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ऑफ़बीट

आइसक्रीम में थी कटी हुई इंसानी उंगली, डॉक्टर ने नट्स समझकर चखा, फिर निकल गई चीख

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मुंबई। मुंबई के मलाड इलाके से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहाँ ऑनलाइन मंगाई गई ऑइसक्रीम में इंसान की कटी हुई उंगली मिली है। यह आइसक्रीम एक डॉक्टर ने मंगाई थी.। कटी उंगली मिलने पर डॉक्टर ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। घटना की जानकारी सामने आने के बाद आइसक्रीम बनाने वाली कंपनी Yummo Ice Cream पर सवाल खड़े हो गए हैं।

दरअसल डॉक्टर ने आधी से अधिक आइसक्रीम खा ली थी, लेकिन जब उसे कुछ गड़बड़ महसूस हुई, तो उसने देखा कि आइसक्रीम के अंदर एक इंसानी कटी हुई उंगली है। पुलिस का कहना है कि प्रारंभिक तहकीकात में यह बात सामने आई है कि आइसक्रीम कोन में वास्तव में इंसानी अंग है। पुलिस ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए आइसक्रीम में मिले अंग को फोरेंसिक लैब (FSL) भेजा है।

ओरलेम निवासी ब्रेंडन सेराओ (27) ने बुधवार को ऑनलाइन डिलीवरी ऐप के माध्यम से कोन आइसक्रीम का ऑर्डर दिया था। सेराओ, जो पेशे से MBBS डॉक्टर हैं, ने बताया कि आइसक्रीम के अंदर लगभग 2 सेमी लंबी इंसानी उंगली का टुकड़ा था। यह घटना तब हुई जब उनकी बहन ने ऑनलाइन डिलीवरी ऐप के माध्यम से किराने का सामान ऑर्डर किया था और उन्होंने उसमें तीन बटरस्कॉच कोन आइसक्रीम सम्मिलित करने के लिए कहा था। आइसक्रीम डिलीवर होने के बाद जब उन्होंने कोन खोला, तो उसमें उंगली का टुकड़ा मिला।

पीड़ित ब्रेंडन ने कहा, ‘कल मैंने ऑनलाइन आइसक्रीम ऑर्डर की थी। जब मैं आइसक्रीम खा रहा था, तभी उंगली का एक बड़ा टुकड़ा मेरे मुंह में आया। मुझे लगा कि कोई नट्स होगा। मगर मुझे कुछ अजीब लगा। जब मैंने उसे बाहर निकाला तो देखा कि एक उंगली का टुकड़ा था। मैं एक डॉक्टर हूं तो मुझे पता है कि इंसान का मांस का टुकड़ा कैसा होता है। मैंने उस टुकड़े को तुरंत आइस में रखा और पुलिस को जानकारी दी। पता नहीं उस शख्स का ब्लड कितने आइस्क्रीम में मिक्स हो गया होगा। हमें पता नहीं कि उस आदमी को क्या-क्या बीमारी हो सकती है। मुझे अपने आप को चेक करवाना होगा। ब्लड टेस्ट करवानी होगी। मैं आइसक्रीम के बारे में सोचता भी हूं तो डर जाता हूं कि ऐसे कैसे हो सकता है।’

घटना की सूचना मिलते ही मलाड पुलिस सक्रिय हो गई। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि जिस जगह पर आइसक्रीम बनाई और पैक की गई थी, वहां की भी तलाशी ली जाएगी। मलाड पुलिस ने सेक्शन 272 ,273 एंड 336 के तहत FIR दर्ज की है। इस मामले की गहराई से जांच की जा रही है ताकि घटना की सच्चाई का पता लगाया जा सके। यह घटना शहरवासियों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बन गई है। आइसक्रीम जैसी लोकप्रिय खाद्य सामग्री में इस तरह की लापरवाही से लोगों की सेहत और सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। पुलिस की जांच के बाद ही इस घटना की पूरी सच्चाई सामने आ सकेगी।

उत्तर प्रदेश

अब एडवांस एमआरआई से ही स्लीप एपनिया का चलेगा पता

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लखनऊ 15 जून: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार नवाचार और शोध पर जोर दे रहे हैं ताकि आधुनिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर प्रदेशवासियों को इसका लाभ दिया जा सके। इसी क्रम में सीबीएमआर शोधकर्ता और एसजीपीजीआई के प्रोफेसर ने एमआरआई तकनीक के जरिये स्लीप एपनिया (नींद के दौरान होने वाली समस्याएं) के एडवांस स्टेज का पता लगाने के लिए एक शोध किया, जो सफल रहा। इससे शोध से अब एडवांस एमआरआई से स्लीप एपनिया के एडवांस स्टेज का पता लगाया जा सकेगा। इसके जरिये मरीज का सही दिशा और सटीक इलाज हो सकेगा।

शोध में सिर की सूक्ष्म संरचना पर पड़ने वाले प्रभाव का पता लगाया

सेंटर ऑफ बायोमेडिकल रिसर्च (सीबीएमआर) के शोधकर्ता डॉ. अहमद रजा खान ने एसजीपीजीआई के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर जिया हाशिम और रेडियोडायग्नोसिस विभाग के प्रोफेसर जफर नियाज के सहयोग से किए गए अध्ययन में एमआरआई तकनीक के जरिए ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (ओएसए) के मस्तिष्क की सूक्ष्म संरचना पर पड़ने वाले प्रभाव का पता लगाया है। इस तकनीक से कुछ माइक्रोन से लेकर 20-30 माइक्रोन तक के ऊतक परिवर्तनों की जांच की जा सकती है, जो पारंपरिक एमआरआई माप से 100 से 1000 गुना अधिक संवेदनशील हो सकते हैं। डॉ. अहमद ने बताया कि डिफ्यूजन एमआरआई ऊतकों में पानी के अणुओं के प्रसार को मापता है, जिससे ऊतक सूक्ष्म संरचना के बारे में जानकारी मिलती है। डिफ्यूजन एमआरआई में प्रगति, जैसे कि डिफ्यूजन कर्टोसिस इमेजिंग (डीकेआई), जटिल ऊतक वातावरण में गैर-गौसियन जल प्रसार व्यवहार की जांच करती है। बायोफिजिकल मॉडलिंग का उपयोग करते हुए, डीकेआई पैरामीटर एक्सोनल जल अंश जैसे श्वेत-पैरामीटर प्रदान कर सकते हैं। एक्सोन न्यूरॉन्स के ट्रंक हैं। इसलिए, ऐसी जानकारी (एक्सोनल जल अंश), मस्तिष्क में सेलुलर स्तर की न्यूरोनल संरचना को दर्शाती है।

चिकित्सीय रणनीति के विकास में होगा बड़ा योगदान

एसजीपीजीआई के प्रोफेसर ने बताया कि एमआरआई से ऐसी सेलुलर जानकारी (एक्सोनल जल अंश) की जांच करके, शोधकर्ता न्यूरोनल संरचना की अखंडता और रोग प्रबंधन के विभिन्न समय पर ओएसए से जुड़े संभावित परिवर्तनों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। अध्ययन के निष्कर्ष ओएसए वाले व्यक्तियों में देखी गई संज्ञानात्मक हानि और अन्य न्यूरोलॉजिकल परिणामों के अंतर्निहित न्यूरोबायोलॉजिकल तंत्र पर प्रकाश डालते हैं। इन तंत्रों को समझना ओएसए से संबंधित जटिलताओं के प्रबंधन के लिए बेहतर नैदानिक ​​और चिकित्सीय रणनीतियों के विकास में योगदान दे सकता है।

यह स्लीप एपनिया

स्लीप एपनिया एक व्यापक स्थिति है, जो सोते समय व्यक्ति की सांस को बाधित करती है। इसके कारण व्यक्ति केवल सांस लेने के लिए जागता है, जिससे उसकी नींद बाधित होती है और उसे आराम महसूस नहीं होता। समय के साथ, स्लीप एपनिया गंभीर या यहां तक ​​कि घातक जटिलताओं को जन्म दे सकता है, इसलिए शीघ्र निदान और उपचार महत्वपूर्ण है।

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