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उत्तर प्रदेश

पर्यटकों के लिए जल्द खुलेगा अयोध्या का क्वीन हो पार्क, ठहरने के लिए होगी कॉटेज की व्यवस्था

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अयोध्या। दक्षिण कोरिया और अयोध्या के बीच मधुर संबंधों को मजबूत करने के लिए सरयू तट स्थित क्वीन हो कोरियाई पार्क जल्द ही पर्यटकों के लिए खोल दिया जाएगा। इसमें पर्यटकों के रुकने के लिए कॉटेज और रेस्टोरेंट जैसी सुविधाएं भी मुहैया कराई जाएंगी। अयोध्या धाम में 2018 के दीपोत्सव आयोजन के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व दक्षिण कोरिया की प्रथम महिला किम जोंग सुक ने संयुक्त रूप से क्वीन हो पार्क के नवीनीकरण का शिलान्यास किया था।

इस पार्क के संचालन के लिए दिल्ली की कार्यदाई संस्था आईएचडब्ल्यूएचसी को दायित्व सौंपा गया है। सरयू तट पर 2000 वर्ग मीटर में फैले क्वीन हो मेमोरियल पार्क का निर्माण सितंबर 2019 में शुरू हुआ था। नवंबर 2021 में इसका कार्य पूर्ण हो गया। इसमें मेडिटेशन हॉल, क्वीन पवेलियन, किंग पवेलियन, वाटर टैंक, फुट ओवर ब्रिज, सब स्टेशन, ट्यूबवेल, पाथवे, शौचालय, फाउंटेन, लैंडस्केपिंग, स्कल्चर, गार्ड रूम, म्यूरल, ऑडियो-विडियो सिस्टम, बाउंड्रीवॉल, पार्किंग व तालाब का निर्माण किया गया है।

क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी राजेन्द्र यादव ने बताया कि पार्क के संचालन के लिए इसे निजी संस्था को सौंप गया है। यह पार्क दक्षिण कोरिया और भारत सरकार की संयुक्त योजना के तहत बना है। इसमें कोरिया व अवध क्षेत्र की सामाजिक व सांस्कृतिक पहलुओं को दिखाया गया है। पार्क में अवध की संस्कृति को दर्शाने के लिए अवध पवेलियन और कोरिया के कल्चर को दर्शाने वाली कोरियन पवेलियन के साथ ही समुद्र को दिखाने के लिए वाटर बॉडी बनी है।

कार्यदाई संस्था के डायरेक्टर सौरभ जैन ने बताया कि अयोध्या और कोरिया को जोड़ने वाले इस पार्क में किसी भी प्रकार का प्रवेश शुल्क नही रखे जाने पर विचार किया जा रहा है। इसके साथ ही आने वाले पर्यटको के माध्यम से ही यहां की व्यवस्था भी संचालित हो इसके लिए कोरियन शैली के वेज रेस्टोरेंट, कोरिया में प्रचलित सामानों की दुकानें, बाहर से आने वालों के ठहरने के लिए लग्जरी कॉटेज, कांफ्रेंस हॉल, मनोरंजन केंद्र, कोरियन-इंडियन कल्चर के कार्यक्रमों के आयोजनों के लिए हॉल शामिल है।

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उत्तर प्रदेश

महाकुम्भ के प्राग ज्योतिषपुर में दिख रही पूर्वोत्तर की सांस्कृतिक झलक

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महाकुम्भ नगर। इस बार महाकुम्भ में पूर्वोत्तर के राज्यों के सत्रों यानि आश्रमों की व्यापक उपस्थिति और संस्कृति की झलक देखने को मिल रही है। यहां असमिया संस्कृति पर आधारित नामघर की परंपरा में सत्राधिकार आयोजित होने जा रहे हैं। इस बार पूर्वोत्तर के सत्रों की सारी परंपराएं महाकुम्भ में हिस्सा लेने आ रही हैं। पूर्वोत्तर के संतों को योगी सरकार ने स्टेट गेस्ट का दर्जा देकर आमंत्रित किया है। महाकुम्भ परिसर में प्राग ज्योतिषपुर क्षेत्र में इसे लेकर खास तैयारियां हो रही हैं और 12 जनवरी से यहां आयोजनों की शुरुआत हो जाएगी।

सातों राज्यों की संस्कृतियों को किया जा रहा प्रदर्शित

योगाश्रम बिहलांगिनी असम के महंत महामंडलेश्वर स्वामी श्री केशव दास जी महाराज ने बताया कि महाकुम्भ के प्राग ज्योतिषपुर क्षेत्र में नामघर बन रहा है। यह कुम्भ में पहली बार हो रहा है। सत्राधिकार यहां रहेंगे और शाही स्नान में भाग लेंगे। धर्म सभाएं होंगी। अखंड भागवत होगा। यह लगातार 7 दिन 168 घंटे चलेगा। इसकी शुरुआत 21 जनवरी को होगी और समापन 27 जनवरी को होगा। नॉर्थ ईस्ट के सातों राज्यों की सारी संस्कृतियों को प्रदर्शित करते हुए एक प्रदर्शनी लगाई जाएगी। इस प्रदर्शनी में पूर्वोत्तर के समाज, संस्कृति और धर्म की समग्र तस्वीर देखने को मिलेगी। कलाकार आ चुके हैं और इसे तैयार कर रहे हैं। इस प्रदर्शनी का उद्घाटन 12 जनवरी को होगा।

बन रहा कामाख्या का मॉडल

उन्होंने आगे बताया कि आयोजन में राम विजय भावना का मंचन होगा। यह मंचन रामलीला की तर्ज पर होता है। मणिपुरी नृत्य रास भी होगा। सत्रीय नृत्य का आयोजन होगा। नागालैंड का बैंबो डांस होगा। अप्सरा नृत्य होगा। यह अब सत्रीय संस्कृति के अंतर्गत है। माटी अखाड़ा में भक्त अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे। यह एक प्रकार की योग साधना की परंपरा है, जिसका स्वरूप अलग है। कामाख्या का मॉडल बनेगा और कामाख्या का जल वितरित किया जाएगा।

नॉर्थ ईस्ट से 125 संतों को स्टेट गेस्ट के रूप में किया आमंत्रित

मेले की व्यवस्थाओं पर उन्होंने कहा कि अच्छी व्यवस्थाएं हैं। मेला प्रशासन कोशिश कर रहा है कि सभी साधु संत संतुष्ट हों और उन्हें सुविधाएं प्राप्त हों। मुख्यमंत्री योगी जी ने जिस तरह की व्यवस्थाएं की हैं, उसने हृदय से प्रभावित, संतुष्ट और उत्साहित किया है। योगी जी ने नॉर्थ ईस्ट से 125 संतों को बुलाया है स्टेट गेस्ट बनाकर। इन सभी को सीएम ऑफिस से फोन जा रहे हैं। उनकी व्यवस्था हमारे ही खालसे में होगी। पद्मश्री से सम्मानित त्रिपुरा के चित्त महाराज, दक्षिण पाद सत्र, गडमूर सत्र जैसे प्राचीन सत्रों के साथ कई सत्राधिकार आयेंगे और शाही स्नान में भाग लेंगे। इससे पहले सत्राधिकारों ने कभी भी कुम्भ में शाही स्नान में भाग नहीं लिया और रुके भी नहीं। अखाड़ों के द्वारा उनका सम्मान होगा। यहां के संत समाज के साथ वार्तालाप होगी। प्राग ज्योतिषपुर क्षेत्र के शिविर का 12 को उद्घाटन है। उसके बाद कार्यक्रम शुरू हो जाएंगे। योगी जी द्वारा जिस तरह कुम्भ को आयोजित किया जा रहा है, इससे पूरे नॉर्थ ईस्ट में प्रचार हो गया है और लोग उत्साहित हो गए हैं।

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