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उत्तर प्रदेश

प्रयागराज महाकुम्भ 2025 में आने वाले श्रद्धालुओं को मिलेगी शुद्ध और स्वच्छ वायु

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महाकुम्भ नगर। महाकुम्भ में आने वाले श्रद्धालुओं को शुद्ध वायु और वातावरण मिले इसके लिए योगी सरकार ने प्रयागराज में कई स्थानों पर घने जंगल विकसित किए हैं। प्रयागराज नगर निगम ने 2 साल में जापानी तकनीक मियावाकी से कई ऑक्सीजन बैंक डेवलप किए हैं, जो अब घने वन का रूप ले चुके हैं, जिससे पर्यावरण संरक्षण में काफी मदद मिल रही है। इन पौधों से हरियाली फैलने के साथ ही एयर क्वालिटी में भी सुधार हुआ है।

बेहतर है मियावाकी तकनीक

इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग के पूर्व प्रोफेसर और हरियाली गुरु के नाम से प्रसिद्ध डॉ. एनबी सिंह ने बताया कि शहरीकरण के चलते प्रदूषण और तापमान दोनों में इजाफा हुआ है। मियावाकी तकनीक ऐसे में सबसे बेहतर है। गर्मियों में दिन और रात के तापमान में काफी अंतर आ गया है। ये जंगल उस अंतर को कम करेगा। इसके साथ ही जैव विविधता, जमीन की उर्वरा क्षमता और पशु-पक्षी बढ़ेंगे। इतने बढ़े जंगल से 4-7 डिग्री तापमान में कमी आती है।

नैनी औद्योगिक क्षेत्र में लगाए गए 1.2 लाख पौधे

प्रयागराज नगर निगम ने इस तकनीक से शहर में 10 से अधिक स्थानों पर पौधरोपण किया है। पिछले 2 साल में 55,800 वर्ग मीटर में पौधे लगाए गए हैं। अकेले नैनी औद्योगिक क्षेत्र में ही 1.2 लाख पौधे लगाए गए हैं। नगर निगम के सहायक अभियंता गिरीश सिंह ने बताया कि यह तकनीक तेजी से घने वन विकसित करती है। हमने नैनी औद्योगिक क्षेत्र में करीब एक साल पहले पौधे लगाए थे, जो अब 10 से 12 फीट के हो गए हैं। जापानी तकनीक मियावाकी में हम प्रति वर्ग मीटर में 3 से 4 पौधे लगाते हैं। यहां से औद्योगिक कचरा हटाकर बुरादा और जैविक खाद के जरिए मिट्टी को पौधों के अनुकूल किया। महाकुम्भ में आने वाले श्रद्धालु इसे देख भी सकते हैं। जूनियर इंजीनियर आरके मिश्रा बताते हैं कि इस वन से तापमान में भी कमी आई है। जहां भी जगह कम है, वहां हम इस तकनीक से इस तरह के जंगल विकसित कर सकते हैं।

कचरा हटाकर विकसित किया गया जैव विविधता वालाा घना वन

दरअसल, प्रयागराज में मियावाकी प्रोजेक्ट की शुरुआत करीब 4 साल पहले 2020-21 में की गई थी। छोटे स्तर पर की गई इस शुरुआत को साल 2023-24 में बड़ा रूप दिया गया, जब नैनी औद्योगिक क्षेत्र के नेवादा सामोगर में 34200 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में 63 प्रजातियों के 1 लाख 19 हजार 700 पौधे लगाए गए। यह इलाका तब औद्योगिक कचरे से पटा हुआ था। स्थानीय उद्योगों से निकलने वाला कचरा वहां फेंका जाता। इसके चलते हर ओर गंदगी और बदबू थी। इससे आसपास के गांव के लोगों के साथ ही आने-जाने वाले लोग भी परेशान रहते थे। इसे देखते हुए मियावाकी प्रोजेक्ट के तहत यहां पौधे लगाए गए।

बसवार में 27 प्रजातियों के लगाए गए 27 हजार पौधे

इसके साथ ही शहर के सबसे बड़े कचरा डंपिंग यार्ड बसवार में भी इसी के तहत पौधरोपरण किया गया। यहां कचरा साफ कर 9 हजार वर्ग मीटर में 27 प्रजातियों के 27 हजार पौधे लगाए गए हैं। अब ये पौधे काफी घने जंगल का आकार ले चुके हैं। अफसरों के मुताबिक, इसके बाद जहां स्थानीय लोगों को गंदगी और बदबू से निजात मिली है, वहीं पर्यावरण साफ हुआ है और तापमान में भी गिरावट आई है। इसके अलावा शहर में करीब 13 स्थानों पर मियावाकी जंगल विकसित किया गया है। इसके जरिए बहुत कम जगह और बंजर जमीन पर भी घने जंगल विकसित किए जा सकते हैं।

ख़ास प्रजातियों का हुआ पौधरोपण

जैव विविधता बनाए रखने के साथ ही जनपयोगी पौधों की प्रजातियों को इस प्रोजेक्ट में शामिल किया गया है। इनमें आम, महुआ, नीम, पीपल, इमली, अर्जुन, सागौन से लेकर तुलसी, आंवला, बेर, कदंब, गुड़हल, कंजी, अमलतास, अमरूद, आंवला, गोल्ड मोहर, जंगल जलेबी, बकेन, शीशम, वाटलब्रश, कनेर (लाल और पीला) टिकोमा, कचनार, वोगनवेलिया, महोगिनी, बांस, सिरस, खस, सहजन, चांदनी, हरा सेमल, नींबू और ब्रह्मी शामिल हैं।

क्या है मियावकी तकनीकी?

इसकी खोज प्रसिद्ध जापानी वनस्पति शास्त्री अकीरा मियावाकी ने 1970 के दशक में की थी। इसे गमले में पौध विधि के नाम से भी जाना जाता है। इस विधि में पौधों को एक-दूसरे से कम दूरी पर लगाया जाता है, जिससे वे जल्दी से विकसित हो सकें। इसमें छोटे–छोटे स्थानों पर पौधे रोपे जाते हैं, जो 10 गुना तेजी से बढ़ते हैं। इस पद्धति ने शहरों में जंगलों की परिकल्पना को साकार किया।

मियावाकी पद्धति की खास बातें

इस तकनीक में प्राकृतिक वन की नकल करने के लिए घने, मिश्रित देशी प्रजातियों के पौधों को लगाया जाता है।

मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होता है। वनों के विकास को तेजी से बढ़ाती है।

इस तकनीक से लगाए गए पेड़ तेजी से बढ़ते हैं और अधिक कार्बन ग्रहण करते हैं।

मियावाकी के जंगलों में अन्य वनों की तुलना में जैव विविधता अधिक है।

मियावाकी फॉरेस्ट के फायदे

इस परियोजना से जहां औद्योगिक कचरे का निस्तारण हुआ है, वहीं धूल, गंदगी और बदबू से भी निजात मिली है। इसके अलावा, यह परियोजना शहर के वायु प्रदूषण को कम करने में भी मदद कर रही है।
वायु प्रदूषण को कम करने में मदद करते हैं।

जल प्रदूषण को कम करने में मदद करते हैं।

मिट्टी का क्षरण रोकने में मदद करते हैं।

जैव विविधता को बढ़ावा देने में मदद करते हैं।

वर्जन

प्रयागराज नगर निगम के आयुक्त चंद्र मोहन गर्ग ने बताया कि शहर में कई स्थानों पर मियावाकी तकनीक से सघन वन विकसित किए जा रहे हैं। हमने बसवार में कचरा हटाकर वहां भी इस तकनीक से 27 हजार पौधे लगाए हैं। सबसे ज्यादा नैनी औद्योगिक क्षेत्र में 1.2 लाख पौधे गए हैं। यह परियोजना न केवल औद्योगिक कचरे के निस्तारण में मदद कर रही है, बल्कि धूल, गंदगी और बदबू से भी निजात दिला रही है। इसके अलावा, शहर के वायु प्रदूषण को कम करने में भी मदद कर रही है। मियावाकी फॉरेस्ट के कई फायदे हैं। इससे वायु और जल प्रदूषण कम करने के साथ ही मिट्टी का क्षरण रोकने और जैव विविधता को बढ़ावा मिल रहा है।

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उत्तर प्रदेश

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के चाचा राजपाल सिंह यादव का लंबी बीमारी के बाद निधन

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इटावा। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के चाचा राजपाल सिंह यादव का लंबी बीमारी के बाद गुरुवार तड़के एक प्राइवेट अस्पताल में निधन हो गया। वह 73 वर्ष के थे। यह जानकारी सपा के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव ने दी। रामगोपाल ने अपने सोशल मीडिया हैंडल X पर कहा, ‘‘मैं अत्यंत दुख के साथ ये सूचित कर रहा हूं कि मेरे अनुज राजपाल सिंह का आज सुबह चार बजे मेदांता अस्पताल, गुरुग्राम में असामयिक निधन हो गया है। उनका अंतिम संस्कार मेरे पैतृक गांव सैफ़ई में आज दोपहर बाद किया जाएगा। प्रभु उनकी आत्मा को शांति दे और उन्हें अपने श्री चरणों में स्थान दे। ओम शांति!’’

जानें राजपाल सिंह के बारे में-

राजपाल सिंह यादव दिवंगत सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई थे। मुलायम सिंह यादव के परिवार के सदस्य होने के बावजूद राजपाल ने सक्रिय राजनीति से दूर रहना चुना। वह वंचितों और जरूरतमंदों की मदद के लिए जाने जाते थे। उनकी पत्नी प्रेमलता यादव जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी हैं और उनके बेटे अभिषेक यादव उर्फ अंशुल और आर्यन हैं। अंशुल लगातार दूसरी बार जिला पंचायत अध्यक्ष चुने गए हैं। राजपाल सिंह के पार्थिव शरीर को उनके पैतृक गांव सैफई लाया गया है, जहां गुरुवार शाम को उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

समाजवादी परिवार में शोक की लहर

समाजवादी पार्टी की ओर से सोशल मीडिया साइट एक्स पर जानकारी दी गई कि – राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सैफई में अपने चाचा स्वर्गीय राजपाल यादव के पार्थिव शरीर को नमन करते हुए उन्हें भावपूर्ण श्रद्धासुमन अर्पित किए। राजपाल के निधन से गांव में शोक की लहर है। परिवार के सभी लोग सैफई पहुंचे और राजपाल के अंतिम दर्शन किए।

मुलायम सिंह की समाधि स्थल के पास होगा अंतिम संस्कार

डॉ.रामगोपाल यादव, डिंपल यादव, शिवपाल सिंह यादव, तेज प्रताप सिंह यादव के अलावा पार्टी के कई नेता और कार्यकर्ता समेत परिवार के कई सदस्य श्रद्धांजलि देने के लिए गांव पहुंचे हैं। वहीं, राजपाल सिंह का अंतिम संस्कार स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव की समाधि स्थल के पास में ही किया जाएगा।

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