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मटकावाला : लंदन से आकर दिल्ली में पिलाते हैं प्यासे को पानी

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नई दिल्ली, 23 सितम्बर (आईएएनएस)| चिलचिलाती धूप और प्रचंड गर्मी के मौसम में दिल्ली की गलियों में रिक्शाचालकों, फेरीवालों और सफाईकर्मियों की एक ही ख्वाहिश होती है कि कोई एक ग्लास पानी पिलाकर उनकी प्यास बुझाए, क्योंकि उनके पास उतने पैसे नहीं होते हैं कि वे खरीदकर पानी पीएं।

आज राजधानी के विभिन्न इलाकों में पानी से भरे मटके देखने को मिलते हैं जहां हर कोई अपनी प्यास बुझा सकते हैं। ये मटके कोई और नहीं बल्कि 69 साल के एक बुजुर्ग के सौजन्य से रखे गए हैं, जो रोज सूर्योदय से पूर्व जगते हैं और अपने वैन से इन इलाकों में जाकर 70 मटकों में पानी भरते हैं। उन्होंने शहर के विभिन्न इलाकों में ये मटके इसलिए रखे हैं ताकि कोई गरीब प्यासा नहीं रहे।

कैंसर की बीमारी को मात देने के बाद इनको अब अपने इस दिनचर्या से खुशी मिल रही है।

वर्ष 2014 की बात है जब दिल्ली में मटकावाले के नाम से चर्चित अलगरत्नम नटराजन को महसूस हुआ कि देश की राजधानी में सबको पीने के लिए ठंडा पानी मय्यसर नहीं है। इसलिए इन्होंने अपने घर के बाहर एक वाटर-कूलर लगा दिया।

नटराजन ब्रिटेन से दिल्ली आकर सामाजिक सेवा के इस कार्य में जुटे हैं। वह लंदन के ऑक्सफोर्ड स्ट्रीट में कार्नर स्टोर चलाते थे।

उन्होंने बताया, एक बार मेरे वाटर कूलर से पानी भर रहे एक गार्ड को मैंने पूछा कि वह पानी लेने के लिए यहां क्यों आया है, जहां काम करता है वहां क्यों नहीं पानी लेता है। उसने बताया कि वहां उसको पीने के लिए पानी नहीं दिया जाता है।

गार्ड का जवाब सुनकर नटराजन स्तब्ध रह गए। इस वाकये से उनको प्यासे को पानी पिलाने के लिए कुछ करने की प्रेरणा मिली।

नटराजन ने कहा, मेरे मन में हमेशा समाज के लिए कुछ करने का विचार आता था। मैंने अपने परिवार में इस संबंध में विमर्श किया, लेकिन वाटर कूलर लगाना कठिन कार्य था क्योंकि इसके लिए जगह, बिजली और रखरखाव की जरूरत होती है। इसलिए मैंने मटका रखने की बात सोची ताकि चिलचिलाती गर्मी में लोगों को पीने का पानी मिले।

अब यह रोज-रोज का काम हो गया है कि वह रोज सुबह मटकों में पानी भरते हैं। शुरुआती दिनों में लोग समझते थे कि उनको दिल्ली सरकार ने इस काम के लिए नियुक्त किया है।

नटराजन ने बताया, मुझे किसी एनजीओ की मदद नहीं मिल रही है और न ही मेरी कोई सरकार प्रायोजित संस्था है। मैं अपने पेंशन और बचत निधि से इस कार्य को अंजाम दे रहा हूं। मुझे दान के रूप में कुछ जरूर मिलता है। खास बात यह है कि मुझे अपने परिवार से काफी मदद मिलती है।

बेंगलुरु में पैदा हुए नटराजन युवावस्था में ही लंदन चले गए थे और बतौर व्यवसायी उन्होंने 40 साल वहां बिताया। लंदन में वह यादगार चीजों की दुकान चलाते थे। नटराजन को वहां आंत का कैंसर हो गया था। इलाज करवाने के बाद उन्होंने भारत लौटने का फैसला लिया।

भारत वापसी के बाद वह एक अनाथालय व कैंसर के मरीजों के आश्रम में स्वयंसेवा करने लगे और चांदनी चौक में बेघरों को लंगर बांटते रहे। इसके अलावा उन्होंने बेसहारा व्यक्तियों के निधन पर उनकी अंत्येष्टि की।

नटराजन आज गरीबों को न सिर्फ पीने का पानी मुहैया करवा रहे हैं बल्कि उनको भोजन और फल भी बांटते हैं।

उन्होंने बताया, मैं मजदूरों और गरीबों को मौसमी फल व सब्जी जैसे खीरा, तरबूज और मूली भी सप्ताह में दो बार बांटता हूं। इसके अलावा उनको लस्सी और जलेबी भी बांटता हूं।

उन्होंने कहा, इस कार्य से मुझे महसूस हुआ है कि हम सब आपस में जुड़े हुए हैं लेकिन आज के समाज में ऐसा अंतर-संबंध देखने को नहीं मिलता है।

नटराजन ने वैन में 800 लीटर का टैंकर, पंप और जेनरेटर लगवाया है, जिससे वह रोज मटके में पानी भरते हैं।

उन्होंने बताया, गर्मी के दिनों में मटके में हमेशा पानी भरा रखने के लिए मैं दिन में चार चक्कर लगाता हूं। गर्मी के महीनों में मटकों में पानी भरने के लिए रोज 2,000 लीटर पानी जरूरत होती है।

मटकों के अलावा उन्होंने जगह-जगह 100 साइकिल पंप भी लगवाया है। यहां गरीब लोग 24 घंटे हवा भरवा सकते हैं। कुछ मटका स्टैंड के पास ही हैं और कुछ अलग स्थान पर हैं।

(यह साप्ताहिक फीचर श्रंखला आईएएनएस और फ्रैंक इस्लाम फाउंडेशन की सकारात्मक पत्रकारिता परियोजना का हिस्सा है।)

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टेनिस : दुबई चैम्पियनशिप में सितसिपास ने मोनफिल्स को हराया

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 दुबई, 1 मार्च (आईएएनएस)| ग्रीस के युवा टेनिस खिलाड़ी स्टेफानोस सितसिपास ने शुक्रवार को दुबई ड्यूटी फ्री चैम्पियनशिप के पुरुष एकल वर्ग के सेमीफाइनल में फ्रांस के गेल मोनफिल्स को कड़े मुकाबले में मात देकर फाइनल में प्रवेश कर लिया।

  वर्ल्ड नंबर-11 सितसिपास ने वर्ल्ड नंबर-23 मोनफिल्स को कड़े मुकाबले में 4-6, 7-6 (7-4), 7-6 (7-4) से मात देकर फाइनल में प्रवेश किया।

यह इन दोनों के बीच दूसरा मुकाबला था। इससे पहले दोनों सोफिया में एक-दूसरे के सामने हुए थे, जहां फ्रांस के खिलाड़ी ने सीधे सेटों में सितसिपास को हराया था। इस बार ग्रीस के खिलाड़ी ने दो घंटे 59 मिनट तक चले मुकाबले को जीत कर मोनफिल्स से हिसाब बराबर कर लिया।

फाइनल में सितसिपास का सामना स्विट्जरलैंड के रोजर फेडरर और क्रोएशिया के बोर्ना कोरिक के बीच होने वाले दूसरे सेमीफाइनल के विजेता से होगा। सितसिपास ने साल के पहले ग्रैंड स्लैम आस्ट्रेलियन ओपन में फेडरर को मात दी थी।

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