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उत्तर प्रदेश

25 नवम्बर को चलेगा ‘पेंट माई टाॅयलेट’ का विशेष अभियान

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लखनऊ। विश्व शौचालय दिवस के अवसर पर उत्तर प्रदेश में चल रहे विशेष अभियान के अंतर्गत 25 नवम्बर को ‘पेंट माई टाॅयलेट’ नामक विशेष अभियान का आयोजन किया जाएगा। इस दौरान शौचालय और आसपास की दीवारों पर वॉल पेंटिंग और स्वच्छता संबंधी संदेश और उनका सौन्दर्यीकरण किया जाएगा। उसके पश्चात् 30 नवम्बर को सभी निकायों में सफाई मित्रों का सम्मान किया जायेगा। मालूम हो कि भारत सरकार के निर्देशों के क्रम में प्रदेश के सभी निकायों में निर्मित शौचालयों को स्वच्छ, सुन्दर और सुविधाजनक बनाने के लिए विश्व शौचालय दिवस पर जॉइंट सेक्रेटरी, महुआ रूपा मिश्रा ने राजधानी लखनऊ से ‘स्वच्छ शौचालय’ नामक विशेष अभियान की शुरुआत की थी। अपर निदेशक स्वच्छ भारत मिशन (नगरीय) ऋतु सुहास ने बताया कि ‘स्वच्छ शौचालय’ अभियान की थीम ‘स्वच्छ शौचालय – हमारी जिम्मेदारी’ को आत्मसात करने के लिए यह अभियान को 25 दिसम्बर तक चलाया जा रहा है। जिसके अंतर्गत विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से निकायों में स्थापित शौचालयों को स्वच्छ, सुंदर, सुरक्षित और सुविधाजनक बनाया जायेगा।

प्रत्येक दिन में 2 बार करायी जाएगी साफ-सफाई

‘स्वच्छ शौचालय – हमारी जिम्मेदारी’ थीम पर आधारित ‘स्वच्छ शौचालय’ अभियान के दौरान सभी निकायों में निर्मित सार्वजनिक एवं सामुदायिक शौचालयों की मरम्मत, सफाई और सुंदरीकरण के साथ ही उनके आस-पास खाली जगहों पर पौधरोपण एवं स्वच्छता संबंधी संदेशों को वाॅल पर पेटिंग के माध्यम से दर्शाया जायेगा। स्वच्छ शौचालय अभियान अंतर्गत सभी शौचालयों की साफ-सफाई प्रत्येक दिन में 02 बार करायी जाएगी।

गाइडलाइन के अनुरूप होंगे सभी कार्य

निकायों में निर्मित सार्वजनिक एवं सामुदायिक शौचालयों के बेहतर रख-रखाव गाईडलाइन अनुसार सुनिश्चित किया जाएगी। सार्वजनिक एवं सामुदायिक शौचालयों के आस-पास गंदगी निषेध क्षेत्र बनाए जाए व उन स्थानों का सौन्दर्यीकरण कराया जाए। ऐतिहासिक व सार्वजनिक स्थानों पर निर्मित शौचालयों की साफ-सफाई व उनके सौन्दर्यीकरण पर विशेष ध्यान दिया जाए।

टोल फ्री नंबर का प्रचार पर दर्ज करें सुझाव और शिकायत

स्वच्छता और सुविधाओं सम्बंधित सुझाव व शिकायतों के लिए सभी शौचालयों पर टोल फ्री नं. 1533 का प्रचार-प्रसार बाहर की दिवारों पर किया जाए। सैप्टिक टैंक क्लीनिंग से संबंधित दिशा-निर्देश एवं सैप्टिक टैंक क्लीनिंग से संबंधित संपर्क नंबर टाॅयलेट के बाहर की दिवारों पर दर्शाया जाए। शौचालयों को गूगल मैप पर गूगल टाॅयलेट लोकेटर पर चिन्हित् करते हुए गूगल लोकेटर आई.डी. को टाॅयलेट के बाहर की दिवारों पर दर्शाया जाए।अभियान के अन्तर्गत संबंधित निकायों में रेट्रोफिटिंग एवं रेनोवेशन किया जाना है। सभी निकाय आपने शौचालयों का सौन्दर्यीकरण, मरम्मत, रख-रखाव, गाईडलाइन के अनुरुप कराने के पश्चात् पहले व बाद की स्थिति से अवगत करायें।

आई.ई.सी. गतिविधियों के माध्यम से करें व्यापक प्रचार-प्रसार

स्वच्छ शौचालय अभियान के अन्तर्गत आई.ई.सी. में विभिन्न गतिविधियां करायी जाएगी जैसे कि टाॅयलेट टाक्स, सौन्दर्यीकरण, हैरिटेज प्लेसेस से संबंधित स्थानों पर आउटरीच गतिविधियों एवं आई.ई.सी. के माध्यम से लोगों का जुडा़व कराया जाये। स्वयं सहायता समूह, स्वयं सेवी संस्था, सी.बी.ओ., सी.एस.आर., स्वच्छ वातावरण प्रोत्साहन समिति व स्वच्छ सारथी क्लब के माध्यम से विभिन्न स्थानों पर जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन कराया जाये तथा समस्त स्कूल/काॅलेज/विश्वविद्याालयों में टाॅयलेट की व्यवस्था व साफ-सफाई की व्यवस्था सुनिश्चित की जाये। अभियान की समस्त गतिविधियों को सोशल मीडिया हैंडल पर पोस्ट करके व न्यूज पेपर्स के माध्यम से भी इसका प्रचार-प्रसार किया जाए।

डीसीसीसी से होगी ऑनलाइन मॉनिटरिंग

निदेशालय में स्थापित डेडिकेटेड कमांड कंट्रोल सेंटर (डीसीसीसी) के माध्यम से शौचालय की सफाई, सौंदर्यीकरण की दैनिक निगरानी की जाएगी। सभी मानकों को पूर्ण कराते हुए निकाय स्तर के अधिकारी व कर्मचारी ऑनलाइन मॉनिटरिंग में प्रतिभाग करते हुए शौचालय में कराये गए कार्यों को प्रदर्शित करेंगे।

उत्कृष्ट शौचालय और केयरटेकर होंगे सम्मानित

अभियान के तहत उत्कृष्ट कार्य करने वाले नगर निगम/नगर पालिका परिषदों/नगर पंचायतों को विभिन्न सूचकों के आधार पर राज्य स्तर पर विभाग द्वारा सम्मानित किया जाए। वहीं उत्कृष्ट केयरटेकर को भी निकाय व राज्य स्तर पर सम्मानित किया जायेगा।

स्वच्छ टाॅयलेट अभियान के अन्तर्गत विशेष सफाई अभियान चलाकर समस्त सार्वजनिक/सामुदायिक शौचालयों की साफ-सफाई व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। 25 नवम्बर को “पेंट माई टाॅयलेट” का विशेष अभियान चलाकर समस्त टाॅयलेट के आस-पास की दिवारोेें पर स्वच्छता संबंधी संदेश लिखाकर उनका सौन्दर्यीकरण कराया जाएगा। वहीं 30 नवम्बर को सभी सफाई कर्मियों को उक्त अभियान के अन्तर्गत सम्मानित किया जाएगा।

इन्हीं मुख्य उद्देश्य और मनकों को पूर्ण करते हुए निकायों में स्थापित शौचालयों को सुन्दर और सुविधाजनक बनाया जाए, जिससे आमजनमानस को स्वच्छता और स्वस्थ वातावरण मिल सके। इतना ही नहीं यहीं शौचालय निकाय की जनसुविधाओं का प्रमुख बिंदु भी बन सके।

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उत्तर प्रदेश

प्रयागराज में स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम, जिनके श्राप के कारण हुआ था समुद्र मंथन

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 महाकुम्भ। सनातन संस्कृति में तीर्थराज, प्रयागराज को यज्ञ और तप की भूमि के रूप में जाना जाता है। वैदिक और पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रयागराज में अनेक देवी, देवताओं और ऋषि-मुनियों ने यज्ञ और तप किये हैं। उनमें से ही एक है ऋषि अत्रि और माता अनसूईया के पुत्र महर्षि दुर्वासा। महर्षि दुर्वासा को पौरिणक कथाओं में उनके क्रोध और श्राप के लिए जाना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवता शक्तिहीन हो गये थे। तब देवताओं ने भगवान विष्णु के कहने पर असुरों के साथ मिलकर समुद्र मंथन किया था। महर्षि दुर्वासा की तपस्थली प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है। मान्यता है कि अपने क्रोध के कारण ही महर्षि दुर्वासा को प्रयागराज में शिव जी की तपस्या करनी पड़ी थी।

महर्षि दुर्वासा के श्रापवश देवताओं को करना पड़ा था समुद्र मंथन

पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन में निकली अमृत की बूंद गिरने के कारण ही प्रयागराज में महाकुम्भ का पर्व मनाया जाता है। पुराणों में समुद्र मंथन की कई कथाएं प्रचलित हैं, उनमें से एक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवताओं को असुरों के साथ मिल कर समुद्र मंथन करना पड़ा था। कथा के अनुसार एक बार देवराज इंद्र, हाथी पर बैठ कर भ्रमण कर रहे थे, महर्षि दुर्वासा ने उनको आशीर्वाद स्वरूप फूलों की माला पहनने को दी। देवराज इंद्र ने अपनी शक्ति के मद में महर्षि दुर्वासा की ओर ध्यान नहीं दिया और उनकी दी हुई माला को अपने हाथी को पहना दिया। हाथी ने फूलों की महक से परेशान होकर माला को गले से उतार कर पैरों से कुचल दिया। यह सब देखकर महर्षि दुर्वासा ने क्रोधवश देवराज इंद्र सहित सभी देवताओं को शक्तिहीन होने का श्राप दे दिया। तब देवता निराश हो कर विष्णु जी के पास पहुंचे। भगवान विष्णु ने देवताओं को पुनः शक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन करने को कहा। अंततः महर्षि दुर्वासा के श्राप से मुक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए देवताओं ने समुद्र मंथन किया था।

महर्षि दुर्वासा द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से मिलता है अभयदान

महर्षि दुर्वासा आश्रम उत्थान ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष शरत चंद्र मिश्र जी ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार परम विष्णु भक्त इक्षवाकुवंशीय राजा अंबरीष को क्रोधवश गलत श्राप देने के कारण सुदर्शन चक्र, महर्षि दुर्वासा को मारने के लिए पीछा करने लगे। महर्षि को भगवान विष्णु ने अभयदान के लिए प्रयागराज में संगम तट से एक योजन की दूरी पर भगवान शिव की तपस्य़ा करने को कहा। महर्षि दुर्वासा ने गंगा तट पर शिवलिंग की स्थापना कर भगवान शिव का तप और पूजन किया, जिससे उन्हें अभयदान मिला। पौराणिक मान्यता है कि महर्षि द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से अभयदान मिलता है।

प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम

दूर्वा अर्थात दूब घास को ही अपना आहार बनाने वाले महर्षि दुर्वासा का आश्रम प्रयागराज में झूंसी क्षेत्र के ककरा दुबावल गांव में स्थित है। यहां महर्षि दुर्वासा के आश्रम में एक प्राचीन शिव मंदिर है। मान्यता है कि मंदिर में शिव लिंग की स्थापना स्वयं दुर्वासा ऋषि ने ही की थी। मंदिर के गर्भगृह में साधना अवस्था में महर्षि दुर्वासा की प्रतिमा भी स्थापित है। साथ ही मंदिर के प्रांगण में अत्रि ऋषि, माता अनसुइया, दत्तात्रेय भगवान, चंद्रमा, हनुमान जी और मां शारदा की प्रतिमाएं भी है। महर्षि दुर्वासा को वैदिक ऋषि अत्रि और सती अनसुइया का पुत्र और भगवान शिव का अंश माना जाता है। भगवान दत्तात्रेय और चंद्रमा उनके भाई हैं। सावन मास में यहां प्रतिवर्ष मेला लगता है तथा मार्गशीर्ष माह की चतुर्दशी के दिन दुर्वासा जंयति मनाई जाती है।

महाकुम्भ में पर्यटन विभाग ने करवाया है दुर्वासा आश्रम और शिव मंदिर का जीर्णोद्धार

महाकुम्भ 2025 के दिव्य, भव्य आयोजन में सीएम योगी के निर्देश के अनुरूप प्रयागराज के मंदिर और घाटों का जीर्णोद्धार हो रहा है। इसी क्रम में पर्यटन विभाग ने महर्षि दुर्वासा आश्रम का भी जीर्णोद्धार कराया है। मंदिर के प्रवेश मार्ग पर रेड सैण्ड स्टोन के तीन विशाल द्वार का निर्माण हुआ है। मंदिर की पेंटिग और लाईटिंग का कार्य भी करवाया जा रहा है। महाकुम्भ में संगम स्नान करने वाले श्रद्धालु अभयदान पाने के लिए महर्षि दुर्वासा आश्रम और शिवलिंग का पूजन करने जरूर आते हैं।

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