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प्रादेशिक

पत्नी से रोज-रोज के झगड़ों से परेशान होकर मुंबई पुलिस के कांस्टेबल ने की आत्महत्या

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मुंबई। हर दिन के पारिवारिक झगड़े से परेशान होकर मुंबई पुलिस में तैनात कांस्टेबल ने आत्महत्या कर ली। पुलिस की तरफ़ से मिली जानकारी के मुताबिक़ कॉन्स्टेबल का नाम विजय सालुंखे है। जिसकी उम्र 38 साल है,विजय मुंबई के शाहुनगर पुलिस स्टेशन में कार्यरत थे, .. और 30 मई से तबियत खराब होने के कारण से छुट्टी पर चले गए थे।

14 जून के दिन शाम साढ़े आठ बजे के करीब विजय ने मुंबई के सायन इलाके के प्रतीक्षा नगर में स्थित अपने घर मे फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। वडाला टीटी पुलिस को आत्महत्या की जानकारी मिलते ही मौके पर पहुंच शव को अपने कब्जे में लिया और जब मृतक कांस्टेबल विजय की कपड़ों की तलाशी ली तब उसके पैंट से एक सुसाइड नोट मिला जिसमें आत्महत्या की वजह का खुलासा हुआ ।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के मुताबिक प्राथमिक रूप से देखकर यही लगता है कि कांस्टेबल हर दिन के पारिवारिक झगड़े से परेशान हो गया था और इसीलिए उसने आत्महत्या जैसा बड़ा कदम उठाया। फ़िलहाल वडाला TT पुलिस आगे मामले की जांच कर रही है।

पंजाब

पंजाब में नशे पर कंट्रोल के लिए नई नीति होगी तैयार, सीएम भगवंत मान ने बनाई कमेटी

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चंडीगढ़। पंजाब सरकार ने राज्य में नशे पर कंट्रोल करने के लिए नई नीति तैयार करने का प्रोसेस शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इसके लिए एक कमेटी गठन करने के साथ ही नशा मुक्ति और रिहैबिलिटेशन प्रोग्राम की निगरानी के लिए मुख्य सचिव केपी सिन्हा की अध्यक्षता में एक स्टीयरिंग कमेटी बनाई है। इस नई नीति का मुख्य फोकस नाबालिगों को नशे के असर से बचाना है, क्योंकि वर्तमान समय में इस आयु में नशे की लत बढ़ रही है। आने वाले 2-3 महीनों में यह नीति तैयार हो जाएगी।

नई नीति की रूपरेखा में शैक्षणिक संस्थानों में नशे की रोकथाम के उपायों पर चर्चा हो रही है। इससे जुड़ी स्टडी मटेरियल को सिलेबस में शामिल किया जाएगा। इसके अलावा, महिलाओं के लिए लुधियाना में एक नशा मुक्ति और पुनर्वास क्लिनिक स्थापित किया जा रहा है। हाल ही में नशा तस्करों के खिलाफ अभियान चलाया गया था। अब नशे से निपटने के लिए योजनाएं तैयार की जाएंगी। हायर एजुकेशन डिपार्टमेंट और एजुकेशन डिपार्टमेंट की मदद से मास्टर ट्रेनर तैयार किए जाएंगे।

पंजाब में इस समय 303 नशा मुक्ति और पुनर्वास केंद्र हैं। ओपीडी क्लिनिक भी बड़ी संख्या में चलाए जा रहे हैं, जिनमें 18 से 25 साल के युवा सबसे अधिक भाग ले रहे हैं। पुलिस भी अलग-अलग कार्यक्रमों के जरिए इस समस्या का समाधान करने में जुटी है।

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