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प्रादेशिक

सीएम योगी ने साधा विपक्ष पर निशाना, बोले-घोटाले की रही यूपीए सरकार, सपा शासन में होते थे दंगे

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लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बार फिर सपा, बसपा और कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि इनको अपने परिवार से ही फुर्सत नहीं है । किसान, वंचित, गरीब, दबे, कुचले वर्ग का विकास कभी इन दलों के एजेंडे में नहीं रहा। वहीं पीएम मोदी ने 2014 में “सबका साथ, सबका विकास ” एक मंत्र दिया था, जो आज हकीकत में तब्दील हो रहा है। कांग्रेस ने कश्मीर में धारा 370 लगाकर देश में आतंकवाद का बीज बोया था। प्रधानमंत्री मोदी ने 370 को हटाकर आतंकवाद को सदा के लिए समाप्त कर दिया। सपा, बसपा शासन में थाने व तहसीलें बिक चुके थे । सपा व बसपा के कार्यकर्ताओं ने लूट मचाई थी। गुंडों व माफिया को खुला संरक्षण मिलता था। इसलिए भाजपा की सरकार आवश्यक है। 2022 में बरकरार रहेगी तो कोई दंगा करने का दु:साहस नहीं कर पाएगा। कोई गुंडा, माफिया किसी गरीब, किसान और व्यापारी की संपत्ति पर कब्जे का दु:साहस नहीं कर पाएगा। किसी ने ऐसा किया तो सरकार का बुलडोजर उसकी छाती पर चलेगा।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शुक्रवार को महानगर के अलीगंज स्थित पंचायत भवन में पिछड़ा वर्ग के सामाजिक प्रतिनिधि सम्मेलन को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर पर्यावरण एवं वन मंत्री दारा सिंह चौहान, पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री अनिल राजभर, उ. प्र. पिछड़ा वर्ग आयोग के उपाध्यक्ष प्रभुनाथ चौहान, प्रदेश मंत्री मोहन सिंह, ब्लाक प्रमुख रामभरोसे चौहान आदि मौजूद थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 2014 से पहले लोगों में व्यापक असंतोष, आक्रोश और अविश्वास था। रोज-रोज नये घोटाले सामने आते थे। कांग्रेस नेतृत्व की यूपीए सरकार देश की कीमत पर राजनीति कर रही थी । यूपीए राज में देश की बाह्य एवं आंतरिक सुरक्षा खतरे में थी । वहीं सपा सरकार में आतंवादियों ने मध्यकाल की याद ताजा कर दी थी। मठों, मंदिरों पर हमले होते थे । वृहद हिन्दू समाज की भावनाओं पर कुठाराघात कर रौंदा जा रहा था। सपा शासन में आतंकियों के मुकदमे वापस होते थे । हिन्दुओ पर झूठे मुकदमे दर्ज होते थे । रामभक्तों पर गोली और आतंकियों की आरती उतारी जाती थी।

2005 में भरत मिलाप के मौके पर मऊ में व्यापक दंगे हुए। 2007 में आजमगढ़ के शिबली कालेज में अजित राय की हत्या इसलिए कर दी गयी कि उन्होंने वंदे मातरम गान की मांग कर दी थी। भाजपा और विपक्षी दलों की कार्यशैली में अंतर बताते हुए मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि 2012 में जब सपा की सरकार बनी तो पहला दंगा कोसीकला में हुआ। हमारी सरकार बनी तो पहला निर्णय किसान की कर्जमाफी का हुआ । सपा, बसपा और कांग्रेस की सरकारों को परिवार से फुर्सत नहीं होती । जबकि भाजपा सरकार में हर तबके के लिए कार्य होता है।

उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि 1990 में हमारी सरकार होती तो क्या रामभक्तों पर गोली चलती? आज भाजपा अयोध्या में भव्य राम मंदिर बना रही है, जो कि हमारे लिए यह गौरव की अनुभूति का अवसर है। उन्होंने कहा कि भारत के टुकड़े-टुकड़े की मंसा रखने वाला समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष से क्यों मिलने आता है? यह सब चीजें आंखे खोलने वाली हैं। प्रधानमंत्री मोदी का वर्ष 2014 में दिया गया सबका साथ, सबका विकास का नारा आज हकीकत बन चुका है। भाजपा की केन्द्र व प्रदेश की सरकारें बिना किसी भेदभाव के सबको फ्री में आवास, शौचालय, रसोई गैस, किसान सम्मान निधि, पांच लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा कवर, किसानों की कर्जमाफी, मुफ्त राशन और कोरोना से बचाव को मुफ्त में वैक्सीन लगा रही है।

विपक्षी दलों ने कोरोना वैक्सीन का दुष्प्रचार किया

मुख्यमंत्री योगी ने सपा, कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों ने भाजपा का वैक्सीन बता कर इसका दुष्प्रचार किया। जबकि देश में बनी इसी वैक्सीन ने कोरोना को कंट्रोल किया और भारत सुरक्षित हो पाया। जबकि आबादी के लिहाज भारत की चौथाई आबादी वाले अमेरिका में कोरोना से भारत से डेढ़ गुना अधिक मौतें हुई ।वहीं प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत 100 करोड़ वैक्सीनेशन करने वाला दुनिया का पहला देश बना।

पिछड़ों के विकास की सपा, बसपा व कांग्रेस की नीयत ही नहीं थी मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि सपा, बसपा और कांग्रेस की सरकारों की पिछड़ों के विकास की नीयत ही नहीं थी । वह नहीं चाहती थीं कि पिछड़े समाज का विकास हो और गरीब समाज की मुख्य धारा से जुड़ सकें। इसलिए इन दलों की सरकारों ने पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा नहीं दिया। भाजपा सरकार ने संवैधानिक दर्जा दिया। आजादी के बाद कोई भी ठाकुर चौहान से पहले राज्यपाल नहीं बना। आज हमारी सरकार में दारा सिंह चौहान भारीभरम मंत्रालय संभाल रहे हैं। प्रभुनाथ चौहान उप्र पिछड़ा वर्ग आयोग के उपाध्यक्ष हैं। इस समाज के लोग आज ब्लॉक प्रमुख बन रहे हैं।

उन्होंने पिछड़े समाज का आह्वान किया कि भावी पीढ़ी के भविष्य के लिए भाजपा सरकार जरूरी है। इसके लिए घर घर जाकर लोगों को जागरूक करना होगा, क्योंकि देश की अहम अर्थव्यवस्था बनने जा रहे यूपी के इस अभियान में बाधा डालने के लिए षड्यंत्र होंगे, सौदेबाजी की जाएगी और झूठ का सहारा लेकर दुष्प्रचार किया जाएगा।

उत्तर प्रदेश

योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच

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लखनऊ |  योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।

लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़

प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।

कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान

राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।

हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश

टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।

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