धनराशि

महराजगंज, बिजनौर, गाजीपुर, मऊ, अम्बेडकरनगर, श्रावस्ती, संतकबीरनगर, पीलीभीत, सहारनपुर, शामली, अलीगढ़, हमीरपुर, गौतमबुद्धनगर, रामपुर, प्रयागराज, बुलंदशहर, मुरादाबाद, वाराणसी, लखनऊ एवं कासंगज।

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उत्तर प्रदेश

योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच

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लखनऊ |  योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।

लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़

प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।

कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान

राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।

हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश

टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।

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