उत्तर प्रदेश
योगी सरकार की पहल पर फिल्म सिटी और जेवर एयरपोर्ट के पास सच हो रहा प्रदेशवासियों के सपनों का घरौंदा
लखनऊ | योगी सरकार प्रदेशवासियों को उनके सपनों का घरौंदा उपलब्ध कराने के लिए लगातार नयी-नयी योजनाएं लांच कर रही है। इसी के तहत योगी सरकार की मंशा के अनुरूप यीडा ने प्रदेशवासियों को जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट से 15 मिनट, इंटरनेशनल फिल्म सिटी से एक किलोमीटर, यमुना एक्सप्रेस-वे और मोटो जीपी ट्रैक से पांच सौ मीटर की दूरी पर हाईटेक टाउनशिप की सौगात दी है। योगी सरकार इस हाईटेक टाउनशिप का लाभ देने के लिए अब तक 62,865 लोगों ने ब्रोशर खरीदा है, जबकि 34,180 लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया है। वहीं रजिस्ट्रेशन कराने की अंतिम तिथि 30 नवंबर है, जबकि लाॅटरी की डेट 27 दिसंबर रखी गयी है। बता दें कि टाउनशिप को नोएडा के सेक्टर-24 ए में विकसित किया गया है।
अब तक हाईटेक टाउनशिप के लिए 62,865 लोगों ने खरीदा ब्राउसर
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने की दिशा में लगातार युद्धस्तर पर काम कर रहे हैं। उनका यह प्रयास रंग भी लाने लगा है। सीएम योगी की कोशिशों का ही नतीजा है कि आज उत्तर प्रदेश में लगातार वर्ल्ड क्लास इंफ्रास्ट्रक्चर आकार ले रहे हैं। इसी कड़ी में प्रदेशवासियों को जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट, इंटरनेशनल फिल्म सिटी, यमुना एक्सप्रेस वे और मोटो जीपी ट्रैक के पास हाइटेक टाउनशिप की सौगात दी है। यहां पर प्रदेशवासियों के लिए 451 रेजिडेंशियल प्लॉट्स उपलब्ध कराने जा रहे हैं। इसमें 120 स्क्वायर मीटर के 100, 162 स्क्वायर मीटर के 169 प्लॉट्स, 200 स्क्वायर मीटर के 172 प्लॉट्स, 250 स्क्वायर मीटर के 6 प्लॉट्स और 260 स्क्वायर मीटर के 4 प्लॉट्स शामिल हैं। टाउनशिप में प्रदेश के अन्नदाताओं के लिए 17.5 प्रतिशत प्लॉट्स आरक्षित किये गये हैं।
30 नवंबर तक करा सकते हैं रजिस्ट्रेशन
योगी सरकार की इस हाईटेक टाउनशिप का लाभ उठाने के लिए अब तक 62,865 लोगों ने ब्रोशर खरीदा है। इसके लिए उन्होंने 3,77,19,000 रुपये की धनराशि खर्च की है। बता दें कि यीडा की ओर से ब्रोशर की फीस 600 रुपए प्रति आवेदक रखी गयी थी। वहीं 34,180 लोगों ने रजिस्ट्रेशन फीस के रूप में 14,89,50,00,000 रुपये की धनराशि खर्च की है। बता दें कि यीडा की ओर से अलग-अलग प्लॉट्स के लिए अलग-अलग रजिस्ट्रेशन फीस रखी गयी थी जबकि प्लॉट्स का रेट 25,900 रुपये प्रति स्क्वायर मीटर रखा गया है। यीडा ने रजिस्ट्रेशन की अंतिम डेट 30 नवंबर रखी है।
उत्तर प्रदेश
मुख्यमंत्री ने किया वीरांगना रानी दुर्गावती की प्रतिमा का अनावरण
बांदा/लखनऊ | मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गुरुवार को एक दिवसीय दौरे पर बांदा पहुंचे। यहां उन्होंने मेडिकल कॉलेज के मुख्य द्वार पर वीरांगना रानी दुर्गावती की प्रतिमा का अनावरण किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि रानी दुर्गावती भारतीय इतिहास की एक महान योद्धा थीं, जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। यह प्रतिमा उनकी वीरता और त्याग की याद दिलाती रहेगी और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देती रहेगी।
मुख्यमंत्री ने यहां भाजपा नेताओं से बातचीत में कहा कि बांदा में विकास कार्यों को गति देने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। बहुत जल्द वो दोबारा बांदा आएंगे साथ ही यहां कई योजनाओं का लोकार्पण भी करेंगे। उन्होंने जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से कहा कि विकास कार्यों को गुणवत्ता पूर्ण एवं समयबद्ध ढंग से पूर्ण कराया जाए।
मुख्यमंत्री ने जिले के ग्राम महुआ में तेलंगाना बीजेपी के प्रदेश संगठन महामंत्री चंद्रशेखर के पैतृक आवास पहुंच कर उनकी दिवंगत माता जी को श्रद्धांजलि अर्पित की। मुख्यमंत्री ने दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की और परिजनों को ढांढस बंधाया।
इस दौरान प्रदेश के जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, जलशक्ति राज्य मंत्री रामकेश निषाद, जिला पंचायत अध्यक्ष सुनील सिंह पटेल, विधायक सदर प्रकाश द्विवेदी, विधायक नरैनी ओम मणि वर्मा, जिला अध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी संजय सिंह, आयुक्त चित्रकूट धाम मंडल बांदा बाल कृष्ण त्रिपाठी, जिलाधिकारी बांदा नगेंद्र प्रताप, पुलिस अधीक्षक अंकुर अग्रवाल सहित अन्य जनप्रतिनिधि व अधिकारीगण उपस्थित रहे।
भारतीय इतिहास की महान योद्धा थीं वीरांगना दुर्गावती
महान वीरांगना रानी दुर्गावती का जन्म 1524 में मंडला, मध्य प्रदेश में हुआ था। वे गोंडवाना साम्राज्य के राजा संग्राम शाह की पुत्रवधू थीं। रानी दुर्गावती ने अपने पति राजा दलपत शाह की मृत्यु के बाद राज्य की बागडोर संभाली और अपने शासनकाल में गोंड साम्राज्य को समृद्ध और शक्तिशाली बनाया। मुगल सम्राट अकबर के सेनापति आसफ खान ने जब उनके राज्य पर हमला किया, तो रानी दुर्गावती ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए अपनी सेना का नेतृत्व किया। 1564 में हुए युद्ध में उन्होंने दुश्मनों को कड़ी टक्कर दी, लेकिन अंततः पराजय के कगार पर पहुंचने के बाद उन्होंने आत्मसमर्पण के बजाय वीरगति को चुना। उनकी कहानी शौर्य, बलिदान और स्वाभिमान का प्रतीक है, जो आज भी लोगों को प्रेरणा देती है।
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