आध्यात्म
उदया तिथि के अनुसार इस दिन रखें हरतालिका तीज व्रत, जानें पूजा मुहूर्त और विधि
नई दिल्ली। हिन्दू पंचांग के अनुसार हर वर्ष भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का व्रत रखा जाता है। इस दिन मां गौरा पार्वती और शिव जी की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। करवा चौथ की तरह ही यह व्रत भी बहुत कठिन माना जाता है।
इस दिन महिलाएं दिनभर निर्जला व्रत रखती हैं। सुहागिन महिलाओं के द्वारा अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए यह व्रत रखा जाता है। वहीं कुंवारी लड़कियां भी अच्छे वर की कामना के साथ इस व्रत को रखती हैं।
मान्यता है कि इस व्रत को करने से वैवाहिक जीवन सुखमय होता है और पति-पत्नी के बीच आपसी प्रेम बढ़ता है। चलिए जानते हैं हरतालिका तीज की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।
हरतालिका तीज तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि की शुरुआत 17 सितंबर दिन रविवार को सुबह 11 बजकर 08 मिनट पर हो रही है। इस तिथि का समापन अगले दिन 18 सितंबर 2023, सोमवार को दोपहर 12 बजकर 39 मिनट पर होगा। उदया तिथि 18 सितंबर को प्राप्त हो रही है, इसलिए हरतालिका तीज का व्रत 18 सितंबर को ही रखा जाएगा।
पूजा मुहूर्त
हरतालिका तीज की पूजा के लिए इस दिन 3 शुभ मुहूर्त हैं। पहला मुहूर्त सुबह 06 बजकर 07 मिनट से 08 बजकर 34 मिनट तक है। उसके बाद दूसरा मुहूर्त सुबह 09 बजकर 11 मिनट से सुबह 10 बजकर 43 मिनट तक है। इसके बाद तीसरा मुहूर्त दोपहर 03 बजकर 19 मिनट से शाम 07 बजकर 51 मिनट तक है। इन तीनों मुहूर्त में आप कभी भी पूजा कर सकती हैं।
पूजन सामग्री
हरतालिका तीज पूजा के लिए सबसे पहले भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की मिट्टी की मूर्ति की जरूरत होती है। इसके अलावा पीला वस्त्र, केले का पत्ता, जनेऊ, सुपारी, रोली, बेलपत्र, धतूरा, शमी के पत्ते, दूर्वा, कलश, अक्षत, घी, कपूर, गंगाजल, दही शहद और 16 श्रृंगार का सामान सिंदूर, बिंदिया, मेंहदी, कुमकुम आदि।
पूजा विधि
हरतालिका तीज व्रत के दिन सुबह उठकर स्नान आदि के बाद स्वच्छ कपड़े पहनें। फिर बाद में शुभ मुहूर्त के समय हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प करने के बाद पूजा आरंभ करें। इस दिन माता पार्वती और शिव जी के साथ उनके पुत्र गणेश की पूजा भी की जाती है।
माता पार्वती, भगवान शिव शंकर और गणेश जी की मिट्टी की प्रतिमाएं बनाएं। इसके बाद एक चौकी पर स्थापित करें। माता पार्वती को अक्षत, चुनरी, फूल, फल, धूप दीप आदि अर्पित करें। वहीं शिव जी को सफेद चंदन, बिल्वपत्र, भांग, धतूरा आदि अर्पित करें, भगवान शिव को सफेद फूल अर्पित करने चाहिए।
भगवान शिव की पूजा करते समय ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें। उसके बाद शिव, पार्वती गणेश जी को भोग लगाएं। मां पार्वती का पूजन करते समय ॐ उमायै नम: मंत्र का जाप करें। इसके बाद कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की कामना करें।
डिस्क्लेमर: उपरोक्त जानकारी के पूर्णतयः सत्य व सटीक होने का हमारा दावा नहीं है। अपनाने से पूर्व संबंधित विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।
आध्यात्म
महाकुम्भ 2025: बड़े हनुमान मंदिर में षोडशोपचार पूजा का है विशेष महत्व, पूरी होती है हर कामना
महाकुम्भनगर| प्रयागराज में संगम तट पर स्थित बड़े हनुमान मंदिर का कॉरिडोर बनकर तैयार हो गया है। यहां आने वाले करोड़ों श्रद्धालु यहां विभिन्न पूजा विधियों के माध्यम से हनुमान जी की अराधना करते हैं। इसी क्रम में यहां षोडशोपचार पूजा का भी विशेष महत्व है। षोडशोपचार पूजा करने वालों की हर कामना पूरी होती है, जबकि उनके सभी संकट भी टल जाते हैं। मंदिर के महंत और श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर बलवीर गिरी जी महाराज ने इस पूजा विधि के विषय में संक्षेप में जानकारी दी और यह भी खुलासा किया कि हाल ही में प्रयागराज दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी मंदिर में षोडशोपचार विधि से पूजा कराई गई। उन्हें हनुमान जी के गले में पड़ा विशिष्ट गौरीशंकर रुद्राक्ष भी भेंट किया गया। उन्होंने भव्य और दिव्य महाकुम्भ के आयोजन के लिए पीएम मोदी और सीएम योगी का आभार भी जताया।
16 पदार्थों से ईष्ट की कराई गई पूजा
लेटे हनुमान मंदिर के महंत एवं श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर बलवीर गिरी जी महाराज ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक यजमान की तरह महाकुम्भ से पहले विशेष पूजन किया। प्रधानमंत्री का समय बहुत महत्वपूर्ण था, लेकिन कम समय में भी उनको षोडशोपचार की पूजा कराई गई। पीएम ने हनुमान जी को कुमकुम, रोली, चावल, अक्षत और सिंदूर अर्पित किया। यह बेहद विशिष्ट पूजा होती है, जिसमें 16 पदार्थों से ईष्ट की आराधना की। इस पूजा का विशेष महत्व है। इससे संकल्प सिद्धि होती है, पुण्य वृद्धि होती है, मंगलकामनाओं की पूर्ति होती और सुख, संपदा, वैभव मिलता है। हनुमान जी संकट मोचक कहे जाते हैं तो इस विधि से हनुमान जी का पूजन करना समस्त संकटों का हरण होता है। उन्होंने बताया कि पीएम को पूजा संपन्न होने के बाद बड़े हनुमान के गले का विशिष्ट रुद्राक्ष गौरीशंकर भी पहनाया गया। यह विशिष्ट रुद्राक्ष शिव और पार्वती का स्वरूप है, जो हनुमान जी के गले में सुशोभित होता है।
सभी को प्रेरित करने वाला है पीएम का आचरण
उन्होंने बताया कि पूजा के दौरान प्रधानमंत्री के चेहरे पर संतों का ओज नजर आ रहा था। सबसे महत्वपूर्ण बात ये कि उनमें संतों के लिए विनय का भाव था। आमतौर पर लोग पूजा करने के बाद साधु संतों को धन्यवाद नहीं बोलते, लेकिन पीएम ने पूजा संपन्न होने के बाद पूरे विनय के साथ धन्यवाद कहा जो सभी को प्रेरित करने वाला है। उन्होंने बताया कि पीएम ने नवनिर्मित कॉरिडोर में श्रद्धालुओं की सुविधा को लेकर भी अपनी रुचि दिखाई और मंदिर प्रशासन से श्रद्धालुओं के आने और जाने के विषय में जानकारी ली। वह एक अभिभावक के रूप में नजर आए, जिन्हें संपूर्ण राष्ट्र की चिंता है।
जो सीएम योगी ने प्रयागराज के लिए किया, वो किसी ने नहीं किया
बलवीर गिरी महाराज ने सीएम योगी की भी तारीफ की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने प्रयागराज और संगम के विषय में जितना सोचा, आज से पहले किसी ने नहीं सोचा। संत जीवन में बहुत से लोगों को बड़े-बड़े पदों पर पहुंचते देखा, लेकिन मुख्यमंत्री जी जैसा व्यक्तित्व कभी नहीं देखने को मिला। वो जब भी प्रयागराज आते हैं, मंदिर अवश्य आते हैं और यहां भी वह हमेशा यजमान की भूमिका में रहते हैं। हमारे लिए वह बड़े भ्राता की तरह है। हालांकि, उनकी भाव भंगिमाएं सिर्फ मंदिर या मठ के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए हैं। वो हमेशा यही पूछते हैं कि प्रयागराज कैसा चल रहा है। किसी मुख्यमंत्री में इस तरह के विचार होना किसी भी प्रांत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
स्वच्छता का भी दिया संदेश
उन्होंने महाकुम्भ में आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं को संदेश भी दिया। उन्होंने कहा कि महाकुम्भ को स्वच्छ महाकुम्भ बनाने का जिम्मा सिर्फ सरकार और प्रशासन का नहीं है, बल्कि श्रद्धालुओं का भी है। मेरी सभी तीर्थयात्रियों से एक ही अपील है कि महाकुम्भ के दौरान स्नान के बाद अपने कपड़े, पुष्प और पन्नियां नदियों में और न ही तीर्थस्थल में अर्पण न करें। प्रयाग और गंगा का नाम लेने से ही पाप कट जाते हैं। माघ मास में यहां एक कदम चलने से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है। यहां करोड़ों तीर्थ समाहित हैं। इसकी पवित्रता के लिए अधिक से अधिक प्रयास करें। तीर्थ का सम्मान करेंगे तो तीर्थ भी आपको सम्मान प्रदान करेंगे। स्नान के समय प्रयाग की धरा करोड़ों लोगों को मुक्ति प्रदान करती है। यहां ज्ञानी को भी और अज्ञानी को भी एक बराबर फल मिलता है।
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