उत्तर प्रदेश
सावन के पहले सोमवार को दर्शन करने उमड़ेंगे श्रद्धालु, योगी सरकार के नेतृत्व में संपूर्ण तैयारी पूरी
वाराणसी, भगवान शिव का अतिप्रिय श्रावण मास सोमवार से प्रारंभ हो रहा है। यह महादेव की आराधना का विशेष मास है। 22 जुलाई से 19 अगस्त तक श्रावण मास में पांच सोमवार पड़ रहे हैं। सावन में बाबा के जलाभिषेक के लिए बड़ी संख्या में दूर-दूर से कांवड़ लेकर श्रद्धालु आते हैं। योगी सरकार ने श्रावण में श्रद्धालुओं के लिए सुगम दर्शन, सुरक्षा और सुविधा का विशेष इंतज़ाम किया है। सोमवार को मैदागिन से गोदौलिया नो व्हीकल जोन रहेगा। दोनों स्थानों से वृद्ध व दिव्यांगजन को ई-रिक्शा से मंदिर तक पहुंचने की व्यवस्था की गई है। सड़कों पर भीड़ कम करने के लिए धाम तक बैरिकेड्स और जिग-जैग लगाया गया है। भक्तों की सुरक्षा तथा सुविधा के लिए सीसीटवी से निगरानी की जाएगी। धूप और बारिश से बचाने के लिए भी इंतज़ाम किया गया है।। इस वर्ष पहली बार सिल्को द्वार से भी प्रवेश की व्यवस्था की गई है। प्रयागराज से वाराणसी राष्ट्रीय राजमार्ग पर कावड़ियों के लिए एक लेन सुरक्षित किया गया है। सोमवार को दैनिक पास निरस्त और बाबा के स्पर्श दर्शन पर रोक रहेगा।
कांवड़ लेकर काशी में श्रद्धालुओं का आना हुआ प्रारंभ
बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए कांवड़ियों का काशी में आना प्रारंभ हो गया। देर रात से ही बाबा के जलाभिषेक के लिए शिव भक्तों की कतार दिखने लगी। योगी सरकार ने महादेव के भक्तों के लिए सुरक्षा समेत सभी इंतज़ाम कर रखा है। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्र ने बताया कि मंदिर और जिला प्रशासन ने सावन में दर्शनार्थियों की सुविधा और सुगम दर्शन के लिए पूरी तैयारी कर ली है। उन्होंने बताया कि श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार को गोदौलिया से मैदागिन नो व्हीकल ज़ोन रहेगा। मंदिर प्रशासन द्वारा गोदौलिया तथा मैदागिन दोनों ओर से गेट नंबर 4 तक धाम में दर्शन के लिए आने वाले वीआईपी, वृद्ध, दिव्यांगजन, अशक्त दर्शनार्थियों के लिए निःशुल्क ई-रिक्शा व गोल्फ़ कार्ट का संचालन किया जाएगा। संपूर्ण धाम क्षेत्र को सीसीटीवी कैमरे से लैस करते हुए कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है। श्रद्धालुओं समेत सभी व्यवस्थाओं पर बारीकी से नजर रखी जाएगी। सड़क पर भीड़ को कम करते हुए धाम के अंदर बैरिकेड्स को जिग-जैग किया गया है। इसके अलावा बारिश, धूप व गर्मी से बचाव के लिए अतिरिक्त शेड लगाया गया है। श्रद्धालुओं के लिए पानी और ओआरएस की व्यवस्था भी की गई है।
धाम में छह स्थानों पर लगाई गई एलईडी
गर्भगृह के दर्शन पूजन का सजीव प्रसारण किया जायेगा। धाम में छह जगह पर एलईडी लगाई गई है। भक्तों की सुविधा के लिए धाम में खोया पाया केंद्र बनाया गया है। इसमें बहुभाषी कर्मी ड्यूटी देंगे। आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए धाम में चिकित्सकीय कार्मिकों की ड्यूटी लगाई गई है। सोमवार को अत्यधिक भीड़ के कारण मंदिर परिसर में लॉकर की सुविधा नहीं मिलेगी। श्रद्धालुओं से अपील की गई है कि दर्शन करने आएं तो बैग, मोबाइल, अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण व प्रतिबंधित चीजों को लेकर कतई न आएं।
उत्तर प्रदेश
शैव अखाड़ों के महाकुम्भ नगर में छावनी प्रवेश के बाद वैष्णव अखाड़ों का कुम्भ क्षेत्र में हुआ भव्य प्रवेश
महाकुम्भ नगर। त्रिवेणी के तट पर 13 जनवरी से आयोजित होने जा रहे आस्था के जन समागम महाकुम्भ में सनातन धर्म के ध्वज वाहक अखाड़ों की दुनिया विस्तार लेने लगी है। शैव उपासक संन्यासी अखाड़ों के छावनी क्षेत्र में प्रवेश के बाद बुधवार को विष्णु उपासक वैष्णव अखाड़ों का भी भव्य छावनी प्रवेश हुआ। शहर में जगह जगह वैष्णव अखाड़ों के संतों का पुष्प वर्षा से स्वागत किया गया।
वैष्णव अखाड़ों की छावनी प्रवेश यात्रा में दिखा राम भक्ति का अद्भुत रंग
संगम की रेती में बसी अखाड़ों की दुनिया में शिव उपासक अखाड़ों के छावनी प्रवेश के समापन के बाद अब वैष्णव अखाड़ों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी है। शहर के केपी ग्राउंड परिसर से तीनों वैष्णव अखाड़ों की भव्य छावनी प्रवेश यात्रा की शुरुआत हुई। तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु राम भद्राचार्य की अगुवाई में यह प्रवेश यात्रा निकाली गई जिसमें दस हजार से अधिक वैष्णव उपासक संतो ने हिस्सा लिया। अखिल भारतीय श्री पंच निर्मोही अणि अखाड़े के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत राजेंद्र दास का कहना है कि प्रवेश यात्रा में तीनों वैष्णव अखाड़ों के सौ से अधिक महा मंडलेश्वर और द्वाराचार्य ने हिस्सा लिया।
प्रवेश यात्रा में वैष्णव संतो के युद्ध कला प्रदर्शन पर जमकर हुई पुष्प वर्षा
तीनों वैष्णव अखाड़ों ने संयुक्त रूप से अपनी छावनी प्रवेश यात्रा निकाली जिसे देखने के लिए शहर के मार्गों में दोनों तरफ हज़ारों लोगों का सैलाब उमड़ पड़ा। यात्रा में सबसे आगे तीनों अखाड़ों के इष्ट भगवान हनुमान की धर्म ध्वजा और मूर्ति के बाद अखाड़ों के खालसों की रंग बिरंगी धर्म ध्वजा लहरा रही थी। तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु राम भद्राचार्य के रथ के बाद गाजे बाजे और बैंड बाजे के साथ हाथी, घोड़े और ऊंट की सवारी में सिंहासन में विराजमान संत चल रहे थे। इन सबके बीच वैष्णव अखाड़ों के संतों के युद्ध कला कौशल का प्रदर्शन सबके लिए आकर्षण का केंद्र बना रहा। एक हाथ में माला और एक हाथ में भाला के संकल्प को दर्शाती इस युद्ध कला का प्रदर्शन कर रहे संतो पर जगह जगह पुष्प वर्षा की गई। मेला प्रशासन की तरफ से भी वैष्णव अखाड़ों का महा कुम्भ क्षेत्र पहुंचने पर विभिन्न स्थानों पर स्वागत किया गया।
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