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नेशनल

एवरेस्ट के दो कैम्प पर 40 भारतीय फंसे

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नई दिल्ली। दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी एवरेस्ट के कैम्प 1 व 2 पर सोमवार को कम से कम 40 भारतीय पर्वतारोही फंसे हुए हैं। अधिकारियों के मुताबिक नेपाल में दो दिन पहले आए विनाशकारी भूकम्प के बाद जो हिमस्खलन हुआ था, उसके कारण इन पर्वतारोहियों का सम्पर्क बेस कैम्प से टूट गया है। इंडियन माउंटेनियरिंग फाउंडेशन (आईएमएफ) अधिकारियों ने कहा कि पर्वतारोही कुशल हैं और उन्हें हवाई मार्ग से सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है।

आईएमएफ के सचिव विंग कमांडर एचके कुट्टी (सेवानिवृत) ने कहा, “लगभग 40 पर्वतारोही कैम्प 1 (19,500 फुट) और कैम्प 2 (21,000 फुट) पर फंसे हुए हैं। कैम्प 3 (23,500 फुट) और कैम्प 4 (26,300 फुट) पर कोई भारतीय नहीं है। हां, अहम बात यह है कि अब तक किसी भारतीय के मारे जाने या फिर लापता होने की खबर नहीं मिली है।”

आईएमएफ से सम्बद्ध भारत के तीन दल एवरेस्ट को फतह करने के प्रयास में थे। भूकम्प के बाद हुए हिमस्खलन में वे हालांकि फंस गए। भारतीय दल के साथ दूसरे दल भी फंसे हुए हैं। दूसरे दलों में शामिल लोग व्यक्तिगत स्तर पर एवरेस्ट फतह की कोशिश में जुटे थे। तीन भारतीय दलों में से एक भारतीय थल सेना का है। दूसरा दल आईएमएफ और तीसरा गुवाहाटी स्थित असम माउंटनियरिंग एसोसिएशन (एएमए) का है। लगभग 70 भारतीय बेस कैम्प, कैम्प 1 और कैम्प 2 पर थे।

भारतीय थल सेना के दल में 34 सदस्य हैं। यह दल अभी बेस कैम्प पर है और बचाव कार्यो में जुटा है। आईएमएफ के प्रमुख कर्नल (सेवानिवृत) एचएस चौहान ने कहा, “भारत से तीन दल पर्वतारोहण के लिए गए थे। एक दल सेना का था, दूसरा आईएमएफ और तीसरा असम का था। आईएमएफ टीम तो गोराकसेप पहुंच गई है, जो कि बेस कैम्प के करीब है और असम टीम के बारे में आज (सोमवार) सुबह बेस कैम्प पहुंचने की खबर मिली है।”

गोराकसेप (16942 फुट) बेस कैम्प (17500 फुट) से 90 मिनट की चढ़ाई पर है। यह इलाका आमतौर पर बर्फीला और बालूयुक्त है। यहीं पर पर्वतारोहियों का दल टेंट लगाता है और आगे जाने की तैयारी करता है। कर्नल चौहान ने बताया कि पर्वतारोहियों के बचाव के कार्य में खराब मौसम के कारण रुकावट आ रही है। उन्होंने कहा, “आपातकाल में हेलीकाप्टर बेस कैम्प तक जा सकते हैं लेकिन अधिक ऊंचाई पर जाने के दौरान उन्हें कम वजन लेना होता है। अगर वे कैम्प 1 और 2 पर जाते हैं तो वे एक बार में अधिकतम दो पर्वतारोहियों को अपने साथ ला सकते हैं।” “अभी हमारा ध्यान उन लोगों की मदद पर है, जो घायल हैं। जो लोग फिट हैं, वे ऊपर भी जा सकते हैं और नीचे भी आ सकते हैं। घायलों को हेलीकॉप्टर के जरिए सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया जा रहा है।” चौहान ने कहा कि गर्मी के दिनों में जब चढ़ाई हो रही होती है तो बैस कैम्प पर 600 से 800 लोग जमा हो जाते हैं।

उत्तर प्रदेश

यूपी के बदायूं जनपद में एक ऐसा गांव जहां आजादी के बाद भी नहीं मिली रोड की सुविधा, पूरा गांव बैठा अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर

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बदायूं। उत्तर प्रदेश के बदायूं जनपद में एक गांव ऐसा भी है जहां देश आजाद होने के बाद भी सड़क की सुविधा नही मिली है। और पिछले 30 साल से एक भी व्यक्ति की सरकारी नौकरी नहीं लगी है। जिसको लेकर ग्रामीणों ने अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की है। जिसमें तीन लोगों की हालात बिगड़ गयी जिनका स्वास्थ्य विभाग द्वारा धरना स्थल पर ही उपचार किया जा रहा है।

बता दें कि पूरा मामला जनपद बदायूं के बिसौली तहसील के आसफपुर विकासखंड क्षेत्र के ढोरनपुर गांव का है। जहां ग्रामीणों ने अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर दी है।ग्रामीणों ने बताया कि देश आजाद होने के बाद भी आज तक मुख्य मार्ग से गांव तक आने वाली सड़क की सुविधा नहीं मिली है।जिससे बच्चों की शिक्षा प्रभावित होती है और बच्चे पढ़ाई नहीं कर पाते हैं। सड़क निर्माण ना होने वजह से पिछले 30 सालों से आज तक एक भी व्यक्ति की कोई भी सरकारी नौकरी नहीं लगी है। वही लोकसभा 2024 के चुनाव में सड़क की सुविधा नहीं मिलने पर ग्रामीणों ने चुनाव का बहिष्कार किया था। लेकिन अधिकारियों और नेताओं ने आश्वासन देकर वोट डालने की अपील की थी। लेकिन

भूख हड़ताल से तीन लोगों की हालात बिगड़ी

चुनाव संपन्न होने के बाद भी सड़क की सुविधा नहीं मिलने से ग्रामीणों ने अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर दी है।अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल से तीन लोगों की हालात बिगड़ गई जिनके इलाज के लिए स्वास्थ्य विभाग की तरफ से कर्मचारियों को भेजा गया है। 24 घंटे स्वास्थ्य विभाग की टीम धरना स्थल पर मौजूद है। वही ग्रामीणों ने बताया गांव में बिजली की भी समस्या है आये दिन बिजली के जर्जर तारों से घटनाएं होती है लेकिन कोई भी सुनवाई नहीं होती।ग्रामीणों ने बताया कि जब तक समस्याओं का समाधान नहीं होता है तब तक अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल जारी रहेगी। अब देखना होगा कि जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों द्वारा ग्रामीणों की समस्याओं का निस्तारण हो पाता या नहीं ।

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