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नेशनल

CEC और EC को मिल सकता है SC के जजों के समान दर्जा, केंद्र सरकार ला सकती है संशोधन प्रस्ताव 

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cec amendment bill 2023

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नई दिल्ली। विपक्षी दलों और पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों के विरोध के बीच सरकार ने सीईसी और अन्य चुनाव आयुक्तों का दर्जा उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के बराबर बरकरार रखने का फैसला किया है। वर्तमान में, सीईसी और ईसी को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश का दर्जा प्राप्त है।

इस साल अगस्त में राज्यसभा में पेश किए गए मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) विधेयक, 2023 में सीईसी और अन्य ईसी की स्थिति को कैबिनेट सचिव के बराबर लाने का प्रस्ताव किया गया था।

CEC और अन्य आयुक्तों को SC के जज के बराबर मिलेगा वेतन

विपक्षी दलों और कुछ पूर्व सीईसी ने इस कदम का विरोध करते हुए कहा था कि यह संस्था की स्वतंत्रता के खिलाफ होगा। सूत्रों के मुताबिक, आधिकारिक संशोधन में कहा गया है, “सीईसी और अन्य आयुक्तों को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के वेतन के बराबर वेतन दिया जाएगा।”

विधेयक राज्यसभा में विचार और पारित होने के लिए सूचीबद्ध

एक अन्य प्रस्तावित संशोधन के अनुसार, केंद्रीय कानून मंत्री की अध्यक्षता वाली एक खोज समिति जिसमें भारत सरकार के सचिव स्तर से नीचे के दो अन्य सदस्य शामिल होंगे। यह सभी चयन समिति के लिए पांच व्यक्तियों का एक पैनल तैयार करेगी। विधेयक में प्रस्तावित किया गया कि कैबिनेट सचिव सर्च कमेटी के प्रमुख होंगे। विधेयक मंगलवार को राज्यसभा में विचार और पारित होने के लिए सूचीबद्ध है।

नेशनल

दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन को सुप्रीम कोर्ट से मिली कस्टडी पेरोल, करेंगे चुनाव प्रचार

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नई दिल्ली। दिल्ली सांप्रदायिक दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। ताहिर को चुनाव प्रचार के लिए कोर्ट से कस्टडी पेरोल मिल गई है। इसके बाद ताहिर हुसैन को पुलिस हिरासत में चुनाव प्रचार करने की छूट मिल गई है। ताहिर हुसैन दिल्ली की मुस्तफाबाद सीट से एआईएमआईएम पार्टी के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। ताहिर हुसैन ने पूर्व में सुप्रीम कोर्ट में चुनाव प्रचार के लिए जमानत देने की याचिका दायर की थी, लेकिन इसकी मंजूरी नहीं मिल पाई थी। अब उन्होंने पुलिस हिरासत में ही चुनाव प्रचार करने देने की इजाजत सुप्रीम कोर्ट से मांगी थी। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने मंजूर कर लिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने कई शर्तों के साथ AIMIM उम्मीदवार को कस्टडी पेरोल दी है। इस दौरान उसे अपने घर जाने की भी इजाजत नहीं मिली है।
ताहिर को 29 जनवरी से 3 फरवरी तक कस्टडी परोल दी गई है। ताहिर हुसैन की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ अग्रवाल ने न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ से कहा कि चुनाव प्रचार के लिए केवल चार-पांच दिन बचे हैं, इसलिए उन्हें पुलिस हिरासत में मतदाताओं से संपर्क करने की अनुमति दी जाए।

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने ताहिर के अनुरोध का विरोध करते हुए कहा कि उनकी भूमिका गंभीर है। उन्होंने कहा कि अगर राहत दी जाती है तो हर कोई जेल से नामांकन दाखिल करेगा। कोर्ट ने राजू से कहा कि वह इस बारे में निर्देश मांगें कि किस तरह के खर्च और किस तरह की सुरक्षा की जरूरत होगी। पीठ ने अग्रवाल से यह भी कहा कि वह बताएं कि हुसैन क्या वचन देंगे। लंबे बहस के बाद कोर्ट ने कई शर्तों के आधार पर ताहिर को कस्टडी पेरोल दी।

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