नेशनल
राजैया नहीं लड़ेंगे वारंगल लोकसभा उपचुनाव
हैदराबाद| कांग्रेस के पूर्व सांसद और वारंगल लोकसभा उपचुनाव में पार्टी के उम्मीदवार सिरीसिला राजैया ने बुधवार को उनके घर में संदिग्ध परिस्थितियों में बहू और तीन पोतों की जलकर मौत होने के बाद उपचुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है। यहां उपचुनाव 21 नवंबर को होना है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, राजैया ने पार्टी आलाकमान को बताया है कि वह मौजूदा हालात में उपचुनाव नहीं लड़ पाएंगे। उन्होंने सोमवार को ही अपना नामांकन दाखिल किया था।
उल्लेखनीय है कि बुधवार सुबह राजैया के वारंगल स्थित आग में भयंकर रूप से आग लग गई, जिसमें उनकी बहू सारिका और उनके तीन बच्चों-अभिनव (7), अयान (3) और श्रीयन (3) की जलकर मौत हो गई। पुलिस आग लगने के कारणों की जांच कर रही है
उपचुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने के लिए बुधवार अंतिम दिन है, ऐसे में कांग्रेस ने अब नया उम्मीदवार ढूंढने के प्रयास तेज कर दिए हैं।
कांग्रेस पार्टी के तेलंगाना इकाई के अध्यक्ष उत्तम कुमार रेड्डी स्थानीय नेताओं से बात करने के लिए वारंगल पहुंच गए हैं।
पार्टी की ओर से पूर्व केंद्रीय मंत्री सर्वे सत्यनारायण या राज्य के पूर्व मंत्री विजयराम राव को मैदान में उतारे जाने की संभावना है।
वारंगल लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित है। तेलंगाना राष्ट्र समिति के कदियम श्रीहरि को राज्य का उप मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद से यहां उपचुनाव अनिवार्य हो गया है।
राजैया 2009 में वारंगल से निर्वाचित हुए थे। वह 2014 के चुनावों में श्रीहरि से हार गए थे।
उत्तर प्रदेश
वाराणसी में साईं बाबा की प्रतिमा को लेकर विवाद, सभी मंदिरों से हटाई जाएंगी मूर्तियां
वाराणसी। वाराणसी में इस समय साईं बाबा की प्रतिमा को लेकर विवाद छिड़ गया है। ब्राह्मण सभा नाम का संगठन मंदिरों से साईं बाबा की प्रतिमा हटाए जाने के लिए मंदिरों से अपील का रहा है। जानकारी के अनुसार अब तक 14 मंदिरों से सांई बाबा की मूर्ती हटा ली गई है।
बता दें कि, ब्राह्मण सभा नाम के संगठन का कहना है कि, साईं बाबा की प्रतिमा की पूजा प्रेत पूजा है। इसलिए इसे मंदिर से हटाया जाना चाहिए। वहीं कुछ लोग ब्राह्मण सभा का विरोध भी कर रहे हैं।
दल के सदस्य अजय शर्मा के अनुसार काशी में सिर्फ काशीपुराधि बाबा विश्वनाथ ही पूजनीय हैं। शहर के कई शिव और गणेश जी के मंदिरों में अज्ञानतावश लोगों ने साईंबाबा की प्रतिमा स्थापित कर दी। इससे शिवभक्तों में नाराजगी है। दल ने नगर के ऐसे मंदिरों के महंतों से अपील किया है कि साईं की मूर्ति को ससम्मान मंदिर परिसर से हटवा दें। जल्द ही अगस्त्यकुंडा और भूतेश्वर मंदिर से साईं प्रतिमा हटेगी।
स्मृतिशेष द्वारका एवं शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने अपने जीवन काल में महादेव और हिन्दू धर्म के मंदिरों में साईं की मूर्ति स्थापित करने पर नाराजगी जताई थी। उन्होंने कहा था कि हिन्दू मंदिरों में साईं की मूर्ति स्थापित करना देवी-देवताओं का अपमान करने जैसा है। साईं फकीर और अमंगलकारी थे और उनकी पूजा से आपदाएं आती हैं। साईं बाबा हिंदू नहीं थे और उनकी पूजा को बढ़ावा देना हिन्दू धर्म को बांटने की साजिश है। श्री अन्नपूर्णा मंदिर के महंत शंकर पुरी ने भी कहा कि शास्त्रों में कहीं भी साईं की पूजा का वर्णन नहीं है, इसलिए अब मंदिर में स्थापित मूर्ति हटाई जा रही है।
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