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नेशनल

मप्र में किसानों को 10 घंटे बिजली देने का दावा

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भोपाल, 13 नवंबर (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश सरकार की ओर से किसानों को रबी के मौसम में 10 घंटे बिजली देने का दावा किया जा रहा है। इतना ही नहीं दावा तो यह भी किया जा रहा है कि इतिहास में पहली बार बिजली की आपूर्ति 11,466 मेगावाट से ऊपर पहुंच गई है।

आधिकारिक तौर पर जारी ब्योरे के अनुसार, राज्य में बिजली क्षेत्र में इस वर्ष नवंबर में ही बिजली की मांग में रोज नए रिकॉर्ड बन रहे हैं। इतिहास में पहली बार बिजली की मांग 11,466 मेगावाट से ऊपर पहुंच गई।

बिजली की मांग बढ़ने का मुख्य कारण रबी मौसम में किसानों को 10 घंटे गुणवत्तापूर्ण एवं निर्बाध बिजली की आपूर्ति कराना है।

यह भी कहा जा रहा है कि सभी बिजली उपभोक्ताओं को रोशनी के लिए 24 घंटे बिजली की सतत सप्लाई भी की जा रही है। प्रदेश में 11 नवंबर को सुबह नौ बजे से बिजली की मांग का ऐतिहासिक रिकॉर्ड उस समय बना, जब बिजली की मांग 11,466 मेगावाट के स्तर पर पहुंच गई।

बताया गया है कि बिजली की मांग दिसंबर माह में निरंतर बढ़ती रही है लेकिन इस वर्ष प्रदेश में कम वर्षा होने के कारण करीब डेढ़ माह पूर्व ही बिजली की मांग और आपूर्ति में निरंतर इजाफा हो रहा है। पिछले छह दिन से बिजली की मांग 11,000 मेगावट से ऊपर पहुंच गई।

ऊर्जा विभाग के आधिकारिक ब्योरे के मुताबिक, बिजली की आपूर्ति में पावर जेनरेटिंग कंपनी के ताप विद्युतगृहों से 1,950 मेगावाट और जल विद्युतगृहों से 345 मेगावाट, इंदिरा सागर-सरदार सरोवर-ओंकारेश्वर जल विद्युत परियोजना से 296 मेगावाट, एनटीपीसी और डीवीसी (सेंट्रल सेक्टर) से 2,895 मेगावाट, सासन अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट से 1,333 मेगावाट, आईपीपी का हिस्सा 1,310 मेगावाट रहा और बिजली बैंकिंग से 2,117 मेगावाट बिजली प्राप्त हुई। अन्य नवकरणीय स्रोत से 1,218 मेगावाट बिजली मिली।

राज्य में कार्यरत बिजली कंपनियों के क्षेत्र में मांग अलग-अलग रही। पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी (जबलपुर, रीवा तथा सागर) में बिजली की मांग 2,871 मेगावाट, मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी (भोपाल एवं ग्वालियर) में 3,716 मेगावाट और पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी (इंदौर एवं उज्जैन) में 4,878 मेगावाट दर्ज की गई है।

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आध्यात्म

नवरात्रि के चौथे दिन होती है मां कुष्मांडा की आराधना, भक्तों के सभी कष्ट हरती हैं मां

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नवरात्रि का चौथा दिन मां कूष्मांडा को समर्पित है। इस दिन मां कूष्मांडा की उपासना की जाती है।  मां कूष्मांडा यानी कुम्हड़ा। कूष्मांडा एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ है कुम्हड़ा, यानी कद्दू, पेठा। धार्मिक मान्यता है कि मां कूष्मांडा को कुम्हड़े की बलि बहुत प्रिय है। इसलिए मां दुर्गा के इस स्वरुप का नाम कूष्मांडा पड़ा।

मां को प्रिय है ये भोग

नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा को मालपुआ का प्रसाद अर्पित कर भोद लगाएं। ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि आएगी। साथ ही इस दिन कन्याओं को रंग-बिरंगे रिबन या वस्त्र भेट करने से धन में वृद्धि होगी।

यूं करें मां कूष्मांडा की पूजा

मां कूष्मांडा की पूजा सच्चे मन से करें। मन को अनहत चक्र में स्थापित करें और मां का आशीर्वाद लें। कलश में विराजमान देवी-देवता की पूजा करने के बाद मां कूष्मांडा की पूजा करें। इसके बाद हाथों में फूल लें और मां का ध्यान करते हुए इस मंत्र का जाप करें।

सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च. दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु।

माता कूष्मांडा हरेंगी सारी समस्याएं

जीवन में चल रही परेशानियों और समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए मां कूष्मांडा के इस मंत्र का जाप 108 बार अवश्य करें। ऐसा करने से सभी समस्याओं से छुटकारा मिल जाएगा।

दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दारिद्रादि विनाशिनीम्।
जयंदा धनदां कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥

मां कूष्मांडा की पूजा के बाद इस मंत्र का 21 बार जप करें

सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।

दधाना हस्त पद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

शास्त्रों में उल्लेख है कि इस मंत्र के जप से सूर्य संबंधी लाभ तो मिलेगा ही,साथ ही, परिवार में खुशहाली आएगी। स्वास्थ्य अच्छा रहेगा और आय में बढ़ोतरी होगी।

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