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प्रादेशिक

कर्नाटक: कांस्टेबल ने एसपी ऑफिस के बाहर की पत्नी की हत्या, इस वजह से वारदात को दिया अंजाम

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बेंगलुरु। कर्नाटक के हासन जिले से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। यहां एक पुलिस कांस्टेबल ने एसपी ऑफिस के बाहर ही अपनी पत्नी की चाक़ू से गोदकर हत्या कर दी। पुलिस ने आरोपी कांस्टेबल को गिरफ्तार कर लिया है। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि यह घटना पारिवारिक विवाद के चलते हुई। बताया जा रहा है कि यह घटना उस समय हुई जब ममता अपने पति के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने एसपी कार्यालय आई थी।

इससे गुस्साए लोकनाथ ने घात लगाकर उस पर चाकू से हमला कर दिया, जिससे उसकी मौत हो गई। मौके पर पुलिसकर्मियों के अलावा कई लोग भी मौजूद थे। हालांकि उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन ममता ने दम तोड़ दिया। घटना को अंजाम देक‍र आरोपी पुलिस कांस्टेबल मौके से फरार हो गया। हालांकि बाद में उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

पुलिस ने जानकारी देते हुए बताया कि लोकनाथ और ममता की शादी को 17 साल हो चुके हैं और उनके दो बच्चे हैं। दंपति के बीच पारिवारिक विवाद चल रहा था। चार दिन पहले ही दोनों के बीच बहस हुई थी।

 

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पंजाब

पंजाब में नशे पर कंट्रोल के लिए नई नीति होगी तैयार, सीएम भगवंत मान ने बनाई कमेटी

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चंडीगढ़। पंजाब सरकार ने राज्य में नशे पर कंट्रोल करने के लिए नई नीति तैयार करने का प्रोसेस शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इसके लिए एक कमेटी गठन करने के साथ ही नशा मुक्ति और रिहैबिलिटेशन प्रोग्राम की निगरानी के लिए मुख्य सचिव केपी सिन्हा की अध्यक्षता में एक स्टीयरिंग कमेटी बनाई है। इस नई नीति का मुख्य फोकस नाबालिगों को नशे के असर से बचाना है, क्योंकि वर्तमान समय में इस आयु में नशे की लत बढ़ रही है। आने वाले 2-3 महीनों में यह नीति तैयार हो जाएगी।

नई नीति की रूपरेखा में शैक्षणिक संस्थानों में नशे की रोकथाम के उपायों पर चर्चा हो रही है। इससे जुड़ी स्टडी मटेरियल को सिलेबस में शामिल किया जाएगा। इसके अलावा, महिलाओं के लिए लुधियाना में एक नशा मुक्ति और पुनर्वास क्लिनिक स्थापित किया जा रहा है। हाल ही में नशा तस्करों के खिलाफ अभियान चलाया गया था। अब नशे से निपटने के लिए योजनाएं तैयार की जाएंगी। हायर एजुकेशन डिपार्टमेंट और एजुकेशन डिपार्टमेंट की मदद से मास्टर ट्रेनर तैयार किए जाएंगे।

पंजाब में इस समय 303 नशा मुक्ति और पुनर्वास केंद्र हैं। ओपीडी क्लिनिक भी बड़ी संख्या में चलाए जा रहे हैं, जिनमें 18 से 25 साल के युवा सबसे अधिक भाग ले रहे हैं। पुलिस भी अलग-अलग कार्यक्रमों के जरिए इस समस्या का समाधान करने में जुटी है।

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