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गांधी के मूल्यों पर अमल करे तो स्वर्ग बन जाए समाज : जाकिर हुसैन

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नई दिल्ली, 2 अक्टूबर (आईएएनएस)| फिल्मों में ज्यादातर नकारात्मक भूमिका निभाने के लिए मशहूर अभिनेता जाकिर हुसैन का मानना है कि अगर आज के दौर में महात्मा गांधी के विचारों को अमल में लाया जाया तो फिर समाज स्वर्ग बन जाएगा।

अभिनेता ने ‘जॉनी गद्दार’, ‘रिस्क’, ‘द किलर’ जैसी फिल्मों में काम किया है।

हाल ही में अभिनेता अपने शो ‘बीचवाले-बापू देख रहा है’ के प्रचार के सिलसिले में दिल्ली आए, जहां उन्होंने आईएएनएस से बात की।

अभिनेता से जब पूछा गया कि यह शो क्या संदेश देती है तो उन्होंने आईएएनएस से कहा, देखिए, संदेश की जहां तक बात है तो हमारे पास सामाजिक तौर पर और सरकारी तौर पर चीजों का समाधान नहीं है, परेशानियां तो हैं, लेकिन उनका समाधान नहीं है, तो ये एक ऐसे क्लास से संबंधित है जो मिडिल क्लास कहलाता है जो इस सामाजिक ढांचे में एक महत्वपूर्ण की फैक्टर है।

उन्होंने कहा, हर एपिसोड में कुछ परिस्थितियां आएंगी, समस्याएं आएंगी, कुछ मुद्दे आएंगे फिर उसे ये बीच वाले कैसे अपनी कोशिशों से सॉल्व कर लेते हैं, कोई भी प्रॉब्लम हो जैसे घर के बाहर सड़क पर सीवर डल रहा है तो आपका चबूतरा टूटेगा, तोड़ने वाले बोलते हैं। हम बनवा देंगे, बाद में फिर बनवाते नहीं हैं तो बीच वाला कैसे हिम्मत हारे बिना इन सब समस्याओं से निकलता है, यही दिखाया गया है।

अभिनेता ज्यादातर नकारात्मक भूमिकाओं में ही नजर आए हैं। यह पूछे जाने पर कि उनके लिए हास्य व व्यंग्य से भरपूर किरदार करना कितना सहज रहा, तो उन्होंने कहा, हर आदमी हर कलाकार जानता है कि कॉमेडी करना मुश्किल काम है, लेकिन एक कलाकार होने के नाते मुझे थिएटर से लेकर ट्रेनिंग पार्ट, एनएसडी और श्रीराम सेंटर हर जगह सब तरह के रोल करने के मौके मिले तो एक अंडरस्टैंडिंग पैदा हुई।

उन्होंने कहा, जब लोगों ने मुझे सीरियस रोल में देखा तो उन्हें पसंद आया। मैंने एक-दो कॉमिक रोल भी फिल्मों के अंदर किए हैं। उसे भी पसंद किया और यह शो एक तरह से व्यंग्य शो है, यह एक तरह से वो चीज है, जिसे हरिशकंर परिसाई लिखते थे, शरत जोशी लिखते थे, तो व्यंग्य में अपने आप ही कॉमेडी आ जाता है।

जाकिर से जब पूछा गया कि इस शो ‘बीचवाले-बापू देख रहा है’ में गांधी कितने प्रासंगिक हैं, तो उन्होंने कहा, इसमें जो गांधी जी हैं..ऐसा नहीं कि इसमें उनका सिर्फ नाम है। इसका एक उपमा की तरह इस्तेमाल किया गया है, हमारे जेहन में है कि बापू हमें देख रहे हैं। इसके अंदर हमारे दिमागों में खासकर बीच वालों में एक बहुत बड़ा वो है कि अगर हम ये करेंगे तो लोग क्या कहेंगे, लड़की रात को आती है तो दो लोग देखेंगे तो क्या कहेंगे, ये हर किसी के साथ है तो इसका मतलब है कि कोई हमको देख रहा है जिससे हमें डर है और वो डर ईश्वर का डर भी है। ईश्वर से ज्यादा पड़ोसियों का डर है, कोई देख रहा है तो ये बेसिकली डर का सिंबल है ये डर गरीब आदमी को बिल्कुल नहीं होता।

यह पूछे जाने पर कि आज के भारत में गांधी के संदेश कितने प्रासंगिक हैं तो उन्होंेने कहा, प्रासंगिकता की जहां तक बात है तो महात्मा गांधी ने कहा था कि शराब पीना शरीर और आत्मा दोनों का विनाश करती है लेकिन वो तो बंद नहीं हुई अब उसकी न बंद होने की कुछ मजबूरियां हैं और उन कामों को चलाए रखने की भी कुछ मजबूरियां हैं।

जाकिर ने कहा, इस बिजनेस में जो लोग हैं, अगर कल को इसे बंद कर दिया जाए तो लाखों करोडो़ं लोग बेघर हो जाएंगे तो ऐसी चीजें हैं। रिश्वत न ही लेनी चाहिए न देनी चाहिए, जबकि लोगों ने रास्ते निकाले हैं लेकिन उसके बाद भी वे सबके सामने सफेदपोश रहते हैं अगर सारी की सारी वैल्यू, विचार उन्होंने जो बताई या किसी और ने बताई अगर वो अप्लाई हो जाए तो फिर समाज स्वर्ग हो जाए, फिर ड्रामा ही खत्म हो जाएगा।

उन्होंने कहा कि उन्हें विविधतापूर्ण किरदार निभाना पसंद है, जो भी करिदार मिलता है उसे वह इस तरह से निभाने कि कोशिश करते हैं कि वह खास बन जाए।

अभिनेता ने महिला सशक्तीकरण का जिक्र किए जाने पर कहा, ये शुरू से एक बड़ा मुद्दा है और महिला सशक्तीकरण चाहिए और लड़कियां आगे बढ़ रही हैं और उनको बढ़ना भी चाहिए, लेकिन एक दायरा है उसके अंदर बहुत सारी चीजें होती हैं जेंडर वाइज चीजें हैं, वर्किं ग प्लेस पर बद्तमीजियां होती हैं, तो ये सारी चीजें जो हैं, बिल्कुल नहीं होनी चाहिए, लेकिन दुर्भाग्य से होती हैं। एक स्वच्छ व स्वस्थ समाज का निर्माण होना चहिए।

युवाओं के लिए संदेश में जाकिर ने कहा कि जो युवा फिल्मों में आना चाहते हैं वे ट्रेनिंग लेकर आएं। खुद को तैयार करके आएं। ज्यादातर युवा जो आ रहे हैं, वे बिना तैयारी के मुंबई चले आते हैं और सोचते हैं कि भाई एक्टिंग तो यूं ही हो जाती है, ऐसे में उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ता है, तो युवा पूरी तैयारी व प्रशिक्षण के साथ ही आएं।

जाकिर जल्द ही श्रीराम राघवन की फिल्म ‘अंधाधुन’ में नजर आएंगे जो पांच अक्टूबर को रिलीज होने जा रही है।

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टेनिस : दुबई चैम्पियनशिप में सितसिपास ने मोनफिल्स को हराया

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 दुबई, 1 मार्च (आईएएनएस)| ग्रीस के युवा टेनिस खिलाड़ी स्टेफानोस सितसिपास ने शुक्रवार को दुबई ड्यूटी फ्री चैम्पियनशिप के पुरुष एकल वर्ग के सेमीफाइनल में फ्रांस के गेल मोनफिल्स को कड़े मुकाबले में मात देकर फाइनल में प्रवेश कर लिया।

  वर्ल्ड नंबर-11 सितसिपास ने वर्ल्ड नंबर-23 मोनफिल्स को कड़े मुकाबले में 4-6, 7-6 (7-4), 7-6 (7-4) से मात देकर फाइनल में प्रवेश किया।

यह इन दोनों के बीच दूसरा मुकाबला था। इससे पहले दोनों सोफिया में एक-दूसरे के सामने हुए थे, जहां फ्रांस के खिलाड़ी ने सीधे सेटों में सितसिपास को हराया था। इस बार ग्रीस के खिलाड़ी ने दो घंटे 59 मिनट तक चले मुकाबले को जीत कर मोनफिल्स से हिसाब बराबर कर लिया।

फाइनल में सितसिपास का सामना स्विट्जरलैंड के रोजर फेडरर और क्रोएशिया के बोर्ना कोरिक के बीच होने वाले दूसरे सेमीफाइनल के विजेता से होगा। सितसिपास ने साल के पहले ग्रैंड स्लैम आस्ट्रेलियन ओपन में फेडरर को मात दी थी।

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