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प्रादेशिक

केंद्र की 44 महत्वपूर्ण योजनाओं में नंबर एक है यूपी: सीएम योगी

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लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछली सरकारों की कार्य संस्कृति और कार्यशैली को लेकर बड़ा हमला किया है। उन्होंने कहा कि 2017 में जब हम लोग आए थे, उस समय भारत सरकार 20 कृषि विज्ञान केंद्र उत्तर प्रदेश को देना चाहती थी, लेकिन पिछली सरकारें कृषि विज्ञान केंद्र नहीं लेना चाहती थीं। उनको भय था कि कृषि विज्ञान केंद्र आएंगे, तो कहीं ऐसा न हो कि किसानों को आधुनिक तकनीक और आधुनिक जानकारी देने के साथ वह जागरुक हो जाएंगे, वह देना ही नहीं चाहते थे, लेकिन आज हमें 20 किसान विज्ञान केंद्रों को प्रदेश में स्थापित करने में सफलता मिली है।

यह बातें उन्होंने शुक्रवार को लोकभवन में कृषि विभाग में चयनित 1863 प्राविधिक सहायकों (ग्रुप सी) को नियुक्ति पत्र देने के दौरान कहीं। उन्होंने कहा कि आपने जब आवेदन किया होगा, आवेदन से लेकर नियुक्ति पत्र प्राप्त होने तक किसी भी स्थान पर, किसी भी स्तर पर सिफारिश कराने या कहीं से कोई लेनदेन के बारे में या इस प्रकार की शिकायत का अवसर नहीं मिला होगा। स्वभाविक रूप से एक बिगड़ी हुई व्यवस्था में इतनी स्वच्छ, शुचिता और पारदर्शी व्यवस्था यह शासन की मंशा को बहुत स्पष्ट करता है। अगर हमने इन सभी प्रक्रियाओं में शुचिता और पारदर्शिता का ध्यान नहीं रखा होता, तो हम पिछले साढ़े चार वर्ष में साढ़े चार लाख नौजवानों को सरकारी नौकरी नहीं दे पाते।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में 2017 के पहले खरीद की कोई पॉलिसी नहीं थी। मार्च 2017 में हमारी सरकार बनी थी और पहली अप्रैल से हमने तीन हजार गेहूं क्रय केंद्र स्थापित कर दिए थे और तबसे किसानों से सीधे खरीदने वाला अग्रणी राज्य अगर कोई है, तो उत्तर प्रदेश है। उन्होंने कहा कि जब हमारी सरकार पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा करेगी, तब तक 25 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को अतिरिक्त सिंचाई की क्षमता की सुविधा उपलब्ध कराने में सफल हो जाएंगे। यह पांच वर्ष की सरकार की उपलब्धियां हैं, जो सरकार ने अब तक तय की हैं। इस दौरान कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही और राज्य मंत्री लाखन सिंह राजपूत आदि मौजूद रहे।

पिछले साढ़े चार साल का परिणाम है कि उत्तर प्रदेश देश की नंबर दो की अर्थव्यवस्था बना: सीएम

सीएम योगी ने सवाल पूछा कि आज से साढ़े चार वर्ष पहले उत्तर प्रदेश कहां था? उत्तर प्रदेश अर्थव्यवस्था के मामले में देश की छठी अर्थव्यवस्था था। सब कुछ यहां पर था। हमारे पास देश का सबसे अच्छा मानव संसाधन, सबसे बड़ी आबादी हमारे पास, सबसे अच्छा जल संसाधन हमारे पास, दुनिया की सबसे अच्छी ऊर्वरा भूमि हमारे पास। सबसे अच्छा होने के बावजूद कहीं न कहीं कोई कमी तो थी कि उत्तर प्रदेश हर क्षेत्र में पीछे रहता था। पिछले साढ़े चार साल में जो प्रक्रिया शुरू हुई, आज उसका परिणाम है कि उत्तर प्रदेश देश की नंबर दो की अर्थव्यवस्था बन चुका है।

ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में आज नंबर दो स्थान पर है: सीएम

सीएम योगी ने कहा कि जिस उत्तर प्रदेश के बारे में कहा जाता था कि यहां पर कार्य की संभावना ना के बराबर है। शासन की किसी भी योजना को ईमानदारी से लागू नहीं किया जा सकता है, क्योंकि कार्य संस्कृति नहीं थी, नौकरशाही उन सभी कार्यों को लागू करने में आड़े आती थी। राजनीतिक संक्रमण इस कदर था कि कुछ भी ईमानदारी पूर्वक, पारदर्शी तरीके से लागू नहीं किया जा सकता था। वही प्रदेश आज ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में देश में साढ़े चार साल पहले 14वें स्थान पर था, आज वह नंबर दो स्थान पर है।

केंद्र की 44 महत्वपूर्ण योजनाओं में नंबर एक है प्रदेश: सीएम

सीएम ने कहा कि यह वही प्रदेश है, जिस प्रदेश को ईज ऑफ लीविंग में यह माना जाता था कि यहां पर सबसे ज्यादा गरीबी है, सबसे ज्यादा बेरोजगारी, सबसे ज्यादा अराजकता है, सबसे ज्यादा अव्यवस्था है। प्रदेश के बारे में देश और दुनिया की धारणा बहुत नकारात्मक थी। आज वही प्रदेश ईज ऑफ लीविंग में केंद्र सरकार की 44 महत्वपूर्ण योजनाओं में नंबर एक स्थान रखता है। यह सामूहिक प्रयास का प्रतिफल है।

सब कुछ होने के बावजूद हम हर फिल्ड में पिछड़े थे: सीएम

उन्होंने कहा कि जब हम प्रतिभा का उपयोग बेहतर तरीके से करते हैं, तो उसके परिणाम भी सामने आते हैं और जब उसके परिणाम सामने आते हैं, तो पूर्ण लाभ से हम सब स्वयं लाभान्वित होते हैं, लेकिन जब हम अपनी प्रतिभा का बेहतर उपयोग नहीं करते हैं तो स्वभाविक रूप से उससे उत्पन्न होने वाली विषमता के दोष के भी हम भागीदार बनते हैं और उत्तर प्रदेश में यही होता था साढ़े चार वर्ष पहले। सब कुछ होने के बावजूद हम हर फिल्ड में पिछड़े थे। आज सब कुछ होने के बावजूद हम देश में हर क्षेत्र में आगे हैं। यह दो अंतर आपको पिछले साढ़े चार वर्ष में देश और दुनिया को भी देखने को मिला है।

वर्षों से लंबित थीं कृषि सिंचाई परियोजनाएं: योगी

सीएम योगी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में कृषि सिंचाई योजनाओं की स्थिति कई कई वर्षों से लंबित थी। बाण सागर परियोजना को 1973 में उस समय के योजना आयोग ने अपनी सहमति दी थी। 1978 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने इसका शिलान्यास किया था। तबसे लेकर चार दशक तक कोई पुरसाहाल नहीं था। हमने एक टाइम टेबल तय किया और इस परियोजना को प्रधानमंत्री से राष्ट्र को समर्पित कराया। सरयू नहर परियोजना की 1971 में योजना आयोग ने सहमति दी थी, लेकिन आज तक पूरा नहीं हो पाया था, हम 15 नवंबर तक इस परियोजना को पूरा करने जा रहे हैं। अर्जुन सहायक परियोजना, मध्य गंगा परियोजना जैसी एक दर्जन परियोजनाएं लंबित थीं।

राज्य सरकार के प्रस्ताव पर भारत सरकार ने दी शुगर को एथनॉल में बदलने की सहमति

उन्होंने कहा कि कोरोना काल में हमने चीनी मिलों को बंद नहीं किया। 119 चीनी मिलें चलती रहीं। एक लाख 45 हजार करोड़ रुपए का गन्ना मूल्य का भुगतान अब तक किया जा चुका है। उत्तर प्रदेश उन अग्रणी राज्यों में से है, जो गन्ना किसानों को सर्वाधिक गन्ना की कीमत किसानों को पहुंचाता है। उत्तर प्रदेश सरकार के प्रस्ताव पर भारत सरकार ने शुगर को एथनॉल में बदलने के लिए सहमति दी और आज किसानों की आमदनी बढ़ाने में मदद मिल पा रही है।

उत्तर प्रदेश

योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच

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लखनऊ |  योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।

लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़

प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।

कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान

राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।

हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश

टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।

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