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बिजनेस

मर्सिडीज की जीएलसी 43 4मैटिक कूपे लांच

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नई दिल्ली, 21 जुलाई (आईएएनएस)| लग्जरी कार निर्माता मर्सिडीज बेंज इंडिया ने शुक्रवार को मर्सिडीज एएमजी जीएलसी 43 4मैटिक कूपे भारतीय बाजार में उतारा। इस कार की कीमत 74.80 लाख रुपये रखी गई है।

कंपनी ने एक बयान में कहा कि यह भारत में मर्सिडीज बेंज के कार पोर्टफोलियो में 10वां एएमजी उत्पाद है। जीएलसी 43 4मैटिक कूपे इस साल ब्रांड द्वारा लांच किया गया 8वां उत्पाद है। मर्सिडीज-एएमजी जीएलई 43 कूपे के बाद जीएलसी 43 4मैटिक कूपे भारत में मर्सिडीज बेंज का दूसरा एसयूवी कूपे है। यह महज 4.9 सेकंड में 100 किमी/घंटा की स्पीड पकड़ लेती है।

जीएलसी 43 4मैटिक कूपे में एएमजी एन्हैंस्ड 3-लीटर वी6 बाइ-टर्बो इंजन लगाया गया है, जोकि 270केडब्लू (367एचपी) का पावर और 520एनएम का टॉर्क पैदा करता है। सिलेंडर लाइनर्स की नैनोस्लाइड कोटिंग का इस्तेमाल मर्सिडीज एएमजी पेट्रोनास के फॉर्मूला 1 इंजनों में किया जाता है।

एसयूवी में 5 एएमजी डायनैमिक सेलेक्ट ट्रांसमिशन मोड्स हैं जिसमें ‘स्पोर्टप्लस’ और सस्पेंशन शामिल हैं जिन्हें ड्राइविंग के दौरान आराम को ध्यान में रखते हुए डिजायन किया गयै है। यह दुर्गम रास्तों पर भी आरामदायक सफर मुहैया कराती है।

मर्सिडीज बेंज इंडिया के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी रोलैंड फोल्गर ने कहा, जीएलसी 43 4मैटिक कूपे में कूपे की भावुक, कालातीत सुंदरता का संयोजन स्पोर्ट्स कार के असरदार डायनैमिक्स तथा मर्सिडीज बेंज जीएलसी की बहुमुखी प्रतिभा को मिलाकर किया गया है। बोल्ड लेकिन कभी न फीकी पड़ने वाली डिजाइन इसे दूसरों से अलग बनाती है।

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प्रादेशिक

एस्सार ग्रुप के सह-संस्‍थापक शशि रुइया का 80 साल की उम्र में निधन

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मुंबई। एस्सार ग्रुप के सह-संस्‍थापक शशि रुइया का 80 साल की उम्र में निधन हो गया है। रुइया के पार्थिव शरीर को प्रार्थना और श्रद्धांजलि के लिए वालकेश्वर के बाणगंगा में रखा जाएगा। अंतिम संस्कार यात्रा रुइया हाउस से शाम 4 बजे हिंदू वर्ली श्मशान के लिए निकलेगी।

शशि रुइया ने अपने भाई रवि रुइया के साथ मिलकर एस्सार की स्थापना की थी। वह करीब एक महीने पहले अमेरिका से इलाज करा लौटे थे। मंगलवार को दोपहर 1 बजे से 3 बजे तक उनका पार्थिव शरीर रुइया हाउस में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। शाम चार बजे रुइया हाउस से शवयात्रा हिंदू वर्ली श्मशान घाट के लिए रवाना होगी।

उद्योगपति शशि रुइया ने अपने पिता नंद किशोर रुइया के मार्गदर्शन में 1965 में अपने व्यावसायिक दुनिया में कदम रखा। उन्होंने अपने भाई रवि के साथ मिलकर 1969 में चेन्नई बंदरगाह पर एक बाहरी ब्रेकवाटर का निर्माण कर एस्सार की नींव रखी। इसके बाद एस्सार ग्रुप ने इस्पात, तेल रिफाइनरी, अन्वेषण और उत्पादन, दूरसंचार, बिजली और निर्माण सहित विभिन्न क्षेत्रों में विस्तार किया।

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