Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

उत्तर प्रदेश

बिजली विभाग का निजीकरण करने पर भड़के अखिलेश यादव, कहा- सरकारी कर्मचारी और संविदा कर्मी दोनों बेरोजगार हो जाएंगे

Published

on

Loading

लखनऊ। दो बिजली कंपनियों को पीपीपी मॉडल पर चलाने को लेकर सपा मुखिया अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार पर हमला बोला है। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा सरकार ने प्रदेश की बिजली व्यवस्था को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी कर ली है। कुछ पूंजी घरानों को मनमाने दामों पर बिजली देने की छूट मिल जाएगी। जनता के शोषण उत्पीड़न से भाजपा को कुछ लेना देना नहीं। सरकारी कर्मचारी और संविदा कर्मी दोनों बेरोजगार हो जाएंगे।

अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा सरकार के एजेंडे में नौकरी और रोजगार नहीं है। जहां-जहां भाजपा की सरकारें हैं, वहां एक-सा ही पैटर्न है। अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा जाएगी तो नौकरी आएगी। भाजपा सरकार युवाओं नौजवानों को ठगने का काम कर रही है, झूठे वादे करती है।

निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मचारियों ने की सभाएं

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले शनिवार को सभी जिलों में बिजली कर्मचारियों की सभाएं हुईं। कर्मचारियों ने निजीकरण का प्रस्ताव वापस लेने की मांग की। उन्होंने कहा कि बिजली के क्षेत्र में सबसे बड़े स्टेकहोल्डर उपभोक्ता और बिजली कर्मचारी हैं। आम उपभोक्ताओं और कर्मचारियों की राय के बना निजीकरण की कोई प्रक्रिया शुरू न की जाए। समिति ने मांग की कि खरबों रुपये की बिजली कंपनियों की संपत्तियों का मूल्यांकन करने के लिए एक समिति बनाई जाए, जिसमें बिजलीकर्मी भी हों। मूल्यांकन सार्वजनिक किए बिना निजीकरण की प्रक्रिया शुरू करना संदेहास्पद है।

लखनऊ में राणा प्रताप मार्ग स्थित हाइडिल फील्ड हॉस्टल में हुई विरोध सभा में सभी कार्यालयों, शक्ति भवन, मध्यांचल मुख्यालय और लेसा के बिजलीकर्मी और अभियंता शामिल हुए। समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि निजीकरण से कर्मचारियों को तो नुकसान होगा ही, उपभोक्ताओं और किसानों को भी इसके दुष्प्रभाव झेलने होंगे। प्रदेश में आगरा और ग्रेटर नोएडा में हुए निजीकरण की समीक्षा के बाद यह तस्वीर साफ हो जाएगी कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल में किस तरह की दिक्कतें होने वाली हैं। निजी कंपनियां मुनाफे के लिए काम करती हैं, जबकि सरकारी कंपनी सेवा के लिए काम करती है।

उत्तर प्रदेश

डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक एक्शन मोड में, स्वास्थ्य विभाग के कई अधिकारियों पर गिरी गाज

Published

on

Loading

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने स्वास्थ्य विभाग में गंभीर अनियमितताओं के चलते कड़ी कार्रवाई की है. लगातार मिल रही शिकायतों के बाद श्रावस्ती के मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. अजय प्रताप सिंह को निलंबित कर दिया गया है. डिप्टी सीएम ने इस संबंध में चिकित्सा स्वास्थ्य महानिदेशालय से संबंधित अधिकारियों को जांच करने के निर्देश भी दिए थे.

शिकायतों के कारण हुई कार्रवाई

शिकायतों में यह आरोप लगाए गए थे कि डॉ. अजय प्रताप सिंह ने अवैध निजी अस्पतालों पर प्रभावी नियंत्रण नहीं किया, टेंडरों में अनियमितताएं कीं, बायो मेडिकल वेस्ट का सही तरीके से निस्तारण नहीं किया और उच्च आदेशों की अवहेलना की. इन शिकायतों के आधार पर डॉ. सिंह को निलंबित कर दिया गया.

फतेहपुर और सुल्तानपुर में भी कार्रवाई

इसके साथ ही, फतेहपुर में तैनात चिकित्सक डॉ. पुण्ड्रीक कुमार गुप्ता को भी निलंबित कर सिद्धार्थनगर के सीएमओ कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया है. उनका एक ऑडियो वायरल हुआ था, जिसमें उन्होंने सरकार और प्रशासन के खिलाफ अभद्र टिप्पणी की थी.

 

Continue Reading

Trending