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उत्तर प्रदेश

योगी सरकार का पौष्टिक स्नैक्स बच्चों को बनाएगा हेल्दी

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लखनऊ | योगी सरकार द्वारा प्रदेश के बेसिक और जूनियर हाई स्कूल के बच्चों के समग्र विकास के लिए पौष्टिक भोजन के साथ पौष्टिक स्नैक्स उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है। यह पौष्टिक स्नैक्स बच्चों को विशेष साप्ताहिक पोषण कार्यक्रम के तहत दिये जाएंगे। इसमें मूंगफली की चिक्की, बाजरे के लड्डू और भुना चना आदि शामिल है। योगी सरकार ने मध्याह्न भोजन योजना को और अधिक प्रभावी संग लाभकारी बनाने के लिए पहल की है। यह पहल बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाएगी।

पौष्टिक स्नैक्स पर 95 करोड़ रुपये खर्च करेगी योगी सरकार

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक उच्च स्तरीय बैठक में अधिकारियों को नवंबर से बेसिक और जूनियर हाई स्कूल के बच्चों को विशेष साप्ताहिक पोषण कार्यक्रम के तहत हर गुरुवार को पौष्टिक स्नैक्स उपलब्ध कराने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में पीएम पोषण योजना के तहत कक्षा 1 से 8 तक के 1.74 करोड़ छात्रों को पौष्टिक भोजन प्रदान किया जा रहा है। इस योजना के माध्यम से बच्चों को हर दिन 100 से 150 ग्राम अनाज दिया जा रहा है। इसी क्रम में उन्होंने बच्चों के पोषण को ध्यान में रखते हुए चक्की के लड्डू, बाजरे के लड्डू, मूंगफली की चिक्की, भुना चना जैसे खाद्य पदार्थ भी योजना में शामिल करने के निर्देश दिये हैं। इसके लिए योगी सरकार करीब 95 करोड़ रुपये खर्च करेगी। छात्रों को पौष्टिक स्नैक्स का लाभ देने के लिए प्रदेश भर में 3.72 लाख रसोइयों को नियुक्त किया गया है। इन्हे प्रत्येक माह 2000 रुपये का मानदेय और साल में एक बार यूनिफॉर्म के लिए 500 रुपये की सुविधा दी जा रही है। इसके अलावा रसोइयों को नियमित प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है, ताकि वे बच्चों के लिए पोषण युक्त और स्वादिष्ट भोजन तैयार कर सकें। यह कदम योजना की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने और रसोइयों को बेहतर सेवाएं देने के लिए उठाया गया है।

विशेष साप्ताहिक पोषण योजना की होगी डिजिटल निगरानी और सोशल ऑडिट

बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने योजना के कार्यान्वयन में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए डिजिटल निगरानी और सोशल ऑडिट करने के निर्देश दिये हैं। इससे खाद्यान्न की आपूर्ति और उपयोग की सही जानकारी प्राप्त होगी। साथ ही योजना के निष्पक्षता और प्रभावशीलता को सुनिश्चित किया जा सकेगा। बता दें कि वर्तमान में जिलों में नियमित निरीक्षणों के माध्यम से योजना की गुणवत्ता पर नजर रखी जा रही है, लेकिन यह काफी नहीं है। ऐसे में डिजिटल निगरानी और सोशल ऑडिट का निर्णय लिया गया है।

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उत्तर प्रदेश

योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच

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लखनऊ |  योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।

लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़

प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।

कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान

राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।

हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश

टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।

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