प्रादेशिक
सीएम भजनलाल ने दौसा, करौली और भरतपुर जिलों में भारी बारिश से प्रभावित इलाकों का किया हवाई सर्वेक्षण
जयपुर। राजस्थान में लगातार मूसलाधार बारिश से जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है. बारिश की वजह से राजधानी जयपुर सहित कई जिलों में स्कूलों को बंद करने का आदेश जारी हुआ. मंगलवार को भी कई जिलों में स्कूल बंद रहे. दो दिन के दौरान बारिश संबंधी घटनाओं में 22 लोगों की मौत हो चुकी है. इस बीच मौसम विभाग ने मंगलवार और बुधवार को भी कई इलाकों में भारी बारिश का ‘रेड अलर्ट’ जारी किया है.
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने आज दौसा, करौली और भरतपुर जिलों में भारी बारिश से प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण किया. उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘आज करौली जिले के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण कर जलभराव और अतिवृष्टि प्रभावित क्षेत्रों का जायज़ा लेने के बाद विभागीय अधिकारियों की बैठक ली. बैठक में कुशल आपदा प्रबंधन के लिए निर्देश दिया.’
उत्तर प्रदेश
महाकुंभ में फिर लगी आग, कई टेंट जलकर राख, कोई हताहत नहीं
प्रयागराज। महाकुंभ में एक बार हादसा हो गया है। यहां सेक्टर-22 में बनाए गए टेंटों में आग लग गई है। हालांकि गनीमत रही कि इस हादसे में किसी तरह की जनहानि नहीं हुई है। फिलहाल फायर ब्रिगेड की टीम आग को काबू में पाने की कोशिश कर रही है, लेकिन अभी तक आग को काबू में नहीं पाया जा सका है। वहीं गनीमत रही कि मौके पर कोई भी श्रद्धालु टेंट में नहीं था। आग लगने के बाद सभी के सभी बाहर निकल आए थे, जिस वजह से बड़ा हादसा होने से टल गया।
बता दें कि महाकुंभ का सेक्टर-22 एरिया झूसी के छतनाग घाट और नागेश्वर घाट के बीच में है. गुरुवार को यहीं पर अचानक से कई टेंट जलने लगे। यह देख श्रद्धालु अपने-अपने टेंटों से बाहर निकल आए और फायर ब्रिगेड को जानकारी दी. मौके पर पहुंची फायर ब्रिगेड की टीम आग बुझाने में जुट गई है। आग से कई टेंट जलकर राख हो गए। गनीमत है कि कोई जनहानि नहीं हुई है।
इससे पहले बुधवार को महाकुंभ मेला क्षेत्र में भगदड़ मच गई थी। कुछ लोग बैरिकेड तोड़कर जाना चाहते थे। वहीं, कुछ लोग जमीन पर सो रहे थे। भीड़ इन लोगों के ऊपर से गुजर गई। इस घटना के बाद 90 लोगों को अस्पताल लाया गया। इनमें से 30 की मौत हो गई थी।
सीएम योगी हुए भावुक
महाकुम्भ हादसे को लेकर बुधवार देर शाम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पत्रकारों से वार्ता करते हुए भावुक हो गए। उन्होंने कहा, “भारी भीड़ और बैरिकेड्स टूटने के कारण यह दुखद हादसा हुआ।” मुख्यमंत्री ने हादसे की न्यायिक जांच के आदेश देते हुए तीन सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग का गठन किया। इस आयोग के अध्यक्ष पूर्व न्यायाधीश हर्ष कुमार होंगे, जबकि पूर्व डीजी वी.के. गुप्ता और रिटायर्ड आईएएस डी.के. सिंह को आयोग में शामिल किया गया है। यह आयोग एक समय सीमा के अंदर अपनी रिपोर्ट देगा। पुलिस भी मामले की जांच करेगी और हादसे के कारणों की गहराई से पड़ताल की जाएगी। यही नहीं, गुरुवार को मुख्य सचिव और डीजीपी भी प्रयागराज जाकर घटना की समीक्षा करेंगे।
मृतकों के परिजनों को 25-25 लाख का मुआवजा
मुख्यमंत्री ने घटना पर गहरी चिंता जताते हुए कहा, “प्रशासन ने कई दौर की समीक्षा बैठकें की थीं, फिर भी यह हादसा कैसे हुआ? इसकी गहन जांच होगी।” सरकार ने मृतकों के परिवारों को ₹25-25 लाख की सहायता राशि देने की भी घोषणा की है। इसके अतिरिक्त मुख्य सचिव और डीजीपी को गुरुवार को घटनास्थल का दौरा कर जांच करने के निर्देश दिए गए हैं। वे हालात का जायजा लेंगे और रिपोर्ट सौंपेंगे।
हादसे से मर्माहित सीएम योगी
घटना का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री भावुक हो गए और बोले, “इतनी तैयारियों के बावजूद यह हादसा बेहद दुखद है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में ऐसी त्रासदी दोबारा न हो।” उन्होंने कहा कि मंगलवार शाम 7 बजे से ही काफी बड़ी संख्या में श्रद्धालुजन प्रयागराज पहुंचकर स्नान भी कर रहे थे और काफी बड़ी संख्या में ब्रह्म मुहूर्त का भी इंतजार कर रहे थे। इसी दौरान अखाड़ा मार्ग पर संगम तट पर यह हादसा हुआ। यह हादसा भारी भीड़ के द्वारा अखाड़ा मार्ग के बैरिकेड्स को तोड़ने और उसके बाद उससे कूदकर जाने के कारण हुआ है, जिसमें 30 के आसपास लोगों की मृत्यु हुई है। 36 घायलों का प्रयागराज में उपचार चल रहा है। शेष घायलों को उनके परिवार से सदस्य लेकर चले गए हैं।
हादसे की तह में जाने की आवश्यकता
सीएम योगी ने कहा कि प्रयागराज में बुधवार को 8 करोड़ से अधिक लोगों का दबाव था। यद्यपि अगल बगल के जनपदों मिर्जापुर, भदोही, प्रतापगढ़, फतेहपुर, कौशांबी, में भी होल्डिंग एरिया बनाकर श्रद्धालुजनों को रोका गया था, जिन्हें अखाड़ों का अमृत स्नान संपन्न होने के बाद रिलीज किया गया है। रेलवे स्टेशनों पर भी लगातार दबाव बना रहा। रेलवे ने भी इस दौरान रूटीन और मेला स्पेशल को मिलाकर लगभग 300 से अधिक ट्रेनें चलाई हैं। उत्तर प्रदेश परिवहन निगम ने भी 8000 से अधिक बसें संचालित की हैं। ये सभी घटनाएं मर्माहत करने वाली भी हैं और एक सबक भी हैं, लेकिन हादसे की तह में भी जाने की आवश्यकता है।
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