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बिजनेस

नोटबंदी के बाद वित्तीय बचत में धन प्रवाह बढ़ा : विरल आचार्य

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नई दिल्ली, 22 जुलाई (आईएएनएस)| नोटबंदी के बाद बीमा और म्यूचुअल फंड जैसे वित्तीय बचत में धन प्रवाह में बढ़ोतरी देखी जा रही है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के उप गर्वनर विरल आचार्य ने शनिवार को यह बातें कही।

आचार्य ने वित्त मंत्रालय द्वारा यहां आयोजित दिल्ली इकॉनमिक्स कॉन्क्लेव 2017 में कहा, नोटबंदी के नतीजों को समझने में अभी कई साल लगेंगे। मुझे ऐसा प्रतीत होते है कि वित्तीय संपत्ति जुटाने में बदलाव हुआ है और अब काले धन में लेनदेन आसान नहीं है।

उन्होंने कहा, नवंबर से बीमा प्रीमियम का संग्रहण बढ़ा है। अगर यह बढ़ता है तो वित्तीय संपत्तियों के मूल्यांकन को बदल देगा।

उन्होंने कहा कि अब कर बचाने के लिए बांड रखना आर्कषक नहीं रह गया है।

आचार्य के मुताबिक पहले लोगों में अचल संपत्ति और सोने में निवेश कर काला धन छुपाने का विचार होता था।

उन्होंने कहा कि नोटबंदी का असर समझने में अभी कई साल लगेंगे।

हालांकि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पूर्व प्रमुख अर्थशास्त्री केनेथ रोगोफ ने कहा कि नोटबंदी में खामी थी, इसे धीरे-धीरे लागू करना चाहिए। वे फिलहाल हावर्ड विश्वविद्यालय में पढ़ाते हैं।

उन्होंने कहा, भारतीय नोटबंदी में कुछ कमियां थी, मेरी किताब ‘नकद का अभिशाप’ में मैने लिखा है कि बड़े नोट को बाजार से वापस खींचने में 5-7 साल लगाना चाहिए, लेकिन भारत में इसे रातोंरात कर दिया गया।

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प्रादेशिक

एस्सार ग्रुप के सह-संस्‍थापक शशि रुइया का 80 साल की उम्र में निधन

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मुंबई। एस्सार ग्रुप के सह-संस्‍थापक शशि रुइया का 80 साल की उम्र में निधन हो गया है। रुइया के पार्थिव शरीर को प्रार्थना और श्रद्धांजलि के लिए वालकेश्वर के बाणगंगा में रखा जाएगा। अंतिम संस्कार यात्रा रुइया हाउस से शाम 4 बजे हिंदू वर्ली श्मशान के लिए निकलेगी।

शशि रुइया ने अपने भाई रवि रुइया के साथ मिलकर एस्सार की स्थापना की थी। वह करीब एक महीने पहले अमेरिका से इलाज करा लौटे थे। मंगलवार को दोपहर 1 बजे से 3 बजे तक उनका पार्थिव शरीर रुइया हाउस में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। शाम चार बजे रुइया हाउस से शवयात्रा हिंदू वर्ली श्मशान घाट के लिए रवाना होगी।

उद्योगपति शशि रुइया ने अपने पिता नंद किशोर रुइया के मार्गदर्शन में 1965 में अपने व्यावसायिक दुनिया में कदम रखा। उन्होंने अपने भाई रवि के साथ मिलकर 1969 में चेन्नई बंदरगाह पर एक बाहरी ब्रेकवाटर का निर्माण कर एस्सार की नींव रखी। इसके बाद एस्सार ग्रुप ने इस्पात, तेल रिफाइनरी, अन्वेषण और उत्पादन, दूरसंचार, बिजली और निर्माण सहित विभिन्न क्षेत्रों में विस्तार किया।

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