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आईएमए में खुला जन औषधि स्टोर, मिलेंगी सस्ती दवाएं

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नई दिल्ली,इंडियन मेडिकल एसोसिएशन,औषधि मेडिकल,उद्घाटन केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री हंसराज गंगाराम,ब्यूरो ऑफ फार्मा द्वारा

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नई दिल्ली | इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने शुक्रवार को नई दिल्ली के आईपी एस्टेट स्थित आईएमए मुख्यालय परिसर में पहला आईएमए जन औषधि मेडिकल स्टोर खोला। इस स्टोर में आम तौर पर प्रयोग की जाने वाली 118 दवाएं अपने जेनरिक फॉर्म में बाजार दरों के मुकाबले 80 से 90 प्रतिशत कम कीमत पर उपलब्ध होंगी। स्टोर का उद्घाटन केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री हंसराज गंगाराम अहीर ने किया।

इस मौके पर आईएमए को इस पहल के लिए बधाई देते हुए अहीर ने कहा कि उच्च गुणवत्ता की दवाएं कम कीमत पर उपलब्ध होने से आम लोगों का मासिक खर्च कम होगा और इससे उनका आर्थिक बोझ कम होगा। इस स्टोर पर उपलब्ध सभी दवाएं भारत सरकार के जन औषधि विभाग से प्रमाणित होंगी, जिनकी गुणवत्ता भारत के सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई, ब्यूरो ऑफ फार्मा द्वारा सत्यापित होगी।

यहां जारी एक बयान में कहा गया है कि यह स्टोर सोमवार से रविवार तक सुबह 9.30 बजे से शाम 6.30 बजे तक खुला रहेगा। एक कुशल फर्मासिस्ट न केवल मरीजों को दवाएं देगा, बल्कि उन्हंे एक दवा से दूसरी दवा के अंतर संबंध, दवा के खाने के अंतर संबंध और उनके दुष्प्रभावों के बारे में जानकारी भी देगा। इस मौके पर आईएमए के महासचिव डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा कि देश में समाजिक-आर्थिक विषमता और जीवनशैली के विभिन्न कारणों से लगातार बढ़ती बीमारियों की वजह से किफायती स्वास्थ्य सेवाएं सभी के लिए बेहद जरूरी हो गई हैं। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि अगर यह प्रयोग सफल रहा तो आईएमए की हर प्रदेश शाखा को ऐसे केंद्र अपने परिसर में खोलने की सलाह दी जाएगी।

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हरियाणा में बीजेपी की हैट्रिक, कांग्रेस को भारी पड़ी गुटबाजी

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सुबह 8 बजे जब EVM खुलीं तो काँग्रेस कार्यकर्ताओं का जोश हाई था .. जैसे जैसे घड़ी की सुई आगे बढ़ती गई कार्यकर्ताओं का जोश नाच गाने और लड्डू बांटने में तब्दील हो गया.. लेकिन ये क्या अचानक से वक्त बदल गया हालात बदल गए और देखते देखते जज़्बात ठंडे पड़ गए .. हरियाणा में जो काँग्रेस रुझानों में पूर्ण बहुमत में दिख रही थी वो अर्श से फर्श पर आ गई और जो बीजेपी फर्श पर पड़ी थी वो अर्श पर पहुँच गई. अब जोश वही था लेकिन हालात और जज़्बात अपनी जगह बदल चुके थे.. अब ढोल की गूंज बीजेपी ऑफिस पहुँच चुकी थी और लड्डू बीजेपी कार्यकर्ताओं का मुंह मीठा कर रहे थे .लोकसभा चुनाव की तरह हरियाणा के नतीजों ने भी चुनावी पंडितों को मुंह छिपाने के लिए मजबूर कर दिया.. सारे  पोल धाराशाई हो गए.. बीजेपी का कमल पूरे बहुमत के साथ खिल गया.. काँग्रेस के मुख्यालय 24 अकबर रोड के जिस कमरे में कौन बनेगा हरियाणा का मुख्यमंत्री पर चर्चा हो रही थी वहाँ का माहौल गमगीन हो गया और इस बात पर चर्चा होने लगी इस हार का बलि का बकरा कौन बनेगा.. 10 साल की एंटी इनकंबेंसी को बीजेपी की रणनीति ने प्रो इनकंबेंसी में बदल कर तीसरी बार सत्ता में वापसी कर ली. जान लेते हैं वो कौन सी वजहें थीं जिसने हरियाणा में कांग्रेस की नैया डुबाने का काम किया है.

गुटबाजी कांग्रेस को भारी पड़ी

हरियाणा चुनाव प्रचार के दौरान सबसे ज्यादा चर्चा कांग्रेस के अंदर चल रही गुटबाजी की होती रही. कुमारी शैलजा और हुड्डा के साथ एक खेमा रणदीप सिंह सुरजेवाला का भी था. ऊपर के नेताओं के बीच की इस खींचतान ने संगठन को नुकसान पहुंचाने का काम किया और कार्यकर्ताओं के अंदर भी असमंजस की स्थिति बनी रही. तमाम कोशिशों के बाद भी कांग्रेस आलाकमान प्रदेश में खेमेबाजी पर लगाम लगाने में नाकामयाब रहा और पार्टी जीती हुई लड़ाई हार गई।

एंटी इनकंबेंसी को भुनाने में रही नाकामयाब

काँग्रेस अपनी अंदरूनी खींचतान से ही नहीं उबर पाई जिससे चुनाव प्रचार के दौरान काँग्रेस बीजेपी की गलतियों को भुनाने में नाकामयाब रही . हालांकि कांग्रेस के पास 10 साल की एंटी इनकंबेंसी,  मुख्यमंत्री बदलने जैसे मुद्दे थे. पहलवानों का प्रदर्शन और अग्निवीर योजना से लेकर किसान आंदोलन जैसे बड़े मुद्दों को प्रचार के दौरान ठीक से हवा नहीं दी जा सकी. लिहाजा पार्टी का पूरा ध्यान खेमेबाजी पर लगाम लगाने में ही रहा और इसका बीजेपी ने पूरा फायदा उठाया.

केजरीवाल की बेल ने बिगाड़ा खेल

चुनाव से ठीक पहले आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविन्द केजरीवाल जेल से बाहर आए तो गठबंधन के लिहाज से काफी देर हो चुकी थी .. केजरीवाल खुलकर हरियाणा के चुनावी मैदान में उतार चुके थे लेकिन आम आदमी पार्टी के साथ अगर काँग्रेस का गठबंधन होता तो शायद तस्वीर अलग होती.

टिकट बंटवारे में दिखी गुटबाजी

टिकट बंटवारे में गुटबाजी और भाई भतीजाबाद को अलग रखकर सिर्फ विनिंग उम्मीदवारों को ही प्राथमिकता दी जाती, तो भी नतीजे उलट सकते थे. आम आदमी पार्टी को भले ही किसी सीट पर जीत न मिली हो, लेकिन करीबी मुकाबले वाली सीटों पर उसने कांग्रेस को ही नुकसान पहुंचाने का काम किया है…

एस एन द्विवेदी के साथ शिखा मेहरोत्रा की रिपोर्ट

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