Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

आध्यात्म

धनतेरस पर भूलकर भी न खरीदें ये चीजें, मिल सकता है अशुभ फल

Published

on

Dhanteras

Loading

नई दिल्ली। दीपों के पर्व दीपावली से पहले धनतेरस (Dhanteras ) पर खरीदारी करना शुभ मना जाता। लोग इस दिन कई वस्तुएं खरीदते हैं। कोई ज्वैलरी खरीदता है तो कोई इलेक्ट्रानिक सामान। मान्यता है इस शुभ दिन में खरीदी गई चीजें लंबे समय तक उपयोगी रहती हैं और शुभ फल भी प्रदान करती हैं।

Dhanteras से जुड़ी और भी कई मान्यताएं हैं लेकिन इस दिन खरीदी करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। Dhanteras पर कुछ चीजें खरीदने से बचना चाहिए, मान्यता है कि ये चीजें घर में अशुभ प्रभाव पैदा करती हैं।

लोहे के बर्तन या अन्य कोई सामान

धनतेरस पर लोहे के बर्तन या अन्य कोई सामान भूलकर भी नहीं खरीदना चाहिए, ऐसा करना अशुभ माना जाता है। लोहे को शनि की धातु माना गया है। मान्यता है कि धनतेरस पर लोहे से बनी चीजें खरीदना से इसका अशुभ फल प्राप्त होता है। इसलिए भूलकर भी धनतेरस पर लोहे की कोई भी वस्तु न खरीदें।

स्टील-एल्युमिनियम

स्टील और एल्युमिनियम शुद्ध धातु नहीं माना जाता। जानकारी के अभाव में लोग इसे धनतेरस पर खरीद लेते हैं लेकिन ऐसा करना उचित नहीं है। एल्युमिनियम पर राहु का प्रभाव रहता है जो जीवन में कई मुश्किलें पैदा कर सकता है। शास्त्रों के अनुसार मात्र पीतल, सोना या चांदी धातु ही खरीदना शुभ माना गया है।

नकली या आर्टिफिशियल आभूषण

मात्र औपचारिकता या फिर पैसों की कमी के चलते के लिए कई लोग धनतेरस पर आर्टिफिशियल आभूषण खरीद लेते हैं लेकिन ऐसा करना अशुभ माना जाता है। इससे दरिद्रता का वास होता है।

कांच या चीनी-मिट्टी के बर्तन या अन्य सामान

धनतेरस पर कांच के बर्तन से इससे जुड़ी कोई भी वस्तु नहीं खरीदनी चाहिए। कांच में राहू का वास होता है। वहीं चीनी-मिट्टी के गमले या बर्तन भी इस दिन लेना अशुभ होता है। धनतरेस के शुभ अवसर पर इन चीजों को घर लाना व्यक्ति को संकट में डाल सकता है।

धारदार चीजें खरीदने से बचें

धनतेरस पर धारदार चीजें जैसे चाकू या कैंची न खरीदें। ये चीजें भी निगेटिविटी पैदा करती हैं और अशुभ ग्रहों से संबंधित है। धनतेरस पर ये चीजें घर में लाने से कुछ न कुछ अशुभ होने के योग बन सकते हैं।

कांच का सामान भी न ही खरीदें

धनतेरस एक शुभ दिन है जो देवी लक्ष्मी और कुबेर से संबंधित है। इसलिए इस दिन कांच से बनी चीजें खरीदने से बचना चाहिए। कांच को ज्योतिष शास्त्र में राहु से संबंधित माना गया है जो एक अशुभ ग्रह है। धनतेरस पर राहु से संबंधित चीजें घर में लाना आपकी परेशानियां बढ़ा सकता है।

डिस्क्लेमर:  उपरोक्त जानकारी  सिर्फ मान्यताओं पर आधारित है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

Dhanteras, Dhanteras news, Dhanteras latest news, Dhanteras purchasing,

Continue Reading

आध्यात्म

महाकुम्भ 2025: बड़े हनुमान मंदिर में षोडशोपचार पूजा का है विशेष महत्व, पूरी होती है हर कामना

Published

on

Loading

महाकुम्भनगर| प्रयागराज में संगम तट पर स्थित बड़े हनुमान मंदिर का कॉरिडोर बनकर तैयार हो गया है। यहां आने वाले करोड़ों श्रद्धालु यहां विभिन्न पूजा विधियों के माध्यम से हनुमान जी की अराधना करते हैं। इसी क्रम में यहां षोडशोपचार पूजा का भी विशेष महत्व है। षोडशोपचार पूजा करने वालों की हर कामना पूरी होती है, जबकि उनके सभी संकट भी टल जाते हैं। मंदिर के महंत और श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर बलवीर गिरी जी महाराज ने इस पूजा विधि के विषय में संक्षेप में जानकारी दी और यह भी खुलासा किया कि हाल ही में प्रयागराज दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी मंदिर में षोडशोपचार विधि से पूजा कराई गई। उन्हें हनुमान जी के गले में पड़ा विशिष्ट गौरीशंकर रुद्राक्ष भी भेंट किया गया। उन्होंने भव्य और दिव्य महाकुम्भ के आयोजन के लिए पीएम मोदी और सीएम योगी का आभार भी जताया।

16 पदार्थों से ईष्ट की कराई गई पूजा

लेटे हनुमान मंदिर के महंत एवं श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर बलवीर गिरी जी महाराज ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक यजमान की तरह महाकुम्भ से पहले विशेष पूजन किया। प्रधानमंत्री का समय बहुत महत्वपूर्ण था, लेकिन कम समय में भी उनको षोडशोपचार की पूजा कराई गई। पीएम ने हनुमान जी को कुमकुम, रोली, चावल, अक्षत और सिंदूर अर्पित किया। यह बेहद विशिष्ट पूजा होती है, जिसमें 16 पदार्थों से ईष्ट की आराधना की। इस पूजा का विशेष महत्व है। इससे संकल्प सिद्धि होती है, पुण्य वृद्धि होती है, मंगलकामनाओं की पूर्ति होती और सुख, संपदा, वैभव मिलता है। हनुमान जी संकट मोचक कहे जाते हैं तो इस विधि से हनुमान जी का पूजन करना समस्त संकटों का हरण होता है। उन्होंने बताया कि पीएम को पूजा संपन्न होने के बाद बड़े हनुमान के गले का विशिष्ट रुद्राक्ष गौरीशंकर भी पहनाया गया। यह विशिष्ट रुद्राक्ष शिव और पार्वती का स्वरूप है, जो हनुमान जी के गले में सुशोभित होता है।

सभी को प्रेरित करने वाला है पीएम का आचरण

उन्होंने बताया कि पूजा के दौरान प्रधानमंत्री के चेहरे पर संतों का ओज नजर आ रहा था। सबसे महत्वपूर्ण बात ये कि उनमें संतों के लिए विनय का भाव था। आमतौर पर लोग पूजा करने के बाद साधु संतों को धन्यवाद नहीं बोलते, लेकिन पीएम ने पूजा संपन्न होने के बाद पूरे विनय के साथ धन्यवाद कहा जो सभी को प्रेरित करने वाला है। उन्होंने बताया कि पीएम ने नवनिर्मित कॉरिडोर में श्रद्धालुओं की सुविधा को लेकर भी अपनी रुचि दिखाई और मंदिर प्रशासन से श्रद्धालुओं के आने और जाने के विषय में जानकारी ली। वह एक अभिभावक के रूप में नजर आए, जिन्हें संपूर्ण राष्ट्र की चिंता है।

जो सीएम योगी ने प्रयागराज के लिए किया, वो किसी ने नहीं किया

बलवीर गिरी महाराज ने सीएम योगी की भी तारीफ की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने प्रयागराज और संगम के विषय में जितना सोचा, आज से पहले किसी ने नहीं सोचा। संत जीवन में बहुत से लोगों को बड़े-बड़े पदों पर पहुंचते देखा, लेकिन मुख्यमंत्री जी जैसा व्यक्तित्व कभी नहीं देखने को मिला। वो जब भी प्रयागराज आते हैं, मंदिर अवश्य आते हैं और यहां भी वह हमेशा यजमान की भूमिका में रहते हैं। हमारे लिए वह बड़े भ्राता की तरह है। हालांकि, उनकी भाव भंगिमाएं सिर्फ मंदिर या मठ के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए हैं। वो हमेशा यही पूछते हैं कि प्रयागराज कैसा चल रहा है। किसी मुख्यमंत्री में इस तरह के विचार होना किसी भी प्रांत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

स्वच्छता का भी दिया संदेश

उन्होंने महाकुम्भ में आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं को संदेश भी दिया। उन्होंने कहा कि महाकुम्भ को स्वच्छ महाकुम्भ बनाने का जिम्मा सिर्फ सरकार और प्रशासन का नहीं है, बल्कि श्रद्धालुओं का भी है। मेरी सभी तीर्थयात्रियों से एक ही अपील है कि महाकुम्भ के दौरान स्नान के बाद अपने कपड़े, पुष्प और पन्नियां नदियों में और न ही तीर्थस्थल में अर्पण न करें। प्रयाग और गंगा का नाम लेने से ही पाप कट जाते हैं। माघ मास में यहां एक कदम चलने से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है। यहां करोड़ों तीर्थ समाहित हैं। इसकी पवित्रता के लिए अधिक से अधिक प्रयास करें। तीर्थ का सम्मान करेंगे तो तीर्थ भी आपको सम्मान प्रदान करेंगे। स्नान के समय प्रयाग की धरा करोड़ों लोगों को मुक्ति प्रदान करती है। यहां ज्ञानी को भी और अज्ञानी को भी एक बराबर फल मिलता है।

Continue Reading

Trending