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आंदोलन में मारे गए युवा किसान के परिवार को 1 करोड़ देगी पंजाब सरकार, बहन को सरकारी नौकरी

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चंडीगढ़। पंजाब-हरियाणा के बीच खनौरी बॉर्डर पर जान गांवाने वाले किसान शुभकरण सिंह के परिवार को पंजाब की भगवंत मान सरकार ने एक करोड़ रु देने का एलान किया है। इसके साथ ही शुभकरण सिंह की छोटी बहन को सरकारी नौकरी भी दी जाएगी। वहीं सीएम मान ने दोषियों के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई करने का आश्वासन भी दिया है।

इसके पहले भगवंत मान ने किसान शुभकरन सिंह की मौत पर दुख जताते हुए कहा कि उसकी मौत के लिए जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ जांच के बाद कार्रवाई करेंगे। सीएम ने कहा कि वो 100 कुर्सियां कुर्बान कर देंगे लेकिन एक भी शुभकरण को मरने नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि हमारे शुभकरणों पर गोली मत चलाओ। सीएम मान ने आगे कहा कि शुभकरण फोटो खिंचवाने नहीं आया था, वह अपनी फसल का सही दाम लेने आया था।

मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि इस नौजवान की मौत केंद्र और हरियाणा सरकार के मनमानेपन का नतीजा है। भगवंत सिंह मान ने कहा, ‘‘मैंने तो अपने स्तर पर पूरी ताकत लगा दी जिससे हमारे किसानों और नौजवानों को गोलियों, पानी की बौछारों, आँसू गैस के गोले और अन्य कार्यवाही का सामना न करना पड़े। मैंने किसानों और केंद्र के मध्य पुल का काम किया जिससे बात किसी नतीजे पर पहुंच सके परन्तु दुर्भाग्यवश से बात नहीं बनी।’’

मुख्यमंत्री ने कहा कि किसान यूनियनों और केंद्र सरकार के दरमियान हुई मीटिंगों में से दो में वह शामिल हुए हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को किसानों की माँगों मान लेनी चाहिए थीं जबकि केंद्र सरकार अपना फ़र्ज़ निभाने में असफल रही है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि किसानों की माँगें मानने की बजाय उल्टा हरियाणा ने कँटीली तारों के साथ किसानों का रास्ता रोका हुआ है। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसान अपनी राष्ट्रीय राजधानी जाकर शांतमयी विरोध दर्ज करवाना चाहते थे परन्तु हरियाणा सरकार ने उनको ज़बरदस्ती रोक दिया। उन्होंने कहा कि केंद्र को राष्ट्रीय राजधानी में किसानों को उनके रोष-प्रदर्शन के लिए कुछ जगह अलॉट करनी चाहिए थी परन्तु इसकी बजाय हरियाणा सरकार ने किसानों को रोका और उन पर ताकत का प्रयोग किया। भगवंत सिंह मान ने कहा कि यह राज्य के अन्नदाताओं का घोर अपमान है जिन्होंने देश को अनाज उत्पादन में आत्म निर्भर बनाया है।

नेशनल

कौन हैं वी नारायणन, जो बनेंगे ISRO के नए अध्यक्ष

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नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने वी नारायणन को इसरो का नया अध्यक्ष और अंतरिक्ष विभाग का सचिव नियुक्त किया है। वी नारायणन 14 जनवरी से ISRO के अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभालेंगे और साथ ही वह अंतरिक्ष विभाग के सचिव का पद भी संभालेंगे। नियुक्ति समिति के आदेश के अनुसार वी नारायणन अगले दो सालों तक या आगामी आदेश तक इन दोनों महत्वपूर्ण पदों पर काम करेंगे।

कौन हैं इसरो के नए प्रमुख?

वी नारायणन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक हैं। उनके पास रॉकेट और अंतरिक्षयान प्रणोदन के क्षेत्र में चार दशकों का व्यापक अनुभव है। वह वर्तमान में द्रव नोदन प्रणाली केंद्र (Liquid Propulsion Systems Centre, LPSC) के निदेशक के रूप में कार्यरत हैं, जो इसरो के मुख्य केंद्रों में से एक है। वी नारायणन 1984 में ISRO में शामिल हुए और लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर (एलपीएससी) के निदेशक बनने से पहले विभिन्न पदों पर कार्य किया। प्रारंभिक चरण के दौरान, उन्होंने विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) में साउंडिंग रॉकेट्स और संवर्धित उपग्रह प्रक्षेपण यान (ASLV) और ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) के ठोस प्रणोदन क्षेत्र में काम किया।

वी नारायणन ने एब्लेटिव नोजल सिस्टम, कंपोजिट मोटर केस और कंपोजिट इग्नाइटर केस की प्रक्रिया योजना, प्रक्रिया नियंत्रण और कार्यान्वयन में योगदान दिया। फिलहाल नारायणन एलपीएससी के निदेशक हैं, जो ISRO के प्रमुख केंद्रों में से एक है, जिसका मुख्यालय तिरुवनंतपुरम के वलियामला में है, जिसकी एक इकाई बेंगलुरु में है। नारायणन के पास 40 साल का अनुभव है। वे रॉकेट और स्पेसक्राफ्ट ऑपरेशन के एक्सपर्ट हैं।

14 जनवरी को रिटायर हो रहे एस सोमनाथ

ISRO के मौजूदा चेयरमैन एस. सोमनाथ ने 14 जनवरी 2022 को ISRO चेयरमैन का पद संभाला था। वे तीन साल के कार्यकाल के बाद रिटायर हो रहे हैं। उनके कार्यकाल में ISRO ने इतिहास रचा। ISRO ने न सिर्फ चांद के साउथ पोल पर चंद्रयान-3 की लैंडिंग कराई, बल्कि धरती से 15 लाख किमी ऊपर लैगरेंज पॉइंट पर सूर्य के अध्ययन के लिए आदित्य-L1 भी भेजा।

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