Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

नेशनल

सुप्रीम कोर्ट से आधार उपयोग बढ़ाने की याचिका पर सुनवाई का अनुरोध

Published

on

Loading

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट से उसकी एक याचिका की सुनवाई के लिए एक संविधान पीठ गठित करने का अनुरोध किया। याचिका में विभिन्न सामाजिक कल्याण योजनाओं के तहत लाभ देने के लिए तथा बैंकिंग एवं वित्तीय लेन-देन में आधार कार्ड के उपयोग को अनुमति देने का अनुरोध किया गया है।

महान्यायवादी मुकुल रोहतगी ने प्रधान न्यायाधीश एच.एल. दत्तू की अध्यक्षता वाली पीठ से 11 अगस्त के आदेश के स्पष्टीकरण/संशोधन से संबंधित उनकी याचिका की सुनवाई के लिए वृहद पीठ गठित करने का अनुरोध किया, जिस पर अदालत ने कहा कि इतनी जल्दी सुनवाई के लिए बड़ी पीठ का गठन कर पाना काफी कठिन होगा। प्रधान न्यायाधीश दत्तू ने कहा कि सुनवाई के लिए नौ न्यायाधीशों की पीठ गठित कर पाना कठिन होगा, क्योंकि इससे अन्य अदालतों की कार्यवाही बाधित होगी। इसके बाद उन्होंने कहा कि वह शुक्रवार शाम याचिका पर गौर करेंगे।

बुधवार को न्यायामूर्ति जे. चेलामेस्वर, न्यायमूर्ति एस.ए. बोबड़े और न्यायमूर्ति सी. नगप्पन ने 11 अगस्त के अंतरिम आदेश में ढील देने से इंकार करते हुए सरकार और अन्य एजेंसियों के कई आवेदनों को वृहद पीठ के हवाले कर दिया था, जिसमें स्वैच्छिक आधार पर आधार के उपयोग की मांग की गई थी।

सर्वोच्च न्यायालय ने सिर्फ जनवितरण प्रणाली के तहत अनाजों के वितरण और किरासन तेल तथा रसोई गैस की आपूर्ति में ही आधार कार्ड के उपयोग की अनुमति दी है। 11 अगस्त के आदेश में अदालत ने यह सवाल वृहद पीठ के हवाले किया था कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है या नहीं। कर्नाटक उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति के.एस. पुट्टास्वामी तथा अन्य द्वारा दाखिल की गई याचिकाओं पर यह सवाल वृहद पीठ के हवाले किया गया था।

न्यायमूर्ति केएस पुट्टास्वामी ने कहा था कि आधार कार्ड देने के लिए बायोमेट्रिक आंकड़े और आंख की पुतली का स्कैन इकट्ठा करना नागरिकों की निजता के अधिकार का उल्लंघन है, क्योंकि व्यक्तिगत आंकड़े पूरी तरह सुरक्षित नहीं हैं और उनका दुरुपयोग हो सकता है। सर्वोच्च न्यायालय ने 1954 में और 1964 में फैसला दिया था कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है, लेकिन 1975 में सर्वोच्च न्यायालय ने इसे मौलिक अधिकार का दर्जा दे दिया था।

नेशनल

सपा सांसद इकरा हसन ने यति नरसिंहानंद के खिलाफ की कार्रवाई की मांग, बोलीं- ये नाकाबिले बर्दाश्त

Published

on

Loading

सहारनपुर। उत्तर प्रदेश के कैराना लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी की सांसद इकरा हसन ने यति नरसिंहानंद के बयान पर उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। सपा सांसद इकरा हसन ने कहा- “यति नरसिंहानंद जैसे ढोंगी, पाखंडी लोगों ने एक बार फिर अपनी गंदी जुबान से नफरत का जहर उगला है और हमारे प्यारे नबी की शान में गुस्ताखी की है। जो हम सबके लिए नाकाबिले बर्दाश्त है। प्यारे नबी जो पूरी दुनिया के लिए रहमत और शांति का पैगाम लेकर आए थे, उनकी शान में यह अपनी गंदी जुबान से अपमान कर रहा है। जो हर अमन पसंद हिन्दुस्तानी चाहे वो हिंदू हो या मुसलमान, सब के लिए नाकाबिले बर्दाश्त है।

दरअसल, यति नरसिंहानंद ने पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी की थी, इसके बाद से बवाल बढ़ता जा रहा है। गाजियाबाद के अलावा मेरठ, बुलंदशहर समेत कई अन्य शहरों में भी प्रदर्शन और विरोध होता रहा। कई जगहों पर पुलिस को हल्का बल प्रयोग भी करना पड़ा। इस मसले को लेकर राजनीतिक टीका-टिप्पणी और बयानबाजी भी जारी है।

बता दें कि डासना मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद के हालिया विवादित बयान ने तनाव का माहौल पैदा कर दिया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए मंदिर की सुरक्षा में बड़ी संख्‍या में पुलिस फोर्स तैनात कर दी गई है। नरसिंहानंद के भड़काऊ बयान के बाद शुक्रवार रात से लोग डासना देवी मंदिर के बाहर इकट्ठा होने लगे थे। स्थिति को देखते हुए पुलिस ने मंदिर के आसपास सुरक्षा कड़ी कर दी। मंदिर के एंट्री गेट पर बैरिकेड लगाए गए हैं। मंदिर के बाहर गाजियाबाद पुलिस की 4-5 पीसीआर वैन खड़ी हैं।

Continue Reading

Trending